अरमान मलिक की दो शादियों पर देवोलीना के बयान के बाद फिर चर्चा में आया स्पेशल मैरिज एक्ट? जानें इससे जुड़े सभी नियम

टीवी एक्ट्रेस देवोलीना ने अरमान मलिक की दो शादियों को लेकर काफी कुछ कहा है। अपने ट्वीट में उन्होंने, स्पेशल मैरिज एक्ट का भी जिक्र किया है। चलिए, आपको बताते हैं इससे जुड़े सारे नियम।

Shruti Dixit
devoleena on special marriage act tweet

बिग बॉस ओटीटी 3 के कंटेस्टेंट अरमान मलिक अपनी दो शादियों को लेकर काफी चर्चा में बने हुए हैं। उनकी दो बीवियां पायल मलिक और कृतिका मलिक हैं और दोनों के साथ उन्होंने बीबी हाउस में एंट्री ली है। इसे लेकर, उन्हें काफी ट्रोल भी किया जा रहा है। बिग बॉस की एक्स कंटेस्टेंट और टीवी एक्ट्रेस देवोलीना ने भी अरमान को लेकर एक लंबा-चौड़ा ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने बिग बॉस और अरमान की दो शादियों को लेकर काफी कुछ कहा है। साथ ही, स्पेशल मैरिज एक्ट का भी जिक्र किया है। यह एक्ट सोनाक्षी और जहीर की वेडिंग को लेकर भी चर्चा में है। इससे पहले स्वरा भास्कर और फहाद अहमद की शादी भी इसी एक्ट ने अंतर्गत हुई थी। देवोलीना ने अरमान की दो शादियों पर क्या स्टेटमेंट दिया है, जहीर और सोनाक्षी की शादी किस तरह इस एक्टर के अंदर आती है और यह एक्ट है क्या, इस एक्ट के बारे में जानने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट जूही अरोड़ा से बात की। चलिए, आप भी जान लीजिए इससे जुड़ी सारी डिटेल्स।

देवोलीना ने किया स्पेशल मैरिज एक्ट का जिक्र

 

देवोलीना ने अपने ट्वीट में अरमान मलिक और उनकी शादी पर काफी कुछ कहा है। बिग बॉस में जिस तरह तीनों की एंट्री और लव स्टोरी दिखाई जा रही है, उसे लेकर भी देवोलीना ने गुस्सा जाहिर किया है। बता दें कि देवोलीना ने कुछ वक्त पहले इंटर-रिलीजन मैरिज की थी। 

 

स्पेशल मैरिज एक्ट पर क्या है एक्सपर्ट का कहना?

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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट? 

स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एक ऐसा कानून है जिसके तहत भारत का संविधान दो अलग-अलग धर्मों के लोगों को शादी करने की सुविधा देता है। ये सभी इंडियन सिटिजन्स के लिए मान्य है और उनके लिए भी जो भारतीय तो हैं, लेकिन भारत के बाहर रह रहे हैं। इस एक्ट की मदद किसी भी धर्म के लोग ले सकते हैं, बस शर्त ये है कि वो भारतीय हों। इस एक्ट की नींव 19वीं सदी में ही रख दी गई थी जब सिविल मैरिज एक्ट को लेकर पहल की गई थी। इसके बाद, 1954 में ये एक्ट रिवाइज किया गया। नए एक्ट में तीन खास नियम बनाए थे- एक खास तरह की शादियों के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा दी जाए, अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के लिए सुविधा प्रदान की जाए, शादी के बाद तलाक की सुविधा दी जाए। 

swara bhaskar and special marriage act

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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट की एलिजिबिलिटी?

    • स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी भारतीय आवेदन दे सकता है। 
    • ये एक्ट धर्म के हिसाब से काम नहीं करता है। ये सभी के लिए एक बराबर है। 
    • ऐसे भारतीय जो विदेशों में रह रहे हैं उन्हें इसके तहत शादी करने की सुविधा है। 
    • शादी करने वाले जोड़े का बालिग होना जरूरी है। यानी दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल होनी ही चाहिए। 
    • दोनों को ही मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। 
    • दोनों को ही अलग सेक्स का होना चाहिए। हालांकि, अभी सेम सेक्स मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट में शामिल करने की बात की जा रही है। इसपर अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई फैसला नहीं आया है।  
 
 
 
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स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किस तरह से की जाती है शादी? 

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  • शादी की डेट कोर्ट से ही सेट होती है। आपको जब भी शादी करनी है उसके 30 दिन पहले नोटिस देना होता है। 
  • नोटिस जिस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दिया गया है, दोनों में से किसी एक को उस डिस्ट्रिक्ट में 30 दिनों तक रहना होगा। यानी आप ऐसा नहीं कर सकते कि नोएडा में रहते हैं और गाजियाबाद कोर्ट से शादी कर ली। दोनों में से किसी एक का गाजियाबाद में रहना जरूरी है। 
  • नोटिस कोर्ट में डिस्प्ले किया जाता है। 30 दिनों तक अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वो अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। 
  • अगर 30 दिनों तक कोई शिकायत नहीं आई तो कोर्ट में शादी की जा सकती है। इसके लिए मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में सिग्नेचर करने होते हैं। 
  • इस शादी के लिए किसी भी तरह की रस्म फॉलो करने की जरूरत नहीं होती है। 
  • शादी के लिए तीन विटनेस का होना जरूरी है। इसी के साथ, एक मैरिज ऑफिसर विटनेस को भी वेरीफाई करता है।  

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स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत तलाक 

अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई है तो तलाक भी जिला कोर्ट से मिल सकता है। दोनों पार्टीज अपना शादी का बॉन्ड तोड़ सकती हैं। 

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क्यों स्पेशल मैरिज एक्ट को बदलने की उठ रही है मांग? 

जूही जी ने हमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लीगल करने की मांग उठ रही है। अभी इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों ही तरफ से इसे लीगल करने की मांग को खारिज किया गया है। पर उम्मीद है कि इस मुद्दे पर आगे भी सुनवाई होगी।  

 

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