नया फाइनेंशियल ईयर जैसे ही शुरू होता है वैसे ही टैक्सपेयर्स के बीच इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और उसके डॉक्यूमेंट्स जुटाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। वहीं, जुलाई का महीना जैसे ही करीब आने लगता है लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइन करने का प्रोसेस भी शुरू कर देते हैं। ऐसे में आप नौकरीपेशा हैं और सैलरी ही आपका इकलौता इनकम सोर्स है तो आपको थोड़ा ज्यादा सावधानी बरतनी होगी, जिससे आप अपना टैक्स बचा सकें और किसी परेशानी में भी न पड़ें।
सैलरी ही आपका इकलौता इनकम सोर्स है तो आपको अपनी कंपनी से फॉर्म-16 लेना होगा। आप तब ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकती हैं। फॉर्म 16 के अलावा आपको 7 बातों का ध्यान रखना होगा। क्योंकि, बिना सही जानकारी के ITR फाइल करना आपको बिना वजह की मुश्किलों में डाल सकता है। आइए, यहां जानते हैं वह 5 बातें कौन-सी हैं जिन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले हर सैलरी एम्पलाई को ध्यान रखना चाहिए।
ITR भरने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान
सही इनकम टैक्स फॉर्म
अगर आपकी इकलौती इनकम सैलरी ही है तो आपको ITR-1 फॉर्म भरना होगा। सैलरी के साथ सेविंग्स या FD पर इंटरेस्ट मिलता है तो भी फॉर्म 1 ही भरना होगा। वहीं, अगर सैलरी के अलावा प्रॉपर्टी या स्टॉक मार्केट से भी कमाई करती हैं तो ITR-2 फॉर्म भरना जरूरी होता है। ऐसे में जब भी इनकम टैक्स फाइल करें तो सोच-समझकर फॉर्म भरें। इसके अलावा अगर आपको जरूरत लगे तो किसी प्रोफेशनल की मदद भी ले सकती हैं।
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टैक्स रिजीम सोच-समझकर चुनें
भारत में फिलहाल रिटर्न फाइल करने के लिए दो टैक्स रिजीम मौजूद हैं। पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्स में छूट 7 लाख तक है, तो वहीं नई टैक्स रिजीम में 12 लाख तक इनकम तक छूट दी गई है। लेकिन, दोनों ही रिजीम की अपनी-अपनी शर्तें हैं। ऐसे में आप जब भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें तो सोच-समझकर टैक्स रिजीम चुनें।
अगर आप पुराना टैक्स रिजीम चुनना चाहती हैं, तो इसकी जानकारी अपनी कंपनी को पहले देनी होगी। अगर आप यह जानकारी नहीं देती हैं तो नई टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट मान ली जाएगी।
फॉर्म 26AS से वेरिफिकेशन
फॉर्म 16 के अलावा सैलरी वाले टैक्सपेयर्स की डिटेल्स फॉर्म 26AS में भी होती हैं। ऐसे में रिटर्न फाइल करने से पहले अपनी सैलरी, सेविंग्स/FD पर इंटरेस्ट और अन्य डिटेल्स को फॉर्म 26AS से वेरिफाई कर लें।
HRA की डिटेल्स देखें
सैलरी आपकी इकलौती कमाई है और आप किराए के मकान में रहती हैं तो पुराना टैक्स रिजीम चुनना ही बेहतर हो सकता है। क्योंकि, पुरानी रिजीम में HRA पर टैक्स छूट मिलती है। वहीं, अगर आप किराए पर नहीं रहती हैं तो नया टैक्स रिजीम चुन सकती हैं। यही वजह है कि टैक्स रिजीम चुनते समय सभी डिटेल्स पर फोकस करने की सलाह दी जाती है।
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इन्वेस्टमेंट पर भी ध्यान दें
अगर आपने PPF, SSY, KVP, NSC जैसी सरकारी स्कीम्स में निवेश किया है तो आप नया टैक्स रिजीम न चुनें। क्योंकि हो सकता है कि इसमें आपको टैक्स छूट न मिले। हालांकि, यह स्कीम्स लंबे समय में ज्यादा फायदा लेने और पुरानी टैक्स रिजीम में आपको छूट देने में मदद कर सकती हैं। अगर आप पहली बार टैक्स रिटर्न फाइल कर रही हैं और सैलरी के अलावा आपकी कोई इन्वेस्टमेंट या हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस नहीं है तो आपको सीधा-सीधा डिटेल्स भरनी होंगी, आप चाहें तो किसी चार्टेड अकाउंटेंट या प्रोफेशनल की मदद भी ले सकती हैं।
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Image Credit: Freepik
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