हिंदू धर्म में जिस तरह से सभी त्योहारों का अपना-अपना महत्व है, ठीक उसी प्रकार से पितृ पक्ष को भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसी मान्यता है कि 15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज अपने परिजनों से मिलने के लिए आते हैं। इस दौरान उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए पूजा-पाठ और अनुष्ठान कराया जाता है, साथ ही उन्हें तर्पण भी दिया जाता है।
इस विषय पर हमारी बातचीत ग्लोबल फाउंडेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंस की चेयरपर्सन एवं एस्ट्रोलॉजी शेफाली गर्ग से हुई। शेफाली जी कहती हैं, 'वैसे तो पितरों को हर शुभ काम से पहले, त्योहारों पर और हर दिन भगवान की पूजा करते वक्त याद करना चाहिए और प्रणाम करना चाहिए। इतना ही नहीं, आपको अपने पितरों के आगे नियमित दिया रखना चाहिए और उन्हें भोग लगना चाहिए। लेकिन पितृ पक्ष के समय अपने पितरों का श्राद्ध जरूर करें। इस दौरान उन्हें स्मरण करने पर आपको उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।'
हालांकि, कई बार लोगों को अपने पितरों के देहांत की तिथि स्मरण नहीं रहती है। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान उनका श्राद्ध कब करना चाहिए, ऐसी दुविधा भी कुछ लोगों के मन में होती है। इस बारे में शेफाली कहती हैं, 'अगर आपको अपने पूर्वजों के देहांत की तिथि न पता हो तो भी आप उनका श्राद्ध कर सकते हैं, मगर इस दौरान कुछ विशेष दिनों पर ही आप ऐसा कर सकते हैं।'
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यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन पितृ विसर्जन होता है, इस दिन को सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। अगर आप अपने किसी पूर्वज का श्राद्ध करना भूल गए हैं, तो पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन आप उन्हें तर्पण दे सकते हैं। इस दिन पूजा-पाठ (पूजा-पाठ के दौरान इन बातों का रखें ध्यान) और अनुष्ठान का आयोजन भी करा सकते हैं और किसी ब्राह्मण को भोजन भी करा सकते हैं। इस वर्ष अमावस्या 6 अक्टूबर को है।
पितृ पक्ष 9वें दिन अष्टमी श्राद्ध होती है। इस दिन आप किसी भी पुरुष का श्राद्ध कर सकते हैं। विशेष तौर पर जातक अपने पिता या पिता तुल्य किसी व्यक्ति का श्राद्ध इस दिन कर सकता है। इस वर्ष 29 सितंबर के दिन अष्टमी श्राद्ध पड़ेगी।
घर की किसी महिला के देहांत की तिथि आपको याद न हो, तो पितृ पक्ष 10वें दिन नवमी श्राद्ध होती है। इस दिन आप अपनी माता या फिर माता तुल्य किसी भी महिला का श्राद्ध कर सकते हैं। इसे मातृ नवमी भी कहा जाता है, इस वर्ष 30 सितंबर के दिन नवमी श्राद्ध पड़ेगी।
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द्वादशी को संन्यासी, यति, वैष्णव जनों का श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने संन्यास ले लिया हो तो इस दिन उसका श्राद्ध मनाया जा सकता है। इस वर्ष पितृ पक्ष के 13वें दिन पड़ने वाली द्वादशी 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पितृ पक्ष के दूसरे दिन प्रतिपदा श्राद्ध (जानें कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष) होती है। अगर आपको अपने दादा और नानी के देहांत की तिथि ज्ञात न हो, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इस वर्ष 21 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध पड़ रही है।
पितृ पक्ष के 15वें दिन चतुर्दशी श्राद्ध मनाई जाती है। इस वर्ष 5 अक्टूबर को चतुर्दशी है, इस दिन आप उन लोगों का श्राद्ध मना सकते हैं जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो या फिर असमय ही देहांत हो गया हो।
अगर आपको अपने किसी पूर्वज के देहांत की तिथि ज्ञात नहीं है, तो आप एस्ट्रोलॉजी द्वारा बताई गई तिथियों के हिसाब से उनका श्राद्ध मना सकते हैं और उन्हें तर्पण दे सकते हैं। यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही इसी तरह धर्म और शास्त्रों से जुड़े लेख पढ़ने के लिए देखती रहें हरजिंदगी।
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