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न्यूटन के जन्म से 1000 साल पहले ही हो गई थी गुरुत्वाकर्षण की खोज, जानें कौन से हिन्दू ग्रन्थ में किसने लिखा था इस बारे में

जब न्यूटन का जन्म भी नहीं हुआ था तब एक भारतीय ने, एक ऋषि ने गुरुत्वाकर्षण से जुड़े वो तथ्य उगाकर कर शास्त्रों में लिख दिए थे जिसकी थ्योरी न्यूटन ने 1000 साल से भी ज्यादा के बाद डिस्कवर की थी। 
Editorial
Updated:- 2025-01-29, 17:00 IST

हम सभी ने यह पड़ा है कि ग्रेविटी यानी कि गुरुत्वाकर्षण की खोज आइज़क न्यूटन ने 1666 के आसपास की थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि न्यूटन से पहले ही ग्रेविटी के बारे में हिन्दू धर्म शास्त्रों में बताया गया है। जब न्यूटन का जन्म भी नहीं हुआ था तब एक भारतीय ने, एक ऋषि ने गुरुत्वाकर्षण से जुड़े वो तथ्य उगाकर कर शास्त्रों में लिख दिए थे जिसकी थ्योरी न्यूटन ने 1000 साल से भी ज्यादा के बाद डिस्कवर की थी। आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर न्यूटन से पहले ही किसने की थी ग्रेविटी की खोज।

न्यूटन से पहले किसने की थी ग्रेविटी की खोज?

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आइजैक न्यूटन का जन्म 4 जनवरी 1643 को हुआ था। इनके जन्म के हजार साल पहले एक भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ब्रह्मगुप्त ने अपनी किताब ब्रह्मस्फुट-सिद्धांत में यह लिखा था कि जिस प्रकार अग्नि का काम है जलाना, पानी का काम है बहना, ठीक वैसे ही पृथ्वी का काम है अपनी ओर चीजों को आकर्षित करना।

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इस किताब के समय काल की बात करें तो यह साल 628 में लिखी गई थी। इस किताब में उन्होंने बताया था कि पृथ्वी में एक बल है जो चीजों को अपनी ओर खींचता है। किताब का लेखन पूर्ण होने के कुछ समय बाद ही ब्रह्मगुप्त की मृत्यु हो गई और तकरीबन 500 साल बाद भास्कर 2 ने ब्रह्मगुप्त द्वारा लिखी इन पंक्तियों को नाम दिया।

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भास्कर 2 ने ब्रह्मगुप्त की किताब में लिखीं इन पंक्तियों को एक शब्द में जोड़कर लिखा कि हर चीज को अपनी तरफ खींचे वाली यानी कि आकर्षण करने वाली ऊर्जा 'गुरुत्वाकर्षण' कहलाई जाएगी। भास्कर 2 की जब मृत्यु हुई तो उसके भी 500 साल बाद जन्म हुआ न्यूटन का। ऐसा में यह साफ़ है कि न्यूटन से पहले भारतीय ने ग्रेविटी की खोज की थी।

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ऐसा भी कहा जाता है कि न्यूटन ने ग्रेविटी से जुड़े तथ्यों को और भी ज्यादा विस्तृत करने के लिए हमारे ही शास्त्रों का अध्ययन किया था। इस बारे में जानने के बाद यह कहना पूरी तरह से उचित है की सनातन परंपरा और हिन्दू धर्म शास्त्र पूर्णतः वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हैं और ऐसी कई चीजें हैं जिनके बारे में हमारे शास्त्रों में युग के आरंभ में ही बता दिया गया है।

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