वैलेंटाइन डे कपल के लिए काफी खास होता है। इस दिन को कपल काफी खास तरीके से मनाते है। एक दूसरे से प्यार का इजहार करते हैं। एक- दूसरे को खुश करने के लिए वह सभी कुछ करते हैं जो आपके पार्टनर को पसंद हो। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि वैलेंटाइन डे के पीछे का इतिहास क्या है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको वैलेंटाइन डे के पीछे का इतिहास विस्तार से बताने वाले हैं।
14 फरवरी हर एक कपल के लिए खास है। प्रेम करने वाले हर एक व्यक्ति को इस दिन का खास इंतजार होता है। हर एक वक्ति इस दिन को काफी खास तरीके से मनाते हैं। प्यार में कोई शर्त नहीं होती बिना कुछ कहे एक दूसरे की बात को समझ लेना इसी को प्यार कहते हैं। एक- दूसरी की मजबूरी को समझना साथ ही हर एक सुख- दुख में एक- दूसरे का साथ निभाना इसे प्यार कहते हैं।
बताया जाता है कि 270 ईसवी में रोमन साम्राज्य के दौरान क्लाउडियस गोथिकसं द्वितीय नामक राजा राज्य करता था। उसे प्रेम बिलकुल भी पसंद नहीं था। साथ ही वह शादी के खिलाफ भी था। उसका मानना था कि प्रेम और शादी के चक्कर में योद्धा अपना लक्ष्य भूल जाता है।
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राजा क्लाउडियस गोथिकस द्वितीय ने सैनिकों के विवाह पर भी रोक लगा दी थी। राजा का मानना था कि सैनिक बिना शादी के भी ताकतवर है। उसी राज्य में संत वैलेंटाइन भी रहते थे। उसे राजा के इस नियम का विरोध किया। साथ ही उन्होंने सैनिकों को भड़काया की वह शादी कर लें। कई सैनिकों ने उनकी बात को मानकर शादी भी कर लीं।
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राजा को संत वैलेंटाइन डे के बारे में जानकारी मिली ऐसे में उन्होंने उनसे मिलने को कहा। मिलने के बाद राजा ने संत से उनका धर्म बदलने को कहा। राजा ने संत को क्रिश्चियन धर्म छोड़कर रोमन धर्म अपनाने के लिए कहा। संत वैलेंटाइन ने इस बात से साफ इंकार कर दिया साथ ही उन्होने राजा को ही अपना धर्म बदलने को कहा। ऐसे में राजा को काफी गुस्सा आया और उन्होने संत को मारने की बात कह दी।
आपको बता दें कि राजा ने जिस दिन संत को मारा था उस दिन 14 फरवरी थीं। ऐसा कहा जाता है कि उनके मरने के बाद से ही वैलेंटाइन डे 14 फरवरी को मनाया जाने लगा था। साल 496 में पहली बार वैलेंटाइन डे मनाया गया था। तब से लेकर आज तक 14 फरवरी को प्रेम का दिन वैलेंटाइन डे काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
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