Verified by dr shikha gupta (gynaecologist)
मेडिकल साइन्स की तरक्की से न केवल स्त्री बल्कि अब ट्रांसजेंडर भी बच्चे को जन्म दे सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार हार्मोनल प्रॉब्लम की वजह से ट्राजेंडर्स न तो पूरी तरह से महिला और न ही पूरी तरह से पुरुष होता है। इन्हें आम बोलचाल की भाषा में किन्नर कहा जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार शरीर में हार्मोन की परेशानी की वजह से सेकेंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर को उभार नही पाते हैं जिसकी वजह से वह थोडे डिफरेंट नजर आते हैं।
पहले के समय में जहां कुछ महिलाएं मां नहीं बन पाती थी। जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की परेशानियों झेलनी पड़ती थी। समय के साथ मेडिकल साइंस की मदद से कोई भी महिला मां बन सकती हैं। इसके अलावा आज ट्रांसजेंडर भी माता-पिता का सुख भोग सकते हैं। आपको यह पढ़कर यकीन नहीं हो रहा होगा,
भला ट्रांसजेंडर कैसे पैरेंट्स बन सकते हैं? लेकिन यह सच है। मेडिकल प्रोसेस के द्वारा ट्रांसजेंडर गर्भ धारण कर सकते हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा गुप्ता से बातचीत की है। उन्होंने बताया है कि आज के समय में जरूरी टेस्ट के बाद गर्भ धारण किया जा सकता है।
ट्रांसजेंडर कई तरह के होते हैं। ऐसे में डॉक्टर के पास जाकर जरूरी टेस्ट करवाने के बाद ही पता किया जा सकता है कि ट्रांसजेंडर प्रेग्नेंट हो सकते या नहीं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो खुद को भीतर से महिला मानता है, लेकिन पुरुष (लिंग और अंडकोष) के साथ पैदा हुआ होता है। इसी तरह एक व्यक्ति खुद को पुरुष मानता है लेकिन जन्म के साथ उनके पास गर्भाशय होते है। ऐसे में यह ट्रांसजेंडर गर्भधारण कर सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार कई ट्रांसजेंडर के ओवरी होती है ऐसे में वह IVF के माध्यम से गर्भ धारण कर सकते हैं। (प्रेग्नेंसी के लिए हेल्दी डाइट)
ओवरी ट्रांसप्लांट के द्वारा भी ट्रांसजेंडर बच्चे पैदा कर सकते हैं। दरअसल जिस व्यक्ति या फिर ट्रांस महिलाएं जिन्हें पहले ओवरी नहीं होती है। उन्हें मेडिकल प्रक्रिया द्वारा ओवरी ट्रांसप्लांट के द्वारा ओवरी लगाया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा ट्रांसजेंडर को मां बनाया जा सकता है। इस तरह का ट्रांसप्लांट बेहद खतरनाक हो सकता है।
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बेबी कंसीव करने के बाद डिलीवरी का समय बेहद नाजुक होता है। अधिकतर मामलों में ट्रांसजेंडर IVF की मदद से कंसीव कर लेते हैं लेकिन उनकी नॉर्मल डिलीवरी होना आसान नहीं होता है। ऐसे में डॉक्टर सी-सेक्शन के द्वारा डिलीवरी करते हैं।
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एक्सपर्ट के अनुसार फेमिनिज्म हार्मोन थेरेपी लेने के बाद ब्रेस्टफीडिंग करवा सकते हैं। फेमिनिज्म हार्मोन थेरेपी में ब्रेस्ट का विकास होता है। 6 महीने बाद ट्रास महिलाएं अपने बच्चे को दूध पिला सकती हैं।(प्रेग्नेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए)
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