जैसे की उम्मीद थी। तीन तलाक बिल राज्यसभा में अटक गया और देश की मुस्लिम महिलाओं को इस बिल के पास होने का बेसब्री से इंतजार है।
ये बिल मोदी सरकार का सबसे महत्वाकांक्षी बिल है और इसे विपक्ष ने राज्यसभा में अटका दिया है। इस बिल को पास करने की मोदी सरकार पिछले साल से ही भरसक प्रयास कर रही है लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी इस महीने के शुरुआत में ये बिल राज्यसभा में अटक गया। अभी इस बिल पर विपक्ष और पक्ष के बीच में गतिरोध जारी है।
अब इस बिल के बजट सत्र से पहले पास होने की उम्मीद नहीं है। खैर सरकार को भी शायद मालूम था कि इस बिल को राज्यसभा में पास करने के लिए विपक्ष रोड़े अटकाएगा। इसलिए बिल को राज्यसभा में पेश करने के बाद सबसे पहले सरकार ने इस बिल को लेकर अपने तर्क रखे। लेकिन बात बिगड़ते देख सरकार ने भी इस बिल के लिए विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया।
इस बिल पर बहस करने के दौरान भाजपा का पूरा जोर इस बात को साबित करने पर रहा कि विपक्ष खासकर कांग्रेस महिला विरोधी है। बहस के दौरान सरकार के सभी बड़े मंत्री रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली और स्मृति ईरानी कांग्रेस पर महिला विरोधी होने का कटाक्ष करते हुए दिखे। खैर अभी बिल पास नहीं हुआ है। इसलिए एक बार इस बात पर तो विचार करना बनता है कि आखिर क्यों राज्यसभा में ये बिल अटक गया है।
तीन तलाक के मामले को दीवानी मामले में ना रखकर फौजदारी मामले में रखा गया है। इस बात से ही विपक्ष को सबसे ज्यादा समस्या है।
तीन तलाक बिल पर विपक्ष की सबसे बड़ी आपत्ति ये है कि पत्नी के शिकायत पर पति को जेल भेज दिया जाए। ऐसे में विपक्ष तर्क दे रहा है कि दुनियाभर में कहीं भी तलाक देने पर पति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है और अगर तलाक के बाद पति जेल चला गया तो पत्नी को मुआवजा कौन देगा। एमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया कि इस बिल के बहाने सरकार मुस्लिमों को जेल भेजने की तैयारी में है।
अब सवाल जो भी हैं, इनके जवाब अपने समय पर मिलेंगे। अभी तो हर किसी को इस बिल के पास होने का इंतजार है। क्योंकि ये मुस्लिमों की आधी आबादी के लिए काफी जरूरी है। क्यों?
इसका जवाब जानने के लिए तो तीन तलाक के पूरे सफर पर नजर डालने की जरूरत होगी। ये रहा तीन तलाक का अब तक का पूरा सफर-
राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदला
19th May 1986 को राजीव गांधी ने अपना कानून द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स एक्ट बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया। दरअसल उस समय सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का उस समय देश में काफी विरोध हुआ था। तब राजीव गांधी ने ये कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया था।
1986-05-19
,2016 में शुरू हुआ शायरा बानो केस
शायरा बानो ने फ़रवरी 2016 में अपनी याचिका दायर की। वे कहती हैं कि जब वह अपना इलाज कराने के लिए उत्तराखंड में अपनी मां के घर गईं तो उन्हें तलाक़नामा मिला था। शायरा बानो ने इलाहाबाद में रहने वाले अपने पति और दो बच्चों से मिलने की कई बार गुहार लगाई लेकिन उन्हें हर बार दरकिनार कर दिया गया। तब जाकर शायरा ने अपने पति के खिलाफ और तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में याचिका डाली।
2016-02-01
,2017 में आया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर 2017 में अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया। साथ ही इसपर छह महीने के भीतर सरकार को कानून बनाने के लिए कहा। इस मामले पर पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की थी।
2017-08-22
,तीन तलाक पर युनियन कैबिनेट का फैसला
15 दिसंबर 2017 में मोदी की यूनियन कैबिनेट ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) बिल, 2017 को मंजूरी दे दी। इसके अनुसार जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी बनाया जाएगा और इस पर जेल भी होगी।
2017-12-15
,तीन तलाक बिल लोक सभा में पास
29 दिसम्बर, 2017 को लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा में पेश किए गए इस बिल के खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए।
2017-12-29
,राज्यसभा में अटका तीन तलाक बिल
राज्यसभा में इस बिल को साल के शुरुआत में 5 जनवरी 2018 को पेश किया गया था। जहां ये अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। अब तीन तलाक विधेयक का भाग्य संसद के बजट सत्र के खाते में चला गया है। अब आने वाले दिनों में ये देखना है कि ये बिल कब पास होता है। इस बिल के पास होने का मुस्लिम महिलाओं के साथ पूरे देश को इंतजार है।
2018-01-05
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