क्या कभी सोचा है आपने आपके घर के पते में पिन कोड क्यों जुड़ता है और इससे क्या पता चलता है। आइए जानते हैं कि क्या होता है पिन कोड और क्या है इससे जुड़ा इतिहास। असल में पिन कोड या पोस्टल इंडेक्स नंबर (PIN) छह अंकों का एक यूनिक नंबर होता है। इसका इस्तेमाल भारतीय डाक में मेल को अलग-अलग करने के लिए किया जाता है। पिन कोड प्रणाली को 15 अगस्त, 1972 को केंद्रीय संचार मंत्रालय के अलावा सचिव श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने पेश किया था। भारत में पिन कोड प्रणाली को शुरू करने का मकसद डाक विभाग को सही पते पर मेल को मैन्युअल तौर पर छांटने और पहुंचाने में मदद करना था।
पिन कोड के हर अंक का अपना महत्व है
- पहला अंक क्षेत्र (Region) को दर्शाता है
- दूसरा अंक एक उपक्षेत्र (Sub-region) को दर्शाता है
- तीसरा अंक उस क्षेत्र के भीतर का सॉर्टिंग जिला को दर्शाता है
- आखिरी तीन अंक उस जिले के खास डाकघर को दर्शाते हैं

6 अंकों वाला कोड कैसे डालते हैं?
उदाहरण के लिए, अगर आपको झारखंड की राजधानी रांची के हटिया इलाके में डाक भेजनी है, तो आप 834003 पिन कोड का इस्तेमाल कर सकते हैं:
83 - पूर्वी भारत का क्षेत्र, 4 - रांची जिले का कोड, 003 - रांची के हटिया इलाके का कोड। भारतीय डाक सेवा, पिन कोड के आधार पर पूरे भारत को नौ भागों में बांटती है। इनमें से आठ भाग भौगोलिक क्षेत्र हैं और नौवां भाग भारतीय सेना के लिए आरक्षित है। पिन कोड का इस्तेमाल ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर सरकारी कार्यालयों से सामान की डिलीवरी तक में किया जाता है। इसके अलावा उदाहरण के तौर पर समझें तो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड एक ही जोन में आते हैं, जिनका नंबर 2 है। यानी इन दोनों राज्यों के सभी स्थानों के पिन की शुरुआत 2 से होती है।
भारत में पहली बार कब और कैसे बना पिन कोड
भारत में पिन कोड प्रणाली की शुरुआत 15 अगस्त, 1972 को हुई थी। इसे केंद्रीय संचार मंत्रालय के अलावा सचिव और डाक एवं टेलीग्राफ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने शुरू किया था। भारत में कुल 19,101 पिन हैं, जो 154,725 को कवर करते हैं। इनमें से 9 क्षेत्रों को अलग-अलग यूनिक पिन अलॉट किया गया है।
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पिन कोड की शुरुआत से पहले, 1946 में वितरण क्षेत्र संख्या प्रणाली लागू की गई थी। इस प्रणाली के तहत, हर वितरण डाकघर को एक खास नंबर दिया गया था। इसे पहले मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में लागू किया गया था।
भारतीय डाक सेवा का जनक कौन है?
भारत में आधुनिक डाक प्रणाली की शुरुआत 1766 में लॉर्ड क्लाइव ने की थी। इसे शुरुआत में "कंपनी मेल" नाम से जाना जाता था। बाद में 1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने इसे विकसित किया। वहीं, 1 अप्रैल 1854 को लॉर्ड डलहौजी ने भारत में डाक सेवा शुरू की थी। उन्होंने आधुनिक भारतीय डाक सेवा की नींव रखी थी। डलहौज़ी ने समान डाक दरों की शुरुआत की थी, और इंडिया पोस्ट ऑफिस अधिनियम 1854 को पारित किया था। 1947 में भारत की आजादी के बाद, डाक सेवा भारतीय सरकार के अधीन आ गई।
- भारत के अलग-अलग इलाकों का पिन कोड कैसे पता करें?
- भारत पोस्ट की आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर जाएं।
- होम पेज पर दिख रहे Find Pincode नाम के विकल्प पर क्लिक करें।
- अब आपको कुछ जानकारी भरनी होगी, जैसे कि राज्य, जिला, और पोस्ट ऑफिस का नाम।
- Evaluate the expression में पूछे गए सवाल का जवाब दें।
- Search बटन पर क्लिक करें।
- अब आपके सामने पूरी लिस्ट खुलकर आ जाएगी।
- अब आप एरिया के हिसाब से पिन कोड देख सकते हैं।

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आप Google पर भी पिन कोड वेबसाइट सर्च करके किसी भी इलाके का पिन कोड पता कर सकते हैं।
कब मनाया जाता है विश्व और भारतीय डाक दिवस
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन 1874 में स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की सालगिरह पर मनाया जाता है। साल 1969 में टोक्यो में यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस ने इस दिन को मनाने का फैसला किया था। भारतीय डाक दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन विश्व डाक दिवस के बाद आता है, जो हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय डाक दिवस का मकसद डाक कर्मचारियों की सेवाओं की सराहना करना है। साथ ही, यह भारतीय डाक विभाग की 150 साल से ज़्यादा की भूमिका को भी स्वीकार करता है।
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