एलजीबीटी यानी Lesbian, gay, bisexual और transgender समुदाय के लिए 2023 के दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ यानी DUSU चुनावों का अलग महत्व है। इस साल एलजीबीटी के हित में उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। एलजीबीटी समुदाय को अक्सर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। वे शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार के अवसरों तक पहुंच बनाने में वंचित रह जाते हैं या कहा जाए कि अब तक समाज में इनके लिए नीतियां नहीं बन पाई थी। लेकिन अब एलजीबीटी अधिकारों के हित में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की वजह से एलजीबीटी समुदाय को समान अधिकार मिलने में मदद मिलेगी।
DUSU यानी Delhi University Students Union चुनाव एक महत्वपूर्ण और देश भर में लोकप्रिय चुनाव है जो दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच में होता है। यह स्थानीय छात्र संघ के नेताओं का चयन करता है जो विश्वविद्यालय में छात्रों के हित में काम करता है। चुनाव में उम्मीदवारों का योजना यह है कि LGBT समुदाय के छात्रों के हित में कुछ महत्वपूर्ण प्रस्तावना शामिल किया जाए।
चुनाव में शामिल मुद्दा यह दिखाया कि एलजीबीटी समुदाय को स्वीकार किया जाता है और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाता है। यह भी दिखाएगा कि एलजीबीटी समुदाय को राजनीति में आवाज दी जा रही है।
एलजीबीटी के हित में उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने से एलजीबीटी समुदाय के लिए कई लाभ हैं। यह उन्हें एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां वे अपने मुद्दों को उठा सकते हैं और उनके लिए लड़ सकते हैं। यह उन्हें एक आवाज देगा और उन्हें सशक्त करेगा। यह उन्हें दिखाएगा कि वे अकेले नहीं हैं और कि उनके पास एक समुदाय है जो उनका समर्थन करता है। एलजीबीटी समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों के साथ पब्लिक प्लेस पर होने वाला बुरा व्यवहार, जहां उन्हें अपशब्द बोला जाता रहा है। इससे उन्हें सम्मान के साथ रहने का अधिकार मिलेगा।
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एलजीबीटी के हित में उम्मीदवारों के चुनाव जीतने से एलजीबीटी समुदाय के लिए और भी अधिक लाभ हो सकते हैं। यह उन्हें विश्वविद्यालय में एलजीबीटी अधिकारों के लिए काम करने का अवसर देगा। यह उन्हें विश्वविद्यालय में एलजीबीटी छात्रों के लिए एक सुरक्षित और समावेशी वातावरण बनाने में मदद करेगा। इससे उन्हें कैंपस में मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा। वे अपने अनुसार निर्णय लेने और लिए गए निर्णय का सम्मान किया जाएगा। आपको बता दें, इस चुनाव में अभी तक किसी एलजीबीटी के हित में उम्मीदवार का नाम सामने नहीं आया है।
जहां तक सहमति से एडल्ट के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने की बात है, भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को 6 सितंबर, 2018 को पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने सर्वसम्मति से खारिज कर दिया है। यानी समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है और ना ही एलजीबीटी समुदाय के निर्णय की आलोचना की जाएगी।
DUSU चुनाव 2023 में अगर उम्मीदवार इन मुद्दों को अपनाते हैं तो एलजीबीटी समुदाय के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। हर छात्र विश्वविद्यालय में अपने अधिकारों का उपयोग कर सके और सामाजिक रूप से लोग स्वीकार कर सकें।
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