रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर महात्मा गांधी तक, ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में इन फेमस लोगों को क्यों नहीं मिला था प्रवेश

ऐसे कई महान लोग हैं जिन्हें ओडिशा के सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली थी। आइए जानें इसके कारणों के बारे में। 

those people not allowed inside jagannath temple

ओडिशा का श्री जगन्नाथ मन्दिर पूरी दुनिया में हिन्दू भक्तों की आस्था का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ अर्थात् श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी गिनती हिन्दुओं के चार धाम में होती है। पुरी के इस मंदिर की वार्षिक रथ यात्रा को देखने के लिए सिर्फ राज्य या दूसरे राज्यों से ही लोग नहीं आते हैं, बल्कि विदेशों से भी लोग भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा में सम्मिलित होना चाहते हैं।

पुरी में स्थित यह एक ऐसा मंदिर है, जिसे हर हिन्दू अपने जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहता है। मंदिर में पत्थर और धातु के बजाय, भगवान जगन्नाथ की छवि लकड़ी से बनी होती है और हर बारह से उन्नीस साल में एक उचित धार्मिक समारोह के साथ बदल दी जाती है।

मंदिर का निर्माण गंगा वंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोदगंगा ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। हालांकि, दुनिया भर में कई हिंदू मंदिरों के विपरीत, गैर-हिंदुओं को भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। जिसके कारण कई प्रसिद्ध व्यक्तियों को भी इस मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध लोगों के बारे में बता रहे हैं-

आचार्य विनोभा भावे

आचार्य विनोभा भावे एक इंडियन एडवोकेट थे, जिन्होंने मनुष्यों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी और अहिंसा के संदेश को भी बढ़ावा दिया था। विनोभा को उनके भूदान आंदोलन के लिए आज भी याद किया जाता है, जो 1951 में भारत में एक भूमि सुधार आंदोलन था।

एक वकील होने के अलावा, वह एक सामाजिक कार्यकर्ता, दार्शनिक भी थे। विनोभा भावे ने जब 1934 में अपने गैर-हिंदू अनुयायियों के साथ ओडिशा के प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ मंदिर का दौरा किया था, तो उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

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रवींद्रनाथ टैगोर

rabindranath tagore

साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले और भारत के राष्ट्रगान जन गण मन लिखने वाले व्यक्ति, रवींद्रनाथ टैगोरइस देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। एक असाधारण कवि और लेखक होने से लेकर अपनी कला से समाज को इतना कुछ देने तक, रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान अविस्मरणीय हैं। यह महान कवि एक पिराली ब्राह्मण थे और बहुत से लोग इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि उनकी जाति के कारण, उन्हें ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।

महात्मा गांधी

mahatma gandhi

भारत के पिता के रूप में जाने जाने वाले महात्मा गांधी ने वर्ष 1934 में प्रसिद्ध हिंदू मंदिर, जगन्नाथ पुरी जाने का फैसला किया था। उनके साथ उनके करीबी दोस्त और सामाजिक कार्यकर्ता विनोभा भावे और कुछ अन्य गैर-हिंदू लोग भी थे। हालांकि, मंदिर समिति ने सभी को जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया था।

12वीं सदी में बने मंदिर की प्रबंधन समिति का यह एक बड़ा फैसला था। जब महात्मा गांधी को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, तो उन्होंने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था “भगवान के मंदिर में पुरुषों के बीच कोई अंतर क्यों होना चाहिए?“

डॉ बी.आर. अम्बेडकर

dr bheem rao ambedkar

भारतीय संविधान के जनक डॉ बी.आर. अम्बेडकर को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया था, लेकिन वह भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर के दर्शन नहीं कर पाए थे। जब जुलाई 1945 में भीम राव अंबेडकर ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन किए थे, तो मंदिर समिति ने उन्हें मंदिर के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया था। मंदिर के अधिकारियों के साथ कई चर्चाओं के बाद भी, भीम राव अंबेडकर को हिंदू मंदिर में प्रवेश नहीं मिल पाया था।

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Image Credit- amazon, Wikimedia

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