सावन का महीना शुरू हो गया है। ऐसे में हर तरफ आप भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हुए लोगों को देखती होंगी। भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है। उन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, शंभू, आदि नामों से पुकारा जाता है, लेकिन आखिर क्यों उन्हें महाकाल पुकारा जाता है? आइए हम आपको बताते हैं।
आखिर भगवान शिव को यह नाम क्यों मिला?
पौराणिक कथाओं के अनुसार उज्जैन में एक शिव भक्त ब्राह्मण निवास करता था। यहां पर रहने वाले लोग दूषण नाम के राक्षस के प्रकोप से डरते थे। लोग उसे काल के नाम से जानते थे। ब्रह्मा जी से दूषण को कई शक्तियां मिली थी, जिनका दुरुपयोग कर वह निर्दोष लोगों को परेशान करता था। राक्षस की शक्तियों के प्रकोप से ब्राह्मण काफी दुखी था, उसने भगवान शिव से राक्षस के नाश की प्रार्थना की, लेकिन भगवान ने काफी वक्त तक कुछ नहीं किया।
प्रार्थनाओं का असर न होता देख एक दिन ब्रह्म भगवान शिव से नाराज हो गए और उनका पूजन बंद कर दिया। अपने ब्राह्मण भक्त को दुखी देख भगवान शिव हुंकार के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर दिया। क्योंकि लोग दूषण को काल कहते थे, इसलिए उसके वध के कारण भगवान शिव का नाम महाकाल पड़ा।
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क्या होता है महाकाल का मतलब?
काल का मतलब होता है समय और महाकाल का मतलब हुआ है वह जो समय से परे है अथवा उसका नियंत्रणकर्ता है। मान्यताओं के अनुसार, शिव जी प्रलय, विघटन या मृत्यु के देव हैं और वह हमारे समय यानी काल को भी नियंत्रित करते हैं।(भगवान शिव के आगे क्यों नहीं लगता श्री)
महाकाल की पूजा
राक्षस का वध करने के कारण बाबा महाकाल की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा महाकाल की आराधना करता है, उसे कभी मृत्यु का भय नहीं होता है।
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