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How indian mobile numbers are decided

क्या आप जानते हैं भारत में मोबाइल नंबर कभी  2, 3, 4, 5 या 1 से क्यों नहीं शुरू होते?

मोबाइल नंबर से जुड़ी डिटेल्स के बारे में शायद आपको ना पता हो, लेकिन इसकी जानकारी हम आपको दे सकते हैं। 
Editorial
Updated:- 2022-10-24, 13:30 IST

मोबाइल फोन्स का आविष्कार जब से हुआ है तब से हमारी जिंदगी बहुत ज्यादा बदल गई है। जब तक लैंडलाइन फोन्स हमारी जिंदगी का हिस्सा थे तब तक हम बाहर घूमने जाने से लेकर परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने तक बहुत कुछ किया करते थे, लेकिन अब मोबाइल फोन्स हमारे लिए ज्यादा जरूरी साबित हो रहे हैं। मोबाइल फोन्स की बात करें तो इन्होंने कम्युनिकेशन के मामले में एकदम क्रांति ला दी है। वैसे तो मोबाइल के आने से एक बात और हुई है कि हम अपने खुद के नंबर के अलावा और किसी का मोबाइल नंबर ही याद नहीं रख पाते।

एक दो को छोड़कर सभी नंबर हमारे फोन की मेमोरी में सेव रहते हैं। एक तरह से देखा जाए तो अब जब मोबाइल नंबर याद रखने की स्थिति नहीं है तो हम उनपर शायद ध्यान भी नहीं देते हैं। मोबाइल नंबर 10 डिजिट के होते हैं और भारतीय कंट्री कोड +91 से शुरू होता है। पर क्या कभी आपने ये सोचने की कोशिश की है कि कोई भी मोबाइल नंबर कभी 0, 1, 2, 3, 4 या 5 से क्यों नहीं शुरू होता है?

अरे, अब ध्यान आया कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं? वाकई भारत में मौजूद कोई भी मोबाइल नंबर इन डिजिट्स से शुरू नहीं होता है और उनकी शुरुआत बस 9, 8, 7 या 6 से ही होती है।

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इसके पीछे का एक लॉजिक है जिसके बारे में अधिकतर लोग जानते ही नहीं हैं।

आखिर क्यों 0, 1, 2, 3, 4 या 5 से नहीं शुरू होता कोई मोबाइल नंबर?

क्या आपने कभी किसी इमरजेंसी नंबर को देखा है? सरकारी सुविधाओं के या इमरजेंसी से जुड़े नंबर हमेशा 1 से ही शुरू होते हैं। कोई भी टोल फ्री नंबर 1800 से शुरू होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इसके बारे में याद रहे और लोग ये समझ पाएं कि ये इमरजेंसी नंबर है। यही कारण है कि किसी भी मोबाइल नंबर की शुरुआत 1 से नहीं होती है।

indian mobile numbers

अब बारी आती है 2, 3, 4 और 5 की जो हमेशा लैंडलाइन से जुड़े रहते हैं। लैंडलाइन नंबर अलग-अलग राज्यों और जोन्स से होते हैं और इसलिए कम से कम 4 अंक उनके लिए रिजर्व रखे जाते हैं। यही कारण है कि कोई भी मोबाइल नंबर उससे जुड़ा नहीं हो सकता और इन नंबरों को अलग ही रखा जाता है। इन नंबरों के आगे स्टेट और एसटीडी कोड लगता है।

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जहां तक 0 की बात है तो अगर आपको याद हो तो इसे हमेशा STD कोड के तौर पर यूज किया जाता है। ये लैंडलाइन नंबरों के साथ इस्तेमाल होता है और इसलिए हमेशा इसे मोबाइल नंबर से अलग रखा जाता है। हालांकि, कई लोग मोबाइल नंबर के आगे 0 भी लगाते हैं, लेकिन उसकी जरूरत नहीं होती।

अगर हम सारे डिजिट्स को मोबाइल नबंर में इस्तेमाल करने लगेंगे तो ये बहुत मुश्किल होगा कि हम किसी एक नंबर को पहचान पाएं। इसलिए ये जरूरी है कि उन्हें अलग रखा जाए। आपको कितने नंबर याद हैं? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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