चुनाव आचार संहिता एक ऐसा कानून है जो चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकारी अधिकारियों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। यह तय करने के लिए डिजाइन किया गया है कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र हों और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके। वोट देने से पहले, ये जानना महत्वपूर्ण है कि चुनाव आचार संहिता क्या है और यह आपके चुनावी निर्णय को कैसे प्रभावित कर सकती है। मतदाताओं को आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को वोट देने से बचना चाहिए।
- यह निर्धारित करता है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिए कैसे और कब विज्ञापन दे सकते हैं।
- यह निर्धारित करता है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के लिए धमकाने या भ्रष्टाचार के साथ धन कैसे प्राप्त और खर्च कर सकते हैं।
- यह निर्धारित करता है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक या जातीय भावनाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

क्या होती है आचार संहिता?
चुनाव आयोग ने बीते सोमवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के तारीखों की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही साल 2023 में मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट' यानी ' आचार संहिता' लागू हो गई है। आइए जानते हैं क्या हैं यह चुनावी नियम और उससे जुड़े सवालों के जवाब।
क्या होता है आदर्श आचार संहिता?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा नियम बनाए जाते हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दलों, नेताओं और सरकार को इन नियमों का खासतौर पर पालन करना होता है।
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किन क्षेत्रों में लागू करने का है प्रावधान?
लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू हो जाती है। विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य स्तर पर आचार संहिता का पालन करना होता है। उप चुनाव के कोड केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र में लागू हो सकते हैं।
कब से लागू होता है आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक लागू रहती है।
आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं?
आदर्श आचार संहिता की मुख्य तौर पर यह बताया गया है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवार और सत्ता में रहने वाले दलों को चुनाव प्रचार, बैठक और जुलूस आयोजित करने, मतदान दिवस की गतिविधियों और कामकाज के दौरान अपना आचरण कैसा रखना है। उम्मीदवार पर किसी तरह का आरोप लगने पर चुनाव आयोग टिकट निरस्त भी कर देता है।
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चुनाव प्रचार करते समय क्या है दिशा-निर्देश?
चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। बिना सत्यापन के आरोपों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।
क्या चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थलों का उपयोग करने पर कोई प्रतिबंध है?
चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील नहीं की जा सकती है।
किस कानून के तहत बनी है आचार संहिता?
आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। दरअसल, यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनाई और विकसित हुई है। चुनाव आयोग इसके तहत सभी राजनीतिक दलों पर नियमों को लागू करता है। इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई भी की जाती है।
आचार संहिता नियम तोड़ने पर क्या होता है?
कोड का पालन न करने से नियमों का उल्लंघन होता है। इसके लिए उम्मीदवार या पार्टी के खिलाफ कार्रवाई या उसकी बर्खास्तगी भी हो सकती है।
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