प्रगतिशील सोच होने के कारण रबीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक रचनाओं के विषय आमतौर पर बोल्ड होते थे और उनकी कहानियां अपने समय से कहीं आगे थीं। देबेन्द्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के घर जन्म लेने वाले रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 6 साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। एशियाई लोगों में नोबेल पुरस्कार जीतने वालों में वह पहले भारतीय थे। रबीन्द्रनाथ को उनकी यादगार कविताओं, गद्य, नाटकों, कहानियों और उपन्यासों के लिए याद किया जाता है। उनकी ज्यादातर रचनाओं में एक चीज विशेष रूप से आकर्षित करती है और वह है उनकी नारी सशक्तीकरण की भावना। महिलाओं के उत्थान के लिए वह बहुत संजीदगी से सोचते थे और उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का बीड़ा भी उठाया। उनकी ज्यादा रचनाएं महिलाओं के अधिकार, उनकी समानता, स्वतंत्रता, न्याय, शक्ति और उनके सम्मान के इर्दगिर्द घूमती हैं-
सामाजिक बंधनों को तोड़ती बिमला
बिमला अपने अमीर पति निखिल की छत्रछाया में रहती है और उसकी भूमिका एक पारंपरिक पत्नी से ज्यादा की नहीं है। लेकिन निखिल के दोस्त संदीप के आने के बाद बिमला के सपनों को पंख मिल जाते हैं। बिमला को संदीप से प्यार हो जाता है और वह समाज की भी परवाह नहीं करती। यह किरदार परंपरागत विवाहित महिला के किरदार से पूरी तरह अलग है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुद्दे को मुखर रूप से उठाता है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ने चारुलता को दिए पंख
अगर 'ए ब्रोकन नेस्ट' में चारुलता की ही बात करें तो वह घर की चारदीवारी में सीमित रहती है, जिसमें वह बहुत सहज महसूस नहीं करती। अपने देवर अमल के साथ उसे थोड़ा सुकून का अहसास होता है। अमल ना सिर्फ उसके साथ अच्छे से पेश आता हैस बल्कि अखबारों में लिखने के लिए प्रेरित कर उसे उसकी बोरियत भरी जिंदगी से भी बाहर लाता है। चारू के अमल की तरफ बढ़ते झुकाव को देखते हुए अपने पति से उसकी बहस होती है और टैगोर ने इसे जिन शब्दों में अभिव्यक्त किया है, वह चारुलता के किरदार को काफी बोल्ड बना देते हैं।
हेमानलिनी और कमला दिखी हैं काफी मजबूत
'नौका डूबी' में हेमानलिनी का किरदार बहुत स्ट्रॉन्ग दिखाया गया है, जिसका साथी रमेश उसे छोड़कर किसी और महिला से शादी कर लेता है। आमतौर पर रियल लाइफ में ऐसी स्थिति आए तो महिलाएं टूट जाती हैं, लेकिन हेमानलिनी इससे खुद को बिखरने नहीं देती। वह अपने भाई के दोस्त से इस आधार पर शादी करने से इनकार भी कर देती है। इसी कहानी में एक और महिला पात्र है कमला। कमला को जब यह पता चलता है कि वह जिसके साथ रहती है, वह उसका वास्तविक पति नहीं है तो वह अपने वास्तविक पति की खोज में निकल पड़ती है। इन महिला किरदारों काफी मजबूत दिखाया गया है कि वे अपने दुखों से ऊपर उठकर अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं।
विधवा के किरदार में बिनोदिनी
'चोखेर बाली' में टैगोर ने एक विधवा की तकलीफ भरी जिंदगी और उसके सेक्शुअल इमेंसिपेशन को बहुत भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया है। अविश्वास, विवाहेतर संबंध और झूठ पर आधारित इस कहानी में पुरुष सत्तात्मक समाज का दबदबा जाहिर होता है, जहां युवा लड़कियों की शादी उनसे कहीं ज्यादा उम्रदराज पुरुषों के साथ कर दी जाती हैं। इस कारण वे कम उम्र में विधवा हो जाती हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता भी बाधित हो जाती है। इस कहानी में एक महिला की सोच, समाज की बंदिशों से होने वाली उकताहट और समाज की महिलाओं की स्थिति के प्रति उदासीनता भी साफ झलकती है। लेकिन तकलीफदेह स्थितियों में भी एक विधवा किस तरह खुद को लोगों की सोच के एक तंग दायरे से बाहर निकालती है, चोखेर बाली में यह बड़े व्यावहारिक तरीके से दिखाया गया है।
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