भारत में नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिला डॉक्टर और नर्स के लिए सुरक्षा नियम और दिशानिर्देश के अलग-अलग कानूनों और स्वास्थ्य संस्थानों के जरिए निर्धारित किए गए हैं। ये नियम इस बात को तय करने में मदद करते हैं कि महिलाएं सुरक्षित और सुरक्षित माहौल में काम कर सकें। हाल ही में कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की घटना सामने आई है। डॉक्टर की लाश कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिली थी। इस घटना के बाद से ही कोलकाता के साथ-साथ देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है और लोगों में गुस्सा है। यहां कुछ सुरक्षा नियम दिए गए हैं, जिनका पालन करके वे खुद को सुरक्षित रख सकती हैं।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रात की शिफ्ट के बाद महिला कर्मचारियों को सुरक्षित परिवहन उपलब्ध हो। ड्रॉप और पिकअप की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि महिला कर्मचारी को उसके घर के दरवाजे तक सुरक्षित पहुंचाया जाए।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि पार्किंग प्लेस अच्छी तरह से रोशन और सुरक्षित हो।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को ध्यान रखना चाहिए कि रात की शिफ्ट के दौरान सिक्योