महिलाओं को करना पड़ता है घूंघट जब होता है इस मंदिर में भगवान शिव का भस्म से श्रृंगार

क्या आप भगवान शिव की भक्त हैं? अगर हां, तो आप उनकी पूजा भी करती होंगी। मगर क्या  आपको पता है कि भगवान शिव का एक रूप ऐसा भी है जिसे महिलाएं नहीं देख सकतीं।

Women can not see this face of lord shiva madhyapradesh

भगवान शिव जितने सरल है उतने ही रहस्यमयी भी हैं । उनका सरल स्वभाव जहां सभी को उनकी अराधना करने के लिए उकसाता है वहीं उनके रहस्यमयी रूप से सभी को डर भी लगता है। ऐसा ही रूप धारण किए भगवान शिव उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान हैं। उज्जैन, मध्य प्रदेश का एक धार्मिक स्थल है और यहां पर भगवान शिव का बहुत ही विशाल मंदिर है। इस मंदिर में हर रोज बाबा के भक्तों की भीड़ी उनके दर्शन के लिए जुटती है। खासतौर पर सुबह 4 बजे की भस्म आरती देखने के लिए लोग पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तक कराते हैं। मगर इस आरती में शामिल होने की कुछ शर्ते हैं, जिनमें सबसे पहली शर्त यही है कि इस आरती को औरतें नहीं देख सकतीं। जब यह आरती होती है तो औरतों को घूंघट करना पड़ता है। मगर ऐसा क्यों होता है और इसका क्या रहस्य है ? इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं । चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इस मंदिर में होने वाली भस्म आरती का क्या रहस्य है और महिलाएं इस आरती को क्यों नहीं देख सकती।

Women can not see this face of lord shiva ujjain

क्या है कहानी

उज्जैन में भगवान शिव के इस मंदिर के पीछे एक कथा है जिसके अनुसार, एक दूषण नाम के असुर ने पूरे उज्जैन में आतंक मचा रखा था। भगवान शिव को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने उस असुर को मार दिया। असुर से छुटकारा पाने के बाद गांव वालों ने भगवान शिव से उसी गांव में रहने का आग्रह किया। गांव वालों का इतना प्यार देख भगवान शिव वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में बस गए । क्योंकि भगवान शिव ने असुर दूषण को भस्म किया था और उसकी राख से अपना श्रृंगार किया था इसलिए इस मंदिर का नाम तब से महाकालेश्वर रख दिया गया और तभी से यहां ज्योतिर्लिंग की भस्मा आरती की जाने लगी।

क्या होती हैं भस्म आरीत

जैसा कि नाम से ही क्लीयर है कि यह आरती भस्म से की जाती है। जाहिर है कि असुर दूषण की भस्म तो अब तक बची नहीं होगी। इसलिए यहां पर हर दिन सुबह सबसे पहले जलने वाली चिता की राख से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इस भस्म के लिए देश भर से लोग पहले से रजिस्ट्रेशन कराते हैं और मृत्यु के बाद उनकी भस्म से भगवान शिव की आरती होती है। वैसे अब बीते कुछ सालों से मंदिर के पुजारियों ने चिता की राख लेने की जगह गाय के गोबर से बने कंडों की राख से आरती करनी शुरू कर दी है।

इस आरती के हैं कुछ नियम कायदे

ऐसा माना जाता है कि शिव ही समशान के देवता होते हैं। इसलिए वह हमेशा अपने शरीर में भष्म लगाए रहते हैं। इसलिए उनकी पूजा में भस्म का विशेष महत्व है। धर्मिक पुस्तकों में चिता की राख न मिलने पर भस्म बनाने की पूरी विधि भी दी गई है। मगर केवल भस्म‍ की विधि को फॉलो करने से बात नहीं बनती। भगवान शिव की इस आरती के अपने नियम है। इसमें सबसे पहला नियम यही है कि इस आरती को औरतें नहीं देख सकतीं। इसलिए मंदिर में जब यह आरती होती है तो औरतों को घूंघट करना पड़ता है। औरतें यह आरती न देखें इसलिए इस आरती को पट बंद करके किया जाता है। पुरुष भी इस आरती को देख तो सकते हैं मगर करने का अधिकार केवल मंदिर के पुजारियों को ही होता है। इस आरती को पुजारी केवल एक वस्त्र, जो बिना सिला हुआ हो, उसी में कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि क्योंकि यह चिता की राख से होती है इसलिए इस आरती को महिलाएं नहीं देख सकती।

एक दिन में 6 बार होती है आरती

पूरे भारत में यह पहला ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान शिव की 6 बार आरती होती है और हर आरती में उनका श्रृंगार भी अलग हो जाता है। जहां दिन की सबसे पहली आरती भस्म आरती होती है, वहीं दूसरी आरती में भगवान शिव घटा टोप स्वरूप दिया जाता है। तीसरी आरती में शिवलिंग को हनुमान जी का रूप दिया जाता है। चौथी आरती में भगवान शिव का शेषनाग अवतार देखने को मिलता है। पांचवी में शिव भगवान को दुल्हे का रूप दिया जाता है। और छठी आरती दिन की आखरी आरती होती है इसमें शिव भगवान अपने खुद के स्वरूप में दिखाई देते हैं। इन सभी आरतियों में भस्म आरती का महत्व सबसे ज्यादा होता है और महिलाएं भगवान शिव के इसी अवतार को नहीं देख सकतीं।
HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP