अपनी रातों की नींद से लेकर बच्चे के हर एक किलकारी पर खुशी के आंसू छलकाने वाली मां त्याग और संघर्ष के तले अपने सपनों तक को भुला देती है। 'मां' वह है जो बच्चों के सपने पूरे करने के लिए सब कुछ न्योछावर कर देती है। लेकिन क्या वह एक परफेक्ट मां नहीं है, जिसने बच्चों की परवरिश में अपना बेस्ट देने के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए भी प्रयास किए? क्या वह एक परफेक्ट मॉम नहीं है? हरजिंदगी अपने स्पेशल The Good Mother Project के तहत ऐसी महिलाओं को आपके सामने ला रही है, जो एक मां तो हैं ही, लेकिन मां बनने के बाद भी अपने सपने को पूरा किया है और समाज की रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ा है। हरजिंदगी ने एक ऐसी ही सुपर मॉम औरडॉक्टर मधु चोपड़ा से बात करके उनके विचार जाने हैं।
डॉ मधु चोपड़ा को डॉक्टर के रूप में 40 साल का अनुभव है और वह आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे से प्रशिक्षित ईएनटी विशेषज्ञ हैं। डॉ चोपड़ा ने अपने जीवन के कई सालों तक आर्म्ड फोर्सेज में सेवा की है। अपने बच्चे प्रियंका चोपड़ा और सिद्धार्थ चोपड़ा की परवरिश करते हुए, डॉ. मधु चोपड़ा ने हमेशा उनकी राय जानने की कोशिश की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहिस किया। डॉक्टर मधु चोपड़ा के विचारों को जानकर आप भी उनसे इंस्पिरेशन ले सकती हैं।
डॉ मधु चोपड़ा ने अपने बच्चों को दी ये सीख
प्रियंका चोपड़ा को दुनिया की मोस्ट फेमस स्टार बनाने में उनकी मां डॉ मधु चोपड़ा ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें एक मंत्र यह सिखाया कि 'खुद कोचवन्नी नहीं, रुपैया समझो वरना दुनिया तुम्हें चवन्नी समझेगी।' डॉ मधु चोपड़ा का मानना है कि सबसे पहले आपको खुद को महत्व देना होगा। आप यह तय करें कि आप क्या बनना चाहते हैं और दुनिया वालों के सामने किस तरह से नजर आना चाहते हैं। अपने स्वाभिमान के लिए इस मंत्र को हमेशा याद रखना चाहिए। डॉ मधु चोपड़ा ने कैसे मां बनने के बाद बच्चों की परवरिश करके उन्हें सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए हौसला दिया? आइए जानते हैं।
पहली बार मां बनने के बाद आपको कैसा फील हुआ था?
जब मैं पहली बार मां बनी तो मुझे बहुत खुशी हुई। मेरे लिए यह अनुभव बिल्कुल एक मैजिक की तरह था। प्रियंका उन बच्चों की तरह नहीं थी, जो दिनभर में कई बार रोते हैं, वह बहुत क्यूट और हमेशा खुश रहने वाले बच्चों में से थी। मां बनने के बाद मेरे दिल में अलग सी उमंग उठ रही थी, जो मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं।
क्या मां बनने के लिए वाकई किसी प्रकार की तैयारी करनी जरूरी है? आपने खुद को मां बनने से पहले कैसे प्रिपेयर किया था?
जब मैं मां बनी तब मैं पूरी तरह से प्रिपेयर नहीं थी, पर मैं मां बनने का अनुभव करना चाहती थी। जब मैं मां बनी तो मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। मेरी शादी भी लेट हुई थी, क्योंकि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी। न्यू पैरेंट के रूप में हमें अधिक परेशानी नहीं हुई, क्योंकि मैं अपनी फैमिली के साथ बरेली में रहती थी और वहां पर हमारे घर के पास ही कई सारी सुख-सुविधाएं थी। सिर्फ यही नहीं, मेरी मां ने भी मेरा बहुत साथ दिया और हमेशा मेरा सपोर्ट करने के लिए तैयार रहीं। वह मेरे बच्चों को भी संभाल लेती थी और उनकी हेल्प के कारण मुझे अपने करियर में ग्रो करने का मौका मिला।
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'कई मां हेल्प मांगने में बहुत हिचकिचाती हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज के लोग उनके इस फैसले की आलोचना करेंगे' आपकी इसपर क्या राय है?
मेरा मानना है कि हर मां को हेल्प और सपोर्ट उसके परिवार से मिलता है और उसे इस बात पर अधिक गौर नहीं करना चाहिए कि लोग क्या सोचेंगे। मेरी फैमिली में मेरी मां, मेरी बहन ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और वह हमेशा मेरा साथ देने के लिए खड़े रहे, फिर चाहे कोई भी कंडीशन क्यों ना रही हो। मैंने दो माह बाद ही अपने काम को फिर से कंटिन्यू कर लिया था और उस दौरान मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा था।
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मां बनने के बाद क्या कभी आपको आलोचनाओं का सामना करना पड़ा ?
