तलाक..... ये शब्द इतना गमगीन है कि इसका जिक्र होते ही ये समझ आ जाता है कि किसी का बसा-बसाया घर टूटने वाला है। हां, बिल्कुल एक जबरदस्ती की शादी में टिकना या फिर किसी दुखी करने वाले रिश्ते का बोझ उठाना सही नहीं है और शादी तोड़ने का हक होना चाहिए, लेकिन जिस तरह के नियम बनाए जाते हैं उनमें अधिकतर महिलाओं को सही सुविधाएं नहीं मिलती हैं। जहां तक इस्लाम में तलाक की बात है तो इसे तीन तरह से विभाजित किया जाता है।
क्या है तलाक-ए-हसन? एक रिवाज जो तीन तलाक से है बिल्कुल अलग
भारत में तीन तलाक को बैन कर दिया गया है, लेकिन फिर भी उससे जुड़े मामले सामने आते हैं। पर क्या आपको पता है कि तलाक-ए-हसन क्या है जिसे लेकर अब विवाद उठा है?
भारत में ट्रिपल तलाक को बैन कर दिया गया और साथ ही साथ मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलवाने की बात भी की गई, लेकिन जहां तक तलाक का जिक्र है तो अभी भी इसे लेकर विवाद चलता ही रहता है।
तलाक के अलग-अलग तरीके सामने आते रहते हैं और आज हम उन्हीं में से एक तरीके की बात करने जा रहे हैं जिसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है, हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया है। ये है तलाक-ए-हसन की बात।
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कब चर्चा में आया तलाक-ए-हसन
ये बात पिछले साल अप्रैल की है जब हिना नामक एक महिला पत्रकार को उसके पति ने तलाक-ए-हसन के जरिए तलाक देना चाहा। तीसरा और आखिरी तलाक मिलने से पहले ही हिना ने कोर्ट में इसके खिलाफ अपील कर दी और इस मामले को लेकर बातें होने लगीं। अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ये बताया कि तलाक-ए-हसन की प्रैक्टिस अभी तक मान्य है।
अक्टूबर में एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई और नेशनल कमीशन फॉर वुमन, नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन आदि से भी सलाह ली गई। इसकी अगली सुनवाई जनवरी 2023 में हुई अभी भी मामला चल रहा है।
तलाक-ए-हसन को लेकर गाहे-बगाहे बातें उठती रहती हैं और कई बार लोग ये दलील देते हैं कि तीन तलाक तो भारत में बैन है। पर तलाक-ए-हसन और तीन तलाक के बीच बहुत अंतर है जिसे आज आपको हम समझाते हैं।
क्या है तीन तलाक?
तीन तलाक को तलाक-ए-बिद्दत भी कहा जाता है और यहां एक ही झटके में तीन तलाक दिया जाता है। तीन तलाक सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई इस्लामिक देशों में भी बैन है। इस्लाम में शादी की बुनियाद को बहुत पवित्र माना जाता है और बिना सोचे-समझे गुस्से में तलाक देना गलत ही समझा जाता है।
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क्या है तलाक-ए-हसन?
तलाक-ए-हसन एक ऐसा तरीका है जिसे कुरान में भी सही करार दिया गया है। ये जानकारी 'Till Talaq Do Us Part: Understanding Talaq, Triple Talaq and Khula' नामक किताब में मिल जाएगी जिसे जिया उस सलाम ने लिखा है।
इस किताब में इस्लाम में तलाक के कई तरीकों की बात की गई है और ये बताया गया है कि आखिर क्यों और कितने तरीके के तलाक किस तरह से दिए जा सकते हैं।
तलाक-ए-हसन को पूरा होने में कम से कम 90 दिन का वक्त लगता है जहां पति अपनी पत्नी को पहला तलाक पहले महीने में देता है। फिर एक महीने बाद ही वो उसे दूसरा तलाक दे सकता है और दूसरा तलाक देने के एक महीने बाद ही तीसरा और आखिरी तलाक दिया जा सकता है।
ये तरीका इसलिए बताया गया है ताकि पति-पत्नी को अपनी शादी को बचाने के लिए सही तरह का समय मिल पाए। कई मुस्लिम देशों में भी तलाक-ए-हसन का इस्तेमाल कर ही तलाक दिया जाता है। इस तरीके से गुस्से में दिया गया तलाक गलत ठहराया जाता है।
तलाक-ए-हसन को बोलकर, लिखकर भी दिया जा सकता है। हालांकि, एक रिपोर्ट कहती है कि इसे तब दिया जाता है जब पत्नी का मासिक धर्म ना चल रहा हो। इस अवधि के दौरान अगर पति-पत्नी दोनों रजामंद हो जाते हैं तो तलाक मान्य नहीं रहता है।
महिलाओं के लिए भी है खुला का प्रावधान
इस्लाम में मुस्लिम महिलाएं भी खुला के जरिए तलाक दे सकती हैं, लेकिन इसके लिए पति की इजाजत की जरूरत भी पड़ती है। हालांकि, इसे लेकर महिलाएं अपनी अर्जी डाल सकती हैं और अगर वो शादी के बंधन में ना रहना चाहें तो अपनी बात रखने का उन्हें हक होता है, लेकिन उनके लिए ये प्रोसेस थोड़ा लंबा हो जाता है। इसमें सामाजिक लोगों को भी सामने रखा जाता है ताकि महिला को तलाक मिल सके।
जहां तक रिवाज की बात है तो तलाक-ए-हसन को इस्लाम में मान्य रखा गया है और कोर्ट में भी अभी तक इसपर कोई ठोस फैसला नहीं आया है। इस मामले में आपकी क्या राय है? हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।