तीन तलाक को अपराध बनाने और उसके लिए सजा देने का प्रावधान संबंधित बिल लोकसभा में पारित कर दिया गया है। लोकसभा में यह बिल लगभग छह घंटे की लंबी बहस के बाद पास हुआ। ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ है। इस बिल में किसी भी तरह का संशोधन नहीं किया है और इस बिल के अनुसार अब तीन तलाक दंडनीय अपराध माना जाएगा।
अब राज्यसभा में होगा पारित
अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा। ऐसे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसका असर क्या होगा? मुस्लिम महिलाओं को अब अगर कोई तीन तलाक देता है, तो क्या विकल्प होंगे और उनके लिए इससे क्या कुछ बदलेगा?
लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। इस बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए हैं। बिल में फौरी तौर पर तीन तलाक को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "अगर गरीब मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ा होना अपराध है तो ये अपराध हम 10 बार करेंगे। हम इसे वोट के तराजू में नहीं तोल रहे और सियासत के चश्मे से नहीं, इंसानियत के चश्मे से देखते हैं।"
राजनाथ सिंह ने तैयार किया है इसका ड्राफ्ट
तीन तलाक के बिल का ड्राफ्ट गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अध्यक्षता में तैयार किया गया है। राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनी मंत्रियों की कैबीनेट में सलाह मशवरे के बाद इस पूरे बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया था। गौरतलब है कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि तुंरत से तुरंत से तीन तलाक के ऊपर बिल लाकर इसे आपराधिक बनाया जाया। उसी के बाद से इस बिल को पास कराना मोदी सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल हो गया था।
तलाक-ए-बिद्दत पर होगा लागू
तीन तलाक बिल लोकसभा में पारित होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जायेगा। आपको बता दें कि ये बिल केवल तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। इस कानून के बाद अगर कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तुरंत मौखिक रुप से तीन तलाक देता है तो वो गैर-कानूनी होगा।
होगी तीन साल की सजा
तीन तलाक को जुर्म घोषित करने और सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक को लोकसभा में करीब छह घंटे की लंबी बहस के बाद पारित कर दिया गया है। बिल का नाम ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ है। बिना किसी संशोधन के पास इस विधेयक के तहत अब ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध माना जाएगा। अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को मौखिक रूप से तीन बार तलाक कहकर उसे तलाक देता है, तो उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है। राज्यसभा में पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून का रूप अख्तियार कर लेगा। ऐसे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसका असर क्या होगा? मुस्लिम महिलाओं को अब अगर कोई तीन तलाक देता है, तो क्या विकल्प होंगे और उनके लिए इससे क्या कुछ बदलेगा?
ये चीजें हैं बिल में शामिल
इस बिल के अनुसार अब पीड़िता अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है।
इस बिल के तहत पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए भी अपील कर सकती है और इस मुद्दे पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट करेंगे।
हर तरह के माध्यम का तीन तलाक गैर-कानूनी होगा। इस बिल के तहत बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तलाक देना अवैध होगा।
होगी कारावास की सजा- एक बार में दिया हुआ तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य होगा और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की जेल हो सकती है। यह गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।
जम्मू-कश्मीर में नहीं लागू होगा कानून
ये बिल जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा। संसद का शीतकालीन सत्र 5 जनवरी तक चलेगा। यह बिल अब राज्यसभा में भेजा जायेगा। जानकारों का मानना है कि ये बिल इसी सत्र में राज्यसभा से भी पास हो जायेगा।
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