Waking on the Street: रात में दिल्ली की सड़क पर चलते हुए क्या मैं महसूस करती हूं सुरक्षित?

निर्भया कांड ने जिस तरह से दिल्ली को दहलाकर रख दिया था। उसके बाद से अब तक भी इस स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। आज भी महिलाओं में शाम ढलते ही घर पहुंचने की हड़बड़ाहट रहती है।

 
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यह दिल्ली है मेरे यार...बस इश्क मोहब्बत प्यार! फिल्म 'दिल्ली-6' के इस गाने से आप कितना रिलेट कर पाती हैं? यह मोहब्बत वाले जिस शहर की बात हो रही है, एक महिला के लिए वैसा नहीं है शायद जितना एक पुरुष के लिए होगा। दिलवालों की इस दिल्ली में एक महिला कितना सुरक्षित महसूस करती है, यह आज भी एक बड़ा सवाल है।

निर्भया कांड को आज पूरे 11 साल हो गए हैं और इसके बावजूद देश की राजधानी सवालों के कठघरे में खड़ी है। वैसे तो देशभर में हमने बीते सालों में रेप केसेस के मामलों को पढ़ा और जाना, लेकिन दिल्ली का मामला अलग इसलिए हो जाता है क्योंकि यह हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है। निर्भया कांड होना अपने आप में एक राष्ट्रीय शर्म की बात थी, लेकिन उसके 11 साल बाद भी महिला सुरक्षा को लेकर स्थितियों में कोई बड़ा सुधार नहीं देखा गया।

बाहरी चकाचौंध से लबरेज दिल्ली में आज भी महिलाएं शाम ढलते ही घर पहुंचने की हड़बड़ाहट में रहती हैं। क्या आपको नहीं लगता है हमारी जिंदगी इससे अलग और निर्भय होनी होनी चाहिए?

मैं पिछले 8 सालों से दिल्ली में रह रही हूं। यहां के रास्तों को अच्छी तरह पहचानने लगी हूं, लेकिन उसके बावजूद किसी कैब या ऑटो से देर शाम घर पहुंचते वक्त मेरे सारे सेंसेस अलर्ट रहते हैं। मुझे घर पहुंचने में थोड़ी-सी देर क्या हो जाए, मेरे घर पर चिंता करती मेरी मां के फोन आने लगते हैं। छोटा भाई अक्सर सलाह देता है शाम को बाहर मत निकलाकर। पापा पूछते हैं, "आज फिर घर पहुंचने में देर हो गई।" मुझे पता है कि ऐसी ही चिंता मेरी जैसी दिल्ली में काम कर रही तमाम लड़कियों के घरवाले भी करते होंगे।

मेरी जैसी लड़कियों के लिए आसान नहीं है। छोटे शहर से निकलकर राजधानी में आकर अपनी जिंदगी संवारने के लिए मेहनत करना। भीड़भाड़ में अपने लिए एक ठिकाना खोजना और लोगों के बीच रहकर भी खोया हुआ महसूस करना। खुद के सपने को साकार करने के लिए हम लड़कियों को डर लगता है दिल्ली की सड़कों पर रात को निकलना। शाम होते ही दिल्ली और एनसीआर एक अलग ही दुनिया लगने लगती है, जहां मेरी जैसी लड़कियां आज भी डरी-सहमी सड़कों पर चलती हैं।

यह दिल्ली वही है जहां एक निर्भया ने अपना दम तोड़ा था। यह दिल्ली वही है जहां हर साल ऐसे केसेस हमारे सामने आते रहते हैं। चलिए आज मैं और मेरी जैसी कुछ लड़कियां बताने जा रही हैं कि हम दिल्ली में रात को अकेले चलते वक्त कैसा महसूस करती हैं।

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"भगवान का नाम जपते हुए करती हूं ट्रैवल"

दीपिका नेगी सेक्टर-16 की फिल्म सिटी में एक मीडिया कंपनी में नौकरी करती हैं। उनका घर दिल्ली के ईस्ट विनोद नगर, मयूर विहार फेज-II में है। उनकी रोटेशनल शिफ्ट है। ऐसे में दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे वाली शिफ्ट में ऑफिस जाते वक्त उन्हें हमेशा टेंशन लगी रहती है। वह कहती हैं, "मुझे घर जाने के लिए कैब मिलती है और मेरे साथ अन्य लोग भी होते हैं, लेकिन बावजूद इसके मुझे हमेशा घबराहट होती है। मेरे घर के लिए जाने वाला रास्ता संकरा है और कैब अंदर तक नहीं जा पाती, तो मैं घर से बस 50 मीटर दूरी पर उतरती हूं। इस 50 मीटर की दूरी पर भी मुझे भगवान का नाम जपना पड़ता है। मैं पिछले 6 साल से दिल्ली में हूं, लेकिन अब तक मुझे रात को अकेले ट्रैवल करना यहां सेफ नहीं लगता।"

"मेरे साथ हुई एक बाद से अक्सर फोन पर होता है बॉयफ्रेंड"

