अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष में अनुष्ठान किया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध वाले दिन ब्राह्मण भोजन का बहुत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध वाले दिन पितृ स्वयं ब्राह्मण के रूप में उपस्थित होकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए अपने पितरों के श्राद्ध के दिन घर में ब्राह्मण भोज जरूर कराना चाहिए। हालांकि शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध का भोजन बनाते समय बहुत सावधानी रखनीचाहिए नहीं तो पितृ नाराज भी हो सकते हैं। जी हां श्राद्ध का खाने बनाते समय पूरी शुद्धता के साथ हर चीज साफ और स्वच्छ होनी चाहिए। आइए जानिए श्राद्ध का भोजन बनाते और खिलाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तभी पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।
श्राद्ध में खीर
श्राद्ध में खीर का खास महत्व है, लेकिन खीर गाय के दूध से बनानी चाहिए। भैंंस के दूध को अवॉइड करना चाहिए। श्राद्ध में दूध, दही, घी का इस्तेमाल किया जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि दूध, दही, घी गाय का ही हो। पंडितों के अनुसार खीर सभी पकवानों में से उत्तम है। खीर मीठी होती है और मीठे खाने के बाद ब्राह्मण संतुष्ट हो जाते हैं जिससे पूर्वज भी खुश हो जाते हैं। पूर्वजों के साथ-साथ देवता भी खीर को बहुत पसंद करते हैं इसलिए देवताओं को भोग में खीर चढ़ाया जाता है।
नमक का सही इस्तेमाल
भोजन की शुद्धता के लिए नॉर्मल नमक की बजाय सेंधा नमक का इस्तेमाल अच्छा माना गया है। आयुर्वेद में रोजाना सेंधा नमक को प्रयोग में लाने की बात कही गई है क्योंकि यह सबसे शुद्ध होता है और इसमें किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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लहसुन और प्याज से बचें
श्राद्ध के दिन लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की किचन में बनाना चाहिए। इसमें उड़द की दाल के बड़े, दूध घी से बने पकवान, चावल की खीर, बेल पर लगने वाले मौसमी सब्जियां जैसी लौकी, तोरी, भिंडी, सीताफल और कच्चे केले की सब्जी ही बनानी चाहिए।
चप्पल के बिना बनाए खाना
पंडित भानुप्रताप नारायण मिश्र का कहना हैं कि ''श्राद्ध का खाना बनाते समय चप्पल पहनने से बचना चाहिए। हां आप लकड़ी की चप्पल पहन सकती हैं क्योंकि लकड़ी को शुद्ध माना जाता है। पुरातन समय में चमड़े का जूता पहनना, कई धार्मिक कारणों से मान्य नही था। इसलिए खड़ाऊ का ही इस्तेमाल किया जाता था। आप भी खाना बनाते समय खड़ाऊ का इस्तेमाल कर सकती हैं।''
खाने बनाने की दिशा
पंडित भानुप्रताप नारायण मिश्र का कहना है कि ''श्राद्ध का खाना बनाते समय दक्षिण की तरफ मुंह करके खाना नहीं बनाना चाहिए। पूर्व की तरफ मुंह करके ही खाना बनाना चाहिए। आप किस दिशा की ओर मुंह करके खाना बनाते हैं और किस दिशा की ओर मुंह करके खाना खाते हैं, इस पर कई बातें निर्भर करती हैं क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सब से महत्वपूर्ण हिस्सा रसोई को माना जाता है। किचन घर में किसी भी दिशा में हो, लेकिन खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा की ओर ही रहे, ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।''
चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल
शास्त्रों में चांदी को सबसे पवित्र, शुद्ध और अच्छी धातु माना गया है। श्राद्ध में ब्राह्मणों को चांदी के बर्तन में भोजन कराने से बहुत पुण्य मिलता है। इसमें भोजन कराने से समस्त दोषों और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। अगर चांदी के बर्तन में रखकर पानी पितरों को अर्पण किया जाए तो वे संतुष्ट होते हैं। चांदी की थाली या बर्तन उपलब्ध न हो तो सामान्य कागज की प्लेट या दोने-पत्तल में भोजन परोस सकती हैं।
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हिंदु मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध मनाने का मतलब है साल में एक बाद अपने पितरों को याद कर उन्हें भरपेट भोजन कराना और उनकी आत्माओं को खुश करना। माना जाता है कि इस प्रक्रिया में की गई छोटी-सी गलती भी पितरों को नाराज कर सकती हैंं। आपसे श्राद्ध के दौरान कोई भी चूक ना हो जाए। इसलिए हमारे द्वारा दिये इन टिप्स को जरूर अपनाएं।इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
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