Postal Ballot:चुनावों के दौरान,वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है। लेकिन कई बार नागरिक वोट डालने के दिन अपने रजिस्टर निर्वाचन क्षेत्रों में वापस नहीं जा पाते हैं। ऐसे में इन व्यक्तियों को मताधिकार देने के लिए, उनके गृह नगर के अलावा अन्य स्थानों से भी वोट डालने का प्रावधान है।
मानक प्रक्रिया के अनुसार वोटों की गिनती की जाती है, तो डाक मतपत्रों की गिनती को प्राथमिकता दी जाती है। आइए समझते हैं कि पोस्टल बैलेट क्या हैं। इनके जरिए कोई कैसे वोट डाल सकता है, ऐसा करने के लिए कौन पात्र है और इलेक्ट्रॉनिक रूप से रजिस्ट्रेशन वोटों से पहले उनकी गिनती क्यों की जाती है।
पोस्टल बैलेट क्या है?
चुनाव आयोग डाक मतपत्र प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्तियों की संख्या और उनके बांटने की प्रक्रिया पहले से निर्धारित करता है। इसके बाद नामित व्यक्तियों को डाक मतपत्र भेजा जाता है, जो रिमोट वोटिंग के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया मतपत्र होता है। (वोट डालने से पहले क्यों लगाया जाता है इंक)
इस प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (ETPBS) के रूप में जाना जाता है। इन मतपत्रों को प्राप्त करने वाले नागरिक अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चिह्नित कर सकते हैं और पूरा फॉर्म चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक रूप से या डाक से वापस कर सकते हैं।
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कौन डालता है पोस्टल बैलेट वोट (Who is Eligible for Postal Ballot)
चुनावों में वोट न देने वालों में सबसे प्रमुख हैं देश की सीमाओं पर तैनात सैनिक। युद्ध हो या न हो, सैनिक अक्सर मतदान करने के लिए अपने होम टाउन नहीं जा पाते। डाक मत पत्रों की अवधारणा को इसी बात को ध्यान में रखकर बनाया गया था। सैनिकों के अलावा, डाक मत पत्रों का उपयोग सरकारी कर्मचारियों, पुलिस और चुनाव ड्यूटी में शामिल सुरक्षा कर्मियों द्वारा भी किया जाता है। ये व्यक्ति अपने निर्धारित निर्वाचन क्षेत्रों में वोट नहीं डाल पाते हैं।
भारत जैसे देश में उनकी महत्वपूर्ण संख्या को देखते हुए, उन्हें पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जाती है। विदेश में या अपने गृहनगर से दूर तैनात सरकारी अधिकारियों के लिए भी यही प्रावधान है।
क्यों की जाती है पोस्टल बैलेट की गिनती ?
चुनाव आयोग ने चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 23 में संशोधन करके लोगों को डाक मतपत्रों के माध्यम से चुनाव में मतदान करने की अनुमति दे दी है। चुनाव में मतों की गिनती के दौरान सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती शुरू होती है। इसके बाद ईवीएम में दर्ज मतों की गिनती की जाती है। डाक मतपत्रों की संख्या कम होती है और ये कागज के मतपत्र होते हैं। इसलिए उनकी गिनती भी आसानी से हो जाती है। इसलिए उनकी गिनती पहले की जाती है।
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