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Maha Kumbh 2025: आखिर महाकुंभ प्रयागराज में ही क्यों लगता है?

साल 2025 में उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। यह मेला कुल 45 दिनों तक चलेगा। अब ऐसे में सवाल है कि आखिर महाकुंभ हमेशा प्रयागराज में ही क्यों लगता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2024-11-21, 15:43 IST

महाकुंभ मेले का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में किया जाता है। वहीं इस बार भी महाकुंभ का मेला साल 2025 में आयोजन होने वाला है।

महाकुंभ मेले में लाखों संख्या में साधु और संत शामिल होते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ मेले में शाही स्नान करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। वैदिक पंचांग के हिसाब से हर 12 साल बाद पौष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। जो महाशिवरात्रि तक चलता है। वहीं इस साल महाकुंभ मेले का आरंभ 13 जनवरी 2025 से होने वाला है और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को होने वाला है।

अब ऐसे में सवाल है कि महाकुंभ मेले का आयोजन हमेशा प्रयागराज में क्यों किजा जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

प्रयागराज में ही क्यों लगता है महाकुंभ मेला

Maha Kumbh

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ मेले की शुरुआत की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई हैं। कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया। तो उस मंथन से अमृत का घट निकला।

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अमृत को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच युध्द छिड़ गया था। जिसके चलते भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को अमृत के घड़े की सुरक्षा उन्हें सौंप दिया। गरुड़ जब अमृत को लेकर उड़ रहे थे। तब अमृत के कुछ बूंदें चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिर गईं। तभी से कुंभ के मेले का आयोजन इन चार स्थानों पर पड़ता है। इतना ही नहीं, ऐसी मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच 12 दिवसीय युद्ध हुआ था। जो मानव वर्षों के लिए 12 साल के बराबर माना गया है। इसलिए हर साल 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।

mahakumbh 2025

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प्रयागराज में ही गंगा- यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है। जिसके कारण यह स्थान अन्य जगहों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दें, सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी हैं, लेकिन यह पवित्र नदी अभी भी पृथ्वी के धरातल पर बहती है। ऐसा कहा जाता है कि प्रयागराज कलयुग के समय को दर्शाती है कि कलयुग का अंत होने में अभी कितना समय शेष है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि इन तीनों नदियों के संगम में जो व्यक्ति शाही स्नान करता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रयागराज में इसकी महत्ता अधिक है।

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Image Credit- HerZindagi

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