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 भगवान शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानें कारण

सभी देवी देवताओं को कोई न कोई वस्तु बहुत पसंद होता है। जिसे चढ़ाने से वे अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं, जैसे भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता, मां दुर्गा को लाल फूल वैसे ही शिव जी को भस्म पसंद है।
Editorial
Updated:- 2023-04-21, 17:38 IST

भगवान भोलेनाथ के पूजन में भस्म का विशेष महत्व बताया गया है। आपको बता दें कि बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योर्तिलिंग जो कि उज्जैन में महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव की भस्म से आरती की जाती है। यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है। भगवान शिव जितने सरल और भोले हैं, उतने ही रहस्यमयी भी हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि शिवपूजन के दौरान भोलेनाथ को भस्म क्यों अर्पित की जाती है।

भस्म का महत्व

shiv puja and bhasma

शिव पुराण में यह बताया गया है कि भगवान शिव का प्रमुख वस्त्र भस्म है क्योंकि भस्म ही सृष्टि का सार है एक दिन इस पूरे संसार को भस्म के रूप में परिवर्तित होना है। आपको बता दें कि भगवान शिव के शरीर पर लगाई जाने वाली भस्म साधारण आम की लकड़ी की राख नहीं होती है, बल्कि ऐसा कहा जाता है कि यह काशी में जलने वाली सुबह की पहली चिता की राख होती है जिसे चिता भस्म के नाम से भी जाना जाता है।

भस्म से संबंधित कथा

भस्म को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसमें यह बताया गया है कि जब माता सती क्रोध में आकर हवन कुंड में प्रवेश की थीं, तब भगवान शिव उनके देह को आकाश से लेकर पृथ्वी लोक में हर जगह घूम रहे थे। उनकी यह दशा भगवान विष्णु से देखी नहीं गई थी और वे माता सती के शव को छूकर उन्हें राख (भस्म) में बदल दिए थे। यह देखकर भोलेनाथ दुखी हो गए और माता सती के राख को अपने पूरे शरीर पर लगा लिए। कहा जाता है कि इस कारण से भी भगवान शिव को भस्म अर्पित की जाती है। (शिव मंदिर)

why shiva wears bhasma

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इसके अलावा एक और भी कथा प्रचलित है, जिसमें यह बताया गया है कि भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। कैलाश पर्वत का स्थान बर्फ से ढके हुए होने के कारण बहुत ठंडा रहता है। इसलिए भगवान शिव स्वयं को उस ठंड से बचाए रखने के लिए अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। (सभी ज्योतिर्लिंग जमीन के नीचे क्यों स्थित हैं)

घर पर भस्म कैसे बनाया जाता है?

why lord shiva use bhasma

शिव पुराण में भस्म बनाने की विधि बताई गई है जिसके अनुसार कपिला गाय के सूखे हुए गोबर, शमी, पीपल, वट, अमलतास, बेर और पलाश (पलाश के फूलों के फायदे) के लकड़ियों को साथ में जलाकर मंत्रोच्चार किए जाते हैं। बाद में जब यह सभी लकड़ियां जल कर राख बन जाती है इसे ही भस्म के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस भस्म को कपड़े की मदद से छान लिया जाता है और शिवपूजन में भस्म के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

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भगवान शिव को भस्म लगाने के पीछे शिव पुराण और कथाओं में ये मान्यताएं बताई गई हैं। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसे ही धार्मिक लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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