हज पर जाने वाले लोग आब-ए-जम-जम का पानी क्यों लाते हैं?

क्या आपको मालूम है की मक्का मदीना जाने वाले लोग आब-ए-जम-जम का पानी अपने साथ लेकर क्यों आते हैं?

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2024-06-25, 20:43 IST
do hajj pilgrims bring aab e zamzam

हज एक पवित्र तीर्थयात्रा है जो हर मुसलमान को अपने जीवन में काम से कम एक बार जरूर करनी चाहिए। यह महीना हज का है और आपने अक्सर गौर किया होगा कि जब हज यात्री, हज करके वापस अपने-अपने देश और घर लौटते हैं तो आब-ए-जम-जम जरूर लेकर आते हैं। बता दें की आब-ए-जम-जम का पानी मुसलमान में सबसे पवित्र माना जाता है। आब-ए-जम-जम से जुड़े सभी सवालों का जवाब हम आपको इस आर्टिकल के जरिए दे रहे हैं।

हज पर जाने वाले लोग आब-ए-जम-जम का पानी क्यों लाते हैं?

haj pilgrims wears white ihram

बता दें कि आब-ए-जम-जम का कुआं अल्लाह की तरह से अपने बंदे को दिया जाने वाला एक कुदरती तोहफा है। इसका इस्लाम धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है। मक्का मदीना से आब-ए-जम-जम लाने के पीछे का खास कारण यह है कि जो लोग भी अल्लाह के इस कुदरत से महरूम हैं उन तक यह पानी पहुंच जाए। लोग इसे तोहफे के तौर पर लेकर आते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटते हैं। इस्लाम के जानकारी के मुताबिक इस पानी में बड़ी शिफा होती है, अगर कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसे सबसे पहले आब-ए-जम-जम ही पिलाया जाता है।

आब-ए-जम-जम को शिफा देने वाला पानी क्यों माना जाता है?

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आब-ए-जम-जम खाने काबा से करीब 20 मीटर की दूरी पर मक्का में मस्जिद अल-हरम में मौजूद है। इस कुएं को हजारों साल से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन इसका पानी कभी भी नहीं सूखता है और ना ही इसमें कभी कमी होती है। आब-ए-जमजम का कुआं 4000 साल पुराना है। इस्लाम के जानकार बताते हैं कि अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम को आदेश दिया कि वह अपनी बीबी हाजरा और बेटे स्माइल को फिलिस्तीन ले जाएं, इस यात्रा के दौरान उन्हें खजूर और पानी दिया गया, हालांकि कुछ ही समय में यह दोनों ही चीज खत्म हो गई। पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजरा और इस्माइल भूख प्यास से बेहाल हो गए, मक्का में उसे वक्त ना तो आसपास लोग रहते थे ना ही पानी का कोई सोर्स था, हजरत इस्माइल प्यास से तड़प रहे थे जान जाने की नौबत आ गई थी अपने बेटे की जान बचाने के लिए हजरत हाजरा पानी की तलाश में सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच दौड़ लगा रही थीं।

इस दौरान हजरत इस्माइल का पैर जमीन पर घिसटा और पानी का चश्मा निकल आया। हजरत हाजरा और हजरत इस्माइल की जान बच गई। जहां पर पानी की एक बूंद की उम्मीद नहीं थी, कुदरत के करिश्मा से पानी निकल आया। इसके बाद से ही इसे आब-ए-जम-जम कहा जाने लगा। इसके बाद ही यहां पर आबादी बस नहीं शुरू हुई।

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Image Credit: Freepik

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