Business of Coaching Center: गुजरात से दिल्ली तक, आखिर क्यों बार-बार हादसों के बाद भी नहीं बदलते कोचिंग सेंटर?

दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन यूपीएससी एस्पायरेंट्स की डूबने से मौत हो गई। यह घटना कई सवाल खड़े करती है और हमें इसे यूं ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

 
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Delhi Rajendra Nagar Coaching Centre Accident: दिल्ली के राऊ IAS स्टडी सर्कल में हुआ हादसा किसी से छुपा नहीं है। देखते ही देखते तीन जिंदगियां तबाह हो गईं। दिल्ली के इस कोचिंग इंस्टिट्यूट के बेसमेंट में सामान रखने की परमीशन थी, लेकिन गैरकानूनी ढंग से लाइब्रेरी चल रही थी। दिल्ली में जरा सी बारिश हुई और राजेंद्र नगर का इलाका भर गया। इस इलाके में कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे कोचिंग सेंटर्स में से 13 के बेसमेंट इस घटना के बाद सील कर दिए गए हैं। सोचिए 13 बिल्डिंग्स में इस तरह बेसमेंट चल रहे थे।

दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, सूरत, भोपाल, पुणे और देश के लगभग हर मेट्रो, टू-टियर और थ्री-टियर शहर में कोचिंग इंस्टिट्यूट्स भरे पड़े हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस कोचिंग इंस्टिट्यूट में यह हादसा हुआ है उसकी शिकायत एक महीने पहले ही एमसीडी को कर दी गई थी। बेसमेंट में जहां सिर्फ सामान स्टोर करना चाहिए वहां भी बच्चों को पढ़ाया जाता है।

यह पहली बार नहीं है जब किसी कोचिंग सेंटर में इस तरह का हादसा हुआ है। हम पिछले दो बड़े हादसों का जिक्र ही कर लेते हैं।

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दिल्ली के मुखर्जी नगर कोचिंग इंस्टीट्यूट में आग

पिछले साल जून में दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर में आग लग गई और स्टूडेंट्स टॉप फ्लोर खाली करने के चक्कर में दीवारों पर से नीचे आने लगे। जिस समय बिल्डिंग में आग लगी वहां 200-250 स्टूडेंट्स अलग-अलग क्लास में बैठे हुए थे। यह सरकारी नौकरी चाहने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक कोचिंग हब था।

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बिल्डिंग के इलेक्ट्रिसिटी मीटर से आग लगी और स्टूडेंट्स के बीच पैनिक हो गया। बाहर निकलने की जल्दी में कई स्टूडेंट्स घायल भी हो गए। उस वक्त भी जांच में पता चला था कि आस-पास की कई बिल्डिंग्स में फायर सेफ्टी गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया गया था।

सूरत के कोचिंग सेंटर में लगी आग में मारे गए थे 22 स्टूडेंट्स

कोचिंग सेंटर में होने वाले हादसों में से सबसे भयानक शायद सूरत का हादसा ही है। 24 मई 2019 को सूरत के सारनाथ जकातनाका एरिया में एक कोचिंग सेंटर में आग लग गई थी। यह कोचिंग सेंटर बिल्डिंग के सबसे ऊपर वाले फ्लोर में था जहां इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी थी। आग सबसे नीचे वाले फ्लोर में लगी थी और स्टूडेंट्स सबसे ऊपर वाले फ्लोर में फंस गए थे।

22 लोगों की मौत के साथ 19 लोग इस आग में घायल हुए थे। तक्षशिला आर्केड की यह आग बहुत भयानक थी और वीडियोज में स्टूडेंट्स छत पर से कूदते हुए नजर आ रहे थे। इस हादसे ने कोचिंग सेंटर ट्रेंड पर सवाल खड़े कर दिए थे।

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क्या इतने जरूरी हैं कोचिंग सेंटर?

Annual Status of Education Report, 2023 के मुताबिक, गांव और छोटे शहरों से आने वाले 14 से 18 साल के बच्चों को बेसिक इंग्लिश भी पढ़नी नहीं आती है और उसके कारण ही इन प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाता है। खासतौर पर हिंदी स्पीकिंग बेल्ट में प्राइवेट कोचिंग इंस्टिट्यूट्स इतने भरे हुए हैं कि स्टूडेंट्स की हाई डिमांड के कारण लोग अवैध तरीके से कोचिंग सेंटर चलाते हैं।

प्राइवेट ट्यूशन क्लासेस स्कूल से ही शुरू हो जाती हैं। हमारे देश में कंपटीशन इतना बढ़ गया है कि बच्चों को खुद ही लगने लगता है कि कोचिंग उनके लिए बहुत जरूरी है।

आप देश का अनएम्प्लॉयमेंट इंडेक्स देखिए और समझने की कोशिश करिए कि किस तरह से हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। स्टूडेंट्स एक-एक करके हर तरीका अपनाते हैं जिससे उनकी नौकरी लग जाए।

पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा था जहां 200 वेकेंसी के लिए 25000 लोगों ने अप्लाई कर दिया था और आवेदन करने वाले ऑफिस के आगे भीड़ लग गई थी। ये नजारा आम है और इस नजारे की सीढ़ी कोचिंग सेंटर्स से ही होकर जाती है।

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कोचिंग सेंटर बन गए हैं बिजनेस का तरीका

कोचिंग सेंटर में होने वाले हादसे अब संसद के गलियारों तक भी पहुंच चुके हैं। देर लगी, लेकिन आखिरकार संसद में इसकी बहस शुरू हो गई। तीन स्टूडेंट्स दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूब जाते हैं और संसद में इसकी बहस भी ना हो ऐसा नहीं हो सकता।

राज्यसभा के चेयरपर्सन जगदीप धनखड़ ने इस दौरान कहा, "कोचिंग अब कॉमर्स बन चुकी है। हर बार न्यूजपेपर खोलते ही एक-दो के विज्ञापन दिखते हैं।"

यकीनन अब इस तरह के हालात बन गए हैं। आजकल कोचिंग सेंटर स्टेटस सिम्बल भी बन गए हैं, लेकिन यह बच्चों के लिए नहीं माता-पिता के लिए। पर कोचिंग सेंटर असल में बच्चों को तैयार कर रहे हैं या फिर उनपर प्रेशर डाल रहे हैं? कोटा के हालात किसी से छुपे हुए नहीं हैं।

अब सवाल यही उठता है कि कोचिंग सेंटर भला कर रहे हैं या बुरा?

आपको क्या लगता है? इसका जवाब हमें कमेंट बॉक्स में दें। आपके हिसाब से कोचिंग सेंटर की फीस और बच्चों पर पड़ता प्रेशर क्या कर सकता है? अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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