आमतौर पर, 'डॉक्टर' शब्द का इस्तेमाल डॉक्टरों के लिए किया जाता है, जिन्होंने एमबीबीएस या मेडिकल संबंधित अन्य डिग्री पूरी की होती है। हालांकि, आपने कुछ ऐसे भी उदाहरण देखे होंगे, जो मेडिकल की पढ़ाई किए बिना भी अपने नाम के आगे डॉ. शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में, लोगों के मन में कई सारे सवाल उठते हैं कि आखिर मेडिकल से ताल्लुक न रखने वालों के नाम के आगे भी डॉक्टर क्यों लगा होता है। इसके पीछे क्या वजह हो सकती है, यह जानने के लिए लोग गूगल से सवाल भी पूछते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कब किसी नाम के पहले डॉ. लगाया जाता है।
किसी नाम के आगे कब लगता है डॉ. ?
वैसे तो मेडिकल की पढ़ाई किए बिना कोई भी व्यक्ति डॉक्टर नहीं बन सकता है। फिर, भी एक ऐसा नियम है, जिसके बाद कोई भी व्यक्ति अपने नाम से पहले डॉ. लगा सकता है। यह तभी संभव है, जब आप किसी विषय से पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं। पीएचडी, विश्वविद्यालयों की ओर से दी जाने वाली विद्या संबंधी डिग्री में सबसे ऊंची डिग्री मानी जाती है। इसे करने के बाद व्यक्ति गहन शोध और विशेषज्ञता हासिल कर लेता है। PhD का पूरा नाम Doctor of Psychology है। यही वजह है कि पीएचडी कंप्लीट करने के बाद नाम के आगे डॉक्टर लगाया जा सकता है।
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PhD करने के फायदे
PhD करके आप किसी भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं। वैसे बिना PhD के भी प्रोफेसर बना जा सकता है। PhD के लिए आपके पास Masters की डिग्री होनी चाहिए। तो यदि अभी तक आपने यदि मास्टर्स नहीं किया है तो अपने रुचि के हिसाब से मास्टर्स कोर्स में दाखिला ले लें। जब यह कोर्स पूरा हो जाए, तब PhD में एडमिशन करा लीजिएगा।
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किसी भी विश्वविद्यालयों में पीएचडी में एडमिशन लेने के लिए प्रवेश परीक्षा अनिवार्य है। ज्यादातर जगह इसे PAT या PET के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, अखिल भारतीय स्तर पर भी एक परीक्षा आयोजित की जाती है, जिसे NET या राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा कहा जाता है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर आपको किसी विश्विद्यालय के निजी प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होना जरूरी नहीं होता है, क्योंकि NET परीक्षा सेंट्रल लेवल पर होता है और यह सभी विश्वविद्यालयों में भी मान्य होता है।
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Image credit- Herzindagi
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