अगर आपने गौर किया हो तो खास मौके, सम्मान या कार्यक्रम के दौरान फर्श पर लाल रंग का कार्पेट बिछाया जाता है। खासकर फैशन शो, किसी का बड़े मिनिस्टर या अभिनेता का स्टेज प्रोग्राम या भाषण आदि। अब ऐसे में अगर आपसे कोई कि आखिर लाल रंग ही क्यों चुना गया क्योंकि हमारे आस-पास एक नहीं बल्कि हजारों रंग, उनमें से कोई क्यों नहीं। लेकिन कभी आपने सोचा कि आखिर इस रंग के रेड कार्पेट का इस्तेमाल क्यों और इसकी शुरूआत कब से हुई। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर नीले, पीले या हरे को छोड़कर लाल रंग के कार्पेट का ही प्रयोग क्यों किया जाता है।
लाल रंग के कॉर्पेट का क्यों किया जाता है इस्तेमाल?
बड़े इवेंट्स के दौरान लाल रंग के कार्पेट का इस्तेमाल एक परंपरा बन चुका है, जिसका उद्देश्य ग्लैमर, प्रभावशाली और सम्मान को उजागर करना है। जब भी कोई फिल्म प्रीमियर, अवॉर्ड शो या अन्य हाई-प्रोफाइल इवेंट होता है, तो रेड कार्पेट पर सेलिब्रिटीज और मेहमानों का स्वागत किया जाता है। यह एक विशेष पहचान है, जिसे अक्सर ग्लैमर और रॉयल्टी से जोड़ा जाता है।
आखिर लाल रंग के ही क्यों बिछाए जाते हैं कार्पेट?
अगला सवाल आता है कि आखिर लाल रंग का ही कॉर्पेट क्यों किया जाता है इस्तेमाल, तो बता दें कि जैसा कि ऊपर बताया है कि इवेंट को भव्यता, ऐश्वर्य और रॉयल्टी का एहसास देता है। हम अक्सर यह सोचते हैं कि क्यों खास तौर पर रेड रंग का ही चुनाव किया जाता है, जबकि अन्य रंगों जैसे हरा या नीला भी काफी आकर्षक हो सकते हैं।
ऐतिहासिक महत्व
लाल रंग को ऐताहासिक रूप से शाही परिवारों, हाई सोसायटी और पावर के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। प्राचीन काल में केवल रॉयल्टी और राजाओं को ही लाल रंग पहनने का अधिकार था। ऐसे में रेड कार्पेट पर चलना एक व्यक्ति को विशेष और सम्मानित महसूस कराता है।
आंखों को जल्दी करता है आकर्षित
इस कॉर्पेट को इस्तेमाल करने के पीछे का दूसरा कारण रेड रंग आंखों को अट्रैक्ट करता है। साथ ही यह रंग किसी भी इवेंट में लोगों का तुरंत ध्यान केंद्रित करता है। वहीं यह इवेंट की भव्यता और अहमियत को और बढ़ाता है, जो कि हरे या नीले रंग से नहीं मिल सकता।
एनर्जी और एक्साइटमेंट का साइन
मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से, रेड रंग एनर्जी, उत्साह और जुनून का प्रतीक है। यह इवेंट्स के उत्साह और एक्साइटमेंट से मेल खाता है। वहीं हरा और नीला रंग शांतिपूर्ण और सुकून देने वाले होते हैं, जो इस माहौल के हिसाब से परफेक्ट नहीं होते हैं।
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