"कभी दोस्तों के साथ पार्टी करते हुए लौटती हूं, तो मेरा बॉयफ्रेंड हमेशा फोन पर होता है। मुझे कैब पर बैठाते वक्त वो मेरी कैब का नंबर और ड्राइवर का नाम जरूर पूछता है। मुझे उसकी केयर करना अच्छा लगता है, लेकिन जानती हूं कि उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा।" दीक्षा गुप्ता के बॉयफ्रेंड को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता ज्यादा होती है, क्योंकि एक बार उनके साथ स्टॉकिंग की घटना घट चुकी है। दीक्षा को दिल्ली आए हुए 8-10 महीने ही हुए थे। उनके बॉयफ्रेंड और वह एक ही कॉलेज में पढ़े थे। एक शाम दोस्तों के साथ डिनर करके जब वह घर पहुंची, तो उन्हें कैब वाले का देर रात कॉल आ गया। वह कैब वाला उनसे दोबारा मिलना चाहता था। उन्होंने उसे डांटकर फोन रख दिया, लेकिन अगले दिन उन्होंने देखा कि वह कैब वाला उनके कॉलेज के पास ही खड़ा था। इस घटना के बाद, दीक्षा ने अपने घर का पता तुरंत बदला और पुलिस और कैब कंपनी में भी शिकायत की थी। उस दिन के बाद से, उनका बॉयफ्रेंड और सभी दोस्त यह कोशिश करते हैं कि दीक्षा अकेली न रहे।

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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2022 में एक रिपर्ट शेयर की थी। शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन औसतन तीन बलात्कारों के साथ, दिल्ली अभी भी देश में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित महानगरों में से एक है। जहां 2022 में महिलाओं के खिलाफ 14,158 अपराध दर्ज किए गए थे।

महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे अन्य कई प्रकार के अपराधों में भी दिल्ली शीर्ष पर रहा, जहां 3,635 बलात्कारों में से लगभग एक तिहाई यानी 1, 204 मामले यहां पर दर्ज थे।

काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट ने बताया इस डर की वजह

फोर्टिस की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर निष्ठा का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि दुनिया के हर कोने को लेकर है। हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि पहले यह समझें कि ऐसी कौन-सी जगहें हैं, जहां महिलाओं की सुरक्षा कॉम्प्रोमाइज होती है। इसके अलावा, अक्सर खबरों में आने वाले रेप के केसेस हमारे परसेप्शन को बदल देता है। महिलाएं सेंस ऑफ सेफ्टी कहीं महसूस नहीं कर पाती हैं और यह डर उनमें घर जाता है।

अगर आपके आसपास ऐसी घटनाएं होती हैं, तो उसका असर आपके दिमाग पर पड़ता है और उस जगह या सिचुएशन को लेकर आपका अनसेफ फील करने लगती हैं।

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अकेली हैं आप तो ध्यान रखें ये सेफ्टी टिप्स

basic safety tips to follow

  • आप घर से बाहर निकली हैं, तो कोशिश करें कि किसी न किसी दोस्त या परिवार के सदस्य को उसके बारे में पता हो। अपने ट्रिप की जानकारी किसी के साथ शेयर जरूर करें।
  • अपना फोन हमेशा साथ रखें। अगर आप अपने आसपास कुछ संदिग्ध देखती हैं या महसूस करती हैं, तो उसे फोन में कैप्चर करें और अपनने दोस्तों से मदद मांगें।
  • फोन के स्पीड डायल पर करीब रहने वालों के नंबर जरूर रखें। किसी भी ऐसी स्थिति में आपकी मदद के लिए ऐसे लोग होने चाहिए, जो तुंरत आपके पास पहुंच सकें।
  • ऐसे किसी भी एरिया में जाने से बचें जो सुनसान हों। शाम के वक्त खासतौर से शॉर्ट कट्स लेने से बचें और लोगों से भरे और रोशनी वाले एरिया से घर जाएं।
  • कैब और ऑटो में बैठकर अपने फोन में बिजी न रहें। अपने रास्ते पर नजर रखें। अगर आप किसी नई जगह जा रहे हैं, तो दोस्त या जानकार से मैप मांगकर उसे भी फॉलो करें।
  • टॉर्च को छोड़कर, अपने हाथ खाली रखें। अगर आप देख रही हैं कि कोई आपका पीछा कर रहा है तो आपके लिए ऐसी स्थिति में प्रतिक्रिया देना आसान हो जाएगा।
  • अपने पास सेल्फ डिफेंस टूल्स रखें। सीटी, पेपर स्प्रे और पॉइंटी फिंगर रिंग्स अपने साथ रखें।

जब हम कहते हैं कि अपनी सुरक्षा अपने हाथ में हैं, तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं लगता है। ऐसे में फिल्म 'गोलमाल' के एक डायलॉग की याद आती है "अकेली लड़की खुली तिजोरी की तरह होती है।" ऐसे में यह हमारे हाथ में है कि अपनी तिजोरी को किस तरह संभालकर रखते हैं।

आपका इस बारे में क्या ख्याल है और क्या आप रात को असुरक्षित महसूस करती हैं? अपनी राय हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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