मैं समाज की सोच को लेकर अधिक नहीं सोचती हूं और अपने हिसाब से ही फैसले निडर होकर लेती हूं। मुझे जो सही लगता है वही मैं करना पसंद करती हूं, क्योंकि समाज में रहने वाले तरह-तरह के लोग हैं। हर किसी के विचार को मैं अपने ऊपर हावी नहीं होने देती हूं। समाज में सोच समय के हिसाब से बदलती रहती है, तो भला मैं क्यों उनके हिसाब से निर्णय लूं। मैंने ऐसी कई आलोचना सुनी हैं और उन सभी का मेरे पास मुंहतोड़ जवाब देने के लिए बहुत कुछ है। मेरे बेटी आज इस मुकाम पर है कि वह सभी के सामने अपने विचार व्यक्त कर सकती हैं और वह सभी के लिए एक इंस्पिरेशन भी है।
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बचपन से आपने प्रियंका को कैसे आगे बढ़ने की सीख दी?
मेरे पिता ने जो मुझे सीख दी थी, वही सीख मैंने अपनी बेटी प्रियंका को भी दी। मैंने एक मंत्र अपने बच्चों को यह सिखाया है कि 'खुद कोचवन्नी नहीं, रुपैया समझो वरना दुनिया तुम्हें चवन्नी समझेगी।' मेरा मानना है कि अगर आप खुद को कम वैल्यू देंगे और लोगों से कम समझेगा तो समाज में हर व्यक्ति आपको कम ही समझेंगा। इससे बेहतर है कि आप खुद को कीमती समझें और खुद की वैल्यू करना सीखें, तभी लोग आपको तवज्जो देंगे।
अपनी पैरेंटिंग स्टाइल के बारे में हमें बताइए
मेरे परिवार में मैं और मेरे हस्बैंड ने यह तय कर रखा था कि अगर हम दोनों में से कोई भी एक, बच्चों के लिए निर्णय लेता है तो दूसरा उस निर्णय को स्वीकार करेगा। इससे बच्चों को भी यह समझ में आता है कि माता-पिता आपसी सहमति से फैसले ले रहे हैं और वह एक के मना करने पर किसी दूसरे के पास नहीं जाते हैं। मैं हमेशा ओपन माइंडेड रही हूं। मेरे बच्चे हमेशा मुझसे हर बात शेयर कर सकते हैं और बचपन से ही मैंने उन्हें सिखाया है कि उन्हें अपने इमोशन्स खुल के शेयर करने चाहिए और हमेशा से मां ने अपने परिवार में बच्चों के विचार को भी इंपोर्टेंस दी है, क्योंकि हम उन्हें हमेशा वैल्यू देते हैं और उनके फैसले का भी सम्मान करते हैं। प्रॉब्लम तब आती है जब बच्चे अपनी बातों को माता-पिता से शेयर नहीं कर पाते हैं और इससे दिक्कत अधिक बढ़ जाती है। इस कारण से पैरेंट्स और बच्चों के बीच गैप आ जाता है। (HZ Exclusive: Shilpa Shetty ने कम समर्थन और ज्यादा जिम्मेदारियों को बताया महिलाओं के लिए बाधा)
प्रियंका को मिस इंडिया में भेजने का सफर कैसे तय किया?
जब मैं और मेरा बेटा सिद्धार्थ रोजाना की तरह शाम को काम करके वापस जा रहे थे, तब सिद्धार्थ ने मुझे एक पैम्फलेट दिखाया और कहा कि मां हम दीदी को इस प्रतियोगिता में भेज सकते हैं। उसकी बात पर मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और उसे बार-बार मना किया पर आखिरकार हमने प्रियंका को बिना बताए ही उसके लिए एक साधारण से पेज पर रिज्यूम बनाया और कुछ फोटोज भी उसमें रख दी। अगले दिन सिद्धार्थ ने इसे पोस्ट कर दिया। कुछ समय बाद जब फेमिना मिस इंडिया के सेलेक्शन का कॉल आया, तो प्रियंका को यह पता ही नहीं था कि हमने ही उसकी जानकारी को पोस्ट किया है। वह बहुत खुश हुई और हमने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। हमने प्रियंका पर और सिद्धार्थ पर कभी भी किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला। मेरा मानना है कि बच्चे 12 साल तक माता-पिता की छांव में बड़े होते हैं और उसके बाद वह आपकी बताई हुई चीजों को सीखकर आगे बढ़ते हैं। हम घर में आज भी सभी साथ में फैसले लेते हैं फिर चाहे कोई भी चीज क्यों ना हो। शुरू में उसे सभी से सपोर्ट नहीं मिला पर मैंने और मेरे पति ने मिलकर प्रियंका को सपोर्ट किया।
मां बनने के बाद भी आपने अपने करियर को कैसे बढ़ाया?
मैंने मां बनने के बाद अपने करियर को नहीं छोड़ा था, बल्कि एक कदम बस पीछे रखा था। प्रियंका ने भी मुझे करियर में आगे बढ़ने के लिए कहा और अपनी प्रैक्टिस को दोबारा शुरू करने के लिए कहा। इससे मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला।
मॉम गिल्ट के बारे में आपकी क्या राय है? महिलाओं को इससे कैसे निकलना चाहिए?
अगर किसी मां ने यह फैसला खुद से लिया है कि वह मां बनकर हमेशा अपने परिवार की देखभाल करना चाहती है, तो वह एक बहुत बड़ा और अहम फैसला है। एक मां के रूप में पूरे घर को संभालना बड़ी जॉब है और इसे आप किसी भी दूसरे प्रोफेशन से तौल नहीं सकते हैं। एक मां होना सबसे स्पेशल होता है और उसके सामने कोई भी काम बड़ा नहीं माना जाना चाहिए। वहीं, अगर कोई महिला मां होने के साथ-साथ करियर में भी आगे बढ़ रही है, तो उसका अपना निर्णय होता है। यह बेहद खूबसूरत है कि आप कैसे इसे मैनेज करती हैं और हर चीज का ध्यान रखती हैं। मैंने करियर में आगे बढ़ने का फैसला लिया, क्योंकि मैं हमेशा से यही चाहती थी। मेरा मानना है कि मॉम गिल्ट जैसा कोई भी शब्द सही नहीं है, क्योंकि हर मां का अपना डिसीजन अलग होता है। हर मां को अपने लिए समय निकालना भी जरूरी होता और अपने हिसाब से लाइफ को जीना चाहिए। उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग क्या सोचेंगे? आपको अपने मन के अनुसार, फैसले लेने का अधिकार होता है। मॉम गिल्ट जैसा शब्द मुझे बिल्कुल सही नहीं लगता है। मेरा मानना है कि हर मां को हमारे समाज में रिस्पेक्ट की जरूरत है।
मां बनने का बाद कई सारी जिम्मेदारियां सामने आती हैं और लोग एक मां को कई रूप से आंकने लगते हैं?
मैं यह मानती हूं कि जितनी छोटी लोगों की सोच होती है, वह वैसे ही दुनिया में रहना पसंद करते हैं। मुझे इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता है कि लोग क्या सोचते हैं। मैंने अपनी बेटी प्रियंका को भी यही सीख दी है कि लोगों की बातों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ने की जरूरत नहीं है। अपनी मर्जी के अनुसार, फैसले लेने से ही इंसान आगे बढ़ता है। जब प्रियंका ने अपने एग्स फ्रीज करवाए थे, तब लोगों ने कई तरह की बातें बोली थी, पर मैं यही राय दूंगी कि जो भी लड़कियां 28 से 35 उम्र तक हैं उन्हें अपने एग्स जरूर फ्रीज करवाने चाहिए, ताकि आपके ऊपर बाद में किसी भी प्रकार का प्रेशर ना रहे।
प्रियंका के मां बनने के बाद क्या आपने लोगों से ऐसे कमेंट्स सुने, जो मालती के नैन-नक़्श से जुड़े हुए थे?
मालती के फेस-फीचर्स बहुत सुंदर हैं और वह प्रियंका एवं निक दोनों के कारण है। मुझे लोगों की बातों का फर्क नहीं पड़ता है और मैं बस यही मानती हूं कि मालती के फेस से लेकर उसकी पर्सनैलिटी बहुत खास है। प्रियंका जिस तरह से सभी चीजों को संभाल रही है, वह बहुत बेहतरीन है। उसने छह माह से ही मालती को खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह सबसे अच्छी बात मुझे लगी है।
आपके लिए एक अच्छी मां की परिभाषा क्या है?
मेरे मानना है-धैर्य, धरती और मां एक-दूसरे के समानार्थी हैं। वुमन वही सक्सेसफुल होती है, जिसके पास धैर्य है और हर परेशानी को पार करके आगे बढ़े। बस एक सपोर्ट की जरूरत होती है। किसी भी महिला को खुद को कम नहीं समझना चाहिए। सभी महिलाओं को एक-दूसरे को सपोर्ट करना चाहिए। इससे वे एक साथ आगे बढ़ती हैं।
वास्तव में, डॉक्टर मधु चोपड़ा हम सभी के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं और परफेक्ट मॉम की कसौटी पर खरी उतरती हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो, तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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