अगर आपने हाल-फिलहाल में कोई नया बना हुआ टॉयलेट इस्तेमाल किया है, तो आपने देखा होगा कि उसमें फ्लश के लिए दो बटन दिए जाते हैं। दरअसल, पिछले कई सालों से फ्लश टैंक कुछ इसी तरह के सिस्टम के साथ आ रहे हैं जहां एक बड़ा और एक छोटा बटन दिया जाता है जिससे पानी को फ्लश किया जा सके। अधिकतर बार हम जल्दी में इनमें से कोई भी बटन दबा देते हैं और फ्लश हो जाता है, लेकिन इनका काम क्या है इसके बारे में शायद आपको ना मालूम हो।
फ्लश के दोनों बटन जब एक ही काम करते हैं, तो एक की जगह दो बटन लगाने का सिस्टम ही क्यों आया? इसके पीछे भी एक लॉजिक है। चलिए आज हम उसी लॉजिक को ठीक से जानते हैं।
आखिर क्यों लगाया जाता है डुअल फ्लश?
दरअसल, इसके पीछे दो अलग-अलग लिवर (मेकेनिकल टर्म लिवर) काम करते हैं। ये दोनों ही फ्लश के एग्जिट वॉल्व से जुड़े हुए होते हैं। आप चाहे जो भी बटन दबाएं दोनों इसी वॉल्व को खोलने का काम करते हैं। पर दोनों का काम अलग होता है।
छोटा बटन असल में पानी की बचत के लिए दिया जाता है। लिक्विड वेस्ट को फ्लश करने के लिए छोटा बटन इस्तेमाल करना चाहिए और सॉलिड वेस्ट को फ्लश करने के लिए बड़ा बटन।
अगर आप बड़े की जगह छोटा बटन दबाते हैं, तो एक बार में 3 से लेकर 4.5 लीटर तक पानी फ्लश किया जाता है। कितना पानी फ्लश हो रहा है वह टैंक की क्षमता पर निर्भर करता है। अब यहीं अगर आप बड़ा बटन दबाते हैं, तो 6 से लेकर 9 लीटर तक पानी फ्लश किया जाता है।
क्यों सिंगल फ्लश टॉयलेट अभी भी होते हैं इस्तेमाल?
इसका सीधा सा कारण है सिंगल फ्लश टॉयलेट्स का सस्ता होना। ये टॉयलेट्स काफी हद तक कॉस्ट इफेक्टिव होते हैं और इनमें और डुअल फ्लश टॉयलेट की कीमत में कम से कम 2000 और ज्यादा से ज्यादा 10 हजार रुपये तक का अंतर आ सकता है। हालांकि, कीमत कितनी होगी वह पूरी तरह से टैंक साइज और स्टाइल पर निर्भर करता है।
क्या होगा अगर दोनों बटन एक साथ दबाए जाएं?
अधिकतर लोगों को लगता है कि अगर दोनों बटन साथ दबाए जाएं, तो बहुत ज्यादा फोर्स से फ्लश में पानी आएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों बटन साथ दबाने पर फ्लश टैंक पूरा खाली हो जाएगा क्योंकि दोनों एग्जिट वॉल्व को खोल देंगे, लेकिन ऐसा नहीं है कि दोनों साथ दबाने पर फ्लश टैंक की कैपेसिटी से ज्यादा पानी निकलेगा। हालांकि, ऐसा करना नहीं चाहिए क्योंकि इससे एग्जिट वॉल्व या फ्लश बटन के खराब होने की गुंजाइश भी बनी रहती है।
लगभग कितना पानी हो सकता है सेव?
इसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना तो संभव नहीं, लेकिन एक रिपोर्ट मानती है कि डुअल फ्लश वाले टॉयलेट 67% तक पानी की बचत कर सकते हैं। इसे साल भर में लगभग 20 हजार लीटर पानी की बचत के तौर पर देखा जा सकता है।
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क्या है डुअल फ्लश टॉयलेट्स के नुकसान?
ये टॉयलेट्स महंगे आते हैं और इनका वर्किंग मेकैनिज्म भी आसान नहीं होता है। ऐसे में डुअल फ्लश टॉयलेट्स की मेंटेनेंस ठीक नहीं होती है। अगर इनकी मेंटेनेंस की बात करें, तो ये सिंगल फ्लश टॉयलेट के मुकाबले कई गुना ज्यादा खर्च ले लेते हैं। एक बार खराब होने पर इनकी रिपेयरिंग भी आसान नहीं रह जाती है।
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