देश में जल्द ही डॉक्टरों के लिए वन नेशन एंड वन रजिस्ट्रेशन यानी एक राष्ट्र, एक पंजीयन लागू होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इसका पूरा ड्राफ्ट कर तैयार लिया है, जिसे आगामी छह महीने में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर यह नियम लागू हो जाएगा। एक राष्ट्र, एक पंजीयन के जरिये प्रत्येक डॉक्टर को एक यूनिक आईडी दी जाएगी जो एक तरह से उसकी पहचान के तौर पर काम करेगी। यह आईडी आयोग के एक आईटी प्लेटफॉर्म के साथ लिंक होगी जिस पर संबंधित डॉक्टर के सभी दस्तावेज, कोर्स, प्रशिक्षण और लाइसेंस के बारे में जानकारी उपलब्ध होगी।
आयोग के प्रवक्ता डॉ. योगेंद्र मलिक ने बताया कि अब तक इस प्रस्ताव पर काफी काम किया जा चुका है। इस प्रक्रिया के तहत डॉक्टर को दो बार आईडी जारी की जाएगी। पहली बार जब वह एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेगा तो उसे अस्थायी यानी टम्प्रेरी नंबर दिया जाएगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे स्थायी यानी परमानेंट नंबर दिया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर जो वर्तमान में प्रैक्टिस कर रहे हैं उन्हें सीधे तौर पर स्थायी आईडी जारी की जाएगी।
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मरीज को वन नेशन एंड वन रजिस्ट्रेशन से कैसे मिलेगा फायदा?
दरअसल, डॉ. मलिक के मुताबिक, एक नाम के कई डॉक्टर हो सकते हैं, लेकिन अब यूनिक आईडी से हर किसी की पहचान अलग होगी। मरीज भी अपने डॉक्टर की शिक्षा, अनुभव, लाइसेंस जान सकेंगे और वहीं, डॉक्टरों को भी यह फायदा होगा कि उन्हें जब भी अपने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की जरूरत होगी तो उन्हें बार-बार संबंधित मेडिकल कॉलेज या सरकारी विभाग में परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूनिक आईडी लेने के बाद कोई भी डॉक्टर देश के किसी भी राज्य में प्रैक्टिस के लिए संबंधित राज्य मेडिकल काउंसिल से रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
अभी लाइसेंस के साथ मिलता है रजिस्ट्रेशन:
आयोग के अनुसार, मौजूदा समय में लाइसेंस लेते समय डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन भी हो जाता है। राज्य मेडिकल काउंसिल यह पूरी प्रक्रिया कर जानकारी राष्ट्रीय आयोग तक पहुंचाता है। चूंकि एक डॉक्टर राज्य या फिर राष्ट्रीय आयोग कहीं भी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है। ऐसे में कई बार एक ही नाम के दो या तीन से अधिक बार पंजीयन भी हो जाते हैं। इसलिए भी वन नेशन एंड वन रजिस्ट्रेशन लोगों के लिए आसान प्रक्रिया हो सकता है, इससे एक यूनिक आईडी के आधार पर डॉक्टर की पहचान की जा सकती है।
दरअसल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, देश में अभी करीब 14 लाख रजिस्टर्ड डॉक्टर मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इनके अलावा देश में 700 से भी ज्यादा मेडिकल कॉलेजों में 1.08 लाख से अधिक एमबीबीएस सीटें हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रति एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर अनिवार्य है लेकिन राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का कहना है कि भारत इस मानक को काफी समय पहले ही पार कर चुका है।
डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन होने से मरीज को मिलते हैं ये फायदे:
- रजिस्ट्रेशन के लिए डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से डिग्री और लाइसेंस प्राप्त करना होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि डॉक्टर अपने विभाग में पर्याप्त योग्य और कुशल रखते हैं।
- रजिस्ट्रेशन से यह पता चलता है कि डॉक्टर किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल बोर्ड के सदस्य हैं। इससे मरीज को यह भरोसा होता है कि डॉक्टर से इलाज कराना सुरक्षित होगा।
- रजिस्ट्रेशन के बाद, डॉक्टरों को एक निश्चित आचार संहिता का पालन करना होता है। इससे यह तय होता है कि डॉक्टर मरीज के साथ पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से पेश आएंगे।
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