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maha kumbh mein kya hai shahi snan ke labh

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में कौन करता है सबसे पहले शाही स्नान? जानें इससे जुड़े नियम, विधि और लाभ

पौष माह की पूर्णिमा से शुरू होकर महाकुंभ महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा। यानी कि 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी दिन होगा।
Editorial
Updated:- 2024-11-22, 14:58 IST

साल 2025 के जनवरी महीने में महा कुंभ का आरंभ होने वाला है। पौष माह की पूर्णिमा से शुरू होकर महाकुंभ महाशिवरात्रि पर समाप्त होगा। यानी कि 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी और 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी दिन होगा। साल 2025 में लगने वाला यह महा कुंभ 12 वर्षों के बाद आयोजित होने जा रहा है। ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

हर साल में लगने वाले इस महा कुंभ को बहुत खास माना जाता है क्योंकि इस महाकुंभ में शाही स्नान करने का अवसर प्राप्त होता है। महाकुंभ में शाही स्नान करना बहुत लाभकारी और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि बिना शाही स्नान के महाकुंभ का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि महाकुंभ में शाही स्नान के क्या लाभ और नियम हैं।

कौन करता है महाकुंभ सबसे पहले शाही स्नान?

kaun karta hai maha kumbh mein sabse pehle shahi snan

हर 12 साल में जब भी महाकुंभ लगता है तब शाही स्नान का सबसे पहला मौका नागा साधुओं को मिलता है। शास्त्रों में भी यह बताया गया है कि महाकुंभ में शाही स्नान का सर्व प्रथम अधिकारी एक मात्र नागा साधुओं का है।

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कब करना चाहिए गृहस्थ लोगों को शाही स्नान?

महाकुंभ में नागा साधुओं के बाद दूसरे नंबर पर संत समाज स्नान करता है। संत समाज के स्नान के बाद ही गृहस्थ लोगों को स्नान के लिए संगम नदी में उतरना चाहिए। भूल से भी नागा साधु या संतों से पहले स्नान न करें।

maha kumbh ke shahi snan ke bare mein

क्या हैं महाकुंभ में शाही स्नान के नियम?

महाकुंभ के शाही स्नान को राजयोग स्नान भी कहा जाता है। ऐसे में शाही स्नान के समय भूल से भी साबुन या शैम्पू जैसी चीजें लेकर न नदी में प्रवेश न करें। किसी भी प्रकार की अशुद्ध वस्तु को स्नान के समय नदी में न डालें।

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क्या है महाकुंभ में शाही स्नान के अद्भुत लाभ?

kya hota hai maha kumbh ka shahi snan

महाकुंभ में शाही स्नान करने से व्यक्ति में दैवीय तत्व जागृत होते हैं जो उसे आध्यात्म की ओर बढ़ा ले जाते हैं। महाकुंभ में शाही स्नान करने से भयंकर से भयंकर रोग भी दूर होता है। व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है।

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