रंगभरी एकादशी कब है? जानें महत्व और रोचक कथा

भगवान शिव और देवी पार्वती से जुड़ा है यह पर्व। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है रंगभरी एकादशी और क्या है इसका महत्‍व। 

rangbhari  ekadashi  vrat  katha

फाल्‍गुन का महीना शुरू होते ही लोगों का मन हर्ष और उल्लास से भर जाता है। इसका पहला कारण होता है बसंती हवाओं के कारण मौसम सुहावना हो जाता है और दूसरा कारण होता है होली के त्योहार की तैयारियां। जी हां, वैसे तो होली का पर्व शुभ मुहूर्त में होलिका दहन के बाद मनाया जाता है, मगर देश के कई हिस्सों में होली से पहले ही लोग रंग खेलना शुरू कर देते हैं और होली के कई दिन बाद तक खेलते रहते हैं।

ऐसी ही एक जगह है काशी। देवों के देव महादेव की नगरी। इस शहर की बात बहुत अनोखी है, इस शहर को सबसे अनोखा बनाती है भगवान शिव के भक्तों की भक्‍ती। हर पर्व को यहां धूमधाम से मनाया जाता है, जहां दीवाली के त्योहार के बाद देव दीपावली की अलग ही रोनक यहां पर देखने को मिलती है। वहीं होली से पहले यहां पर 'रंगभरी एकादशी' की मस्ती छाई रहती है।

वैसे इस पर्व का लेना देना होली से नहीं है। दरअसल, रंगभरी एकादशी का पर्व भगवान शिव और पार्वती जी को समर्पित है। हालांकि, इस दिन को आमलकी एकादशी भी कहा जाता है और विष्णु भक्त इस दिन जगत पिता नारायण की आराधना भी करते हैं। मगर काशी में इस दिन रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर रंगभरी एकादशी क्यों मनाई जाती हैं और इसका महत्‍व क्‍या है।

rang  bhari  ekadashi  ki  katha

कब है रंगभरी एकादशी?

हिंदू पंचांग के अनुसार हर ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। वैसे तो हर एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा होती है, मगर फाल्‍गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी साल की पहली ऐसी एकादशी होती है, जिसमें शिव जी की पूजा होती है। इस बार यह एकादशी 14 मार्च को पड़ रही है। दरअसल, 1 मार्च को महाशिवरात्रि का त्यौहार था और इसके ठीक 14 दिन बाद जो एकादशी पड़ती है, उसे रंगभरी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी होली से ठीक 5 दिन पहले पड़ रही है।

क्‍या है रंगभरी एकादशी का महत्‍व?

ऐसी मान्‍यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन देवी पार्वती के गौने की रस्म निभाई गई थी और उन्हें शंकर जी विदा करा कर अपने साथ कैलाश ले आए थे। इस दिन को वाराणसी में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन शिव जी की बारात वापस कैलाश की ओर लौटती है, इसलिए वाराणसी में शिव और पार्वती जी की पालकी निकलती है। इस दौरान शिव भक्त खूब हर्ष और उल्लास से नाचते हैं, गाते हैं और इन सब के साथ-साथ अबीर गुलाल भी खेलते हैं। इस दिन बाबा विश्वनाथ के धाम पर बहुत ही रोनक होती है और किसी पर्व जैसा माहौल रहता है।

how  often  is  ekadashi

रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त

  • हिंदू पंचांग के अनुसार रंगभरी एकादशी का आरंभ 13 मार्च सुबह 10:21 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो 14 मार्च सुबह 12:05 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन यदि आपको शिव-पार्वती जी की पूजा करनी है, तो पूजन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को दोपहर 12:07 मिनट से शुरू हो कर 14 मार्च 12:05 मिनट तक रहेगा।
  • आंवला एकादशी पर व्रत एवं पूजा करने वाले भक्तों के लिए शुभ मुहूर्त 13 मार्च, दिन रविवार सुबह 10.21 बजे से लेकर 14 मार्च, दिन सोमवार दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा।

आंवला एकादशी का महत्व

  • ऐसा कहा जाता है कि आंवला श्री हरी विष्णु भगवान को अति प्रिय है और इसलिए आंवला एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विष्णु के कई प्रमुख वास स्थानों में से एक आंवले का पेड़ भी है।
  • धार्मिक आस्था के अनुसार इस दिन विधि पूर्वक विष्णु जी की पूजा करने से 1000 गायों के दान के बराबर फल प्राप्त होता है। इतना ही नहीं, इस दिन व्रत और पूजा करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे दोष भी दूर हो जाते हैं।

आपको यह भी जानकारी दे देते हैं कि रंगभरी एकादशी के बाद पूरे देश में होली का महोत्सव शुरू हो जाता है, जो रंग पंचमी तक चलता रहता है।

उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर और लाइक जरूर करें, इसी तरह और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: Shutterstock

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP