आखिर क्यों नागा साधु छोड़कर जा रहे हैं महाकुंभ ?

आस्था के महापर्व महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ हुई थी। इसका समापन महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, यानी 26 फरवरी को होगा। नागा साधु, जो महाकुंभ के प्रमुख आकर्षणों में से एक होते हैं, उन्होंने बसंत पंचमी के बाद से ही महाकुंभ से वापस जाना शुरू कर दिया। आखिर वह महाकुंभ से क्यों लौट रहे हैं, इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान, लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई, और देश भर के अखाड़ों के नागा साधु और संत भी यहां स्नान के लिए पहुंचे। इस महाकुंभ में, लोग अमृत स्नान के साथ-साथ देशभर के साधु-संतों के दर्शन और उनका आशीर्वाद पाने के लिए भी उमड़े। लेकिन, अब सभी नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों के साथ वापस जा रहे हैं। सभी के मन में यह सवाल है कि अगर महाकुंभ का पर्व महाशिवरात्रि तक चलेगा, तो नागा साधु अभी से वापस क्यों जा रहे हैं? आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

आखिर नागा साधु महाकुंभ से वापस क्यों लौट रहे हैं?

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नागा साधु अपने जीवन की सभी सुख-सुविधाओं को छोड़कर पूर्ण रूप से साधना में लीन रहते हैं। आमतौर पर वह आश्रम, पहाड़ों और जंगलों में तपस्या करते हैं, लेकिन जब भी कुंभ मेले का आयोजन होता है, तो यह सभी नागा साधु और संत वहां वहां आते हैं और अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करते हैं। इस बार प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन किया गया था। दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या को और तीसरा बसंत पंचमी के दिन किया गया। साधु-संतों के लिए अमृत स्नान का खास महत्व होता है।
मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है। महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद साधु-संत ध्यान लगाते हैं और धर्म ज्ञान पर चर्चा करते हैं, इसलिए बसंत पंचमी के दिन तीसरे और आखिरी अमृत स्नान करने के बाद सभी नागा साधु और संत अपने-अपने अखाड़ों के साथ महाकुंभ से वापस जा रहे हैं। इसका यह कारण है कि पौष पूर्णिमा से लेकर बसंत पंचमी तक सूर्यदेव मकर राशि में थे और बृहस्पति वृषभ राशि में थे। जिसके कारण अमृत स्नान पुण्य तिथियों पर नागा साधुओं ने किया और अब सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं और मिथुन राशि में बृहस्पति प्रवेश करेंगे। जिसके कारण इन तिथियों में स्नान तो किया जाएगा, लेकिन इन तिथियों पर अब अमृत स्नान नहीं किए जाएंगे और अमृत स्नान नागा साधुओं के लिए बेहद शुभ होता है और अब इन तिथियों पर अमृत स्नान न होने के चलते वह महाकुंभ से वापस लौट रहे हैं।

नागा साधु कब दोबारा कब आएंगे नजर?

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नागा साधु, जो अपनी रहस्यमयी और कठोर जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं, वे महाकुंभ मेले के दौरान ही बड़ी संख्या में एक साथ दिखाई देते हैं। आम लोगों को उनके दर्शन साल में एक बार ही नसीब होते हैं। नागा साधुओं का अगला जमावड़ा साल 2027 में नासिक में होने वाले महाकुंभ मेले में देखने को मिलेगा। इस मेले का आयोजन नासिक में गोदावरी नदी के तट पर किया जाएगा, जहां हजारों की संख्या में नागा साधु एकत्रित होंगे और अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करेंगे। यह महाकुंभ नागा साधुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जहां वे अपनी तपस्या और साधना को और भी अधिक ऊँचाई पर ले जाते हैं। नागा साधुओं के इस समागम को देखना अपने आप में एक अद्भुत और प्रेरणादायक अनुभव होता है।

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Image Credit- HerZindagi

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