दिल्ली शहर में बेसमेंट के लिए क्या है नियम, जानिए उल्लंघन करने पर क्या होगी सजा

दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित एक आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई, जिससे तीन छात्रों की मौत हो गई। दिल्ली नगर निगम के मुताबिक बेसमेंट के लिए क्या है नियम?

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दिल्ली में बेसमेंट का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है, जैसे कि रहने के लिए, दुकानों के लिए या अन्य कमर्शियल कामों के लिए। हालांकि, बेसमेंट के इस्तेमाल को लेकर कई नियम और विनियम हैं, जिन्हें पालन करना अनिवार्य होता है।

हाल ही में, दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में कई कोचिंग सेंटरों का बेसमेंट में संचालित किया जा रहा था। इसमें से एक Rau's IAS कोचिंग के बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने से 3 छात्र डूब गए थे, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। इस मुद्दे पर सड़क से लेकर संसद तक बवाल मचा हुआ है और छात्रों से लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी तक के नेता इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। इसमें सुरक्षा संबंधी कई चिंताएं उठाई जा रही है। इस घटना के बाद, नगर निगम ने बेसमेंट के नियमों को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। दिल्ली में जिला प्रशासन सजग और सतर्क हो गया है और अब बेसमेंट में कोचिंग सेंटर चलाने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

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आपराधिक लापरवाही पाई गई है

बेसमेंट का इस्तेमाल कमर्शियल इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है, लेकिन उसके कुछ नियम हैं। एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम सिर्फ भवन योजना को मंजूरी देती है, लेकिन अगर कोई 'बेसमेंट' का इस्तेमाल पार्किंग और स्टोरेज के लिए करने की घोषणा करने के बाद उसका व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करता है, तो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एजेंसी और क्या कर सकती है?

बेसमेंट का इस्तेमाल व्यावसायिक कार्यों के लिए सिर्फ कड़ी शर्तों का पालन करने के बाद ही संभव है। नियमों के मुताबिक, बेसमेंट जहां बना है, वहां का क्षेत्रफल कम से कम एक हेक्टेयर होना चाहिए। कोचिंग संस्थान के मालिक की ओर से सुरक्षा उपाय तय करने में घोर आपराधिक लापरवाही पाई गई है, क्योंकि 'बेसमेंट' में स्थित पुस्तकालय अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था और इसमें केवल एक ही प्रवेश और निकास द्वार था जो बायोमेट्रिक आधारित था और पानी के कारण बंद हो गया था।

मास्टर प्लान दिल्ली 2021 में हुए थे कुछ बदलाव

दिल्ली में बेसमेंट के इस्तेमाल और निर्माण को लेकर सख्त नियम हैं, दिल्ली विकास अधिनियम, 1957 की धारा 12 के तहत बेसमेंट के उपयोग को लेकर जो दिशा निर्देश दिए गए हैं, वे कई तरह के सवाल उठाते हैं। मास्टर प्लान दिल्ली 2021 में कुछ बदलाव हुए थे, जिससे बेसमेंट के उपयोग में कई लोगों को राहत मिली थी, खासकर कोचिंग सेंटर और अन्य व्यावसायिकों को। हालांकि, इसके लिए परमिशन और सुरक्षा की जरूरत होती है।

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बेसमेंट के उपयोग के नियम

बेसमेंट का उपयोग मुख्य रूप से पार्किंग और गैराज के लिए किया जाता है। बिल्डर्स के ऑफिस, घर के सामानों के स्टोरेज, बिना ज्वलनशील पदार्थों के स्टोरेज, बैंक सेलर्स के स्ट्रॉन्ग रूम्स, और एयर कंडीशनिंग उपकरणों के लिए बेसमेंट का उपयोग किया जा सकता है। लाइब्रेरी के स्टैक रूम्स के लिए भी बेसमेंट का उपयोग किया जा सकता है। एयर कंडीशंड कमर्शियल ऑफिस के रूप में भी बेसमेंट का उपयोग किया जा सकता है।

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बेसमेंट में रहने की मनाही

बेसमेंट को रेजिडेंशियल के लिए नहीं बनाया जा सकता। बेसमेंट में पर्याप्त वेंटिलेशन होना चाहिए। इसकी ऊंचाई 2.4 मीटर से अधिक होनी चाहिए और हर 50 स्क्वायर मीटर के एरिया में एक एग्जॉस्ट फैन होना चाहिए। बेसमेंट में सतह के ड्रेनेज की एंट्री नहीं होनी चाहिए। प्रवेश और निकास के अलग-अलग गेट होने चाहिए। किसी भी बेसमेंट में किचन, टॉयलेट और बाथरूम नहीं होने चाहिए।

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दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के नियमों का उल्लंघन करने पर हो सकती है सजा

  • नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संस्था पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • दिल्ली नगर निगम नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जैसे कि बिल्डिंग को सील करना या तोड़ना।
  • नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संस्था पर दंड लगाया जा सकता है, जो 5,000 से 50,000 रुपये तक हो सकता है।
  • गंभीर मामलों में, नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जेल भी हो सकती है, जिसकी अवधि 6 महीने से 3 साल तक हो सकती है।

यह सजा दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 343, 344, 345, और 346 के तहत लगाई जा सकती है।

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Image Credit- freepik/rediff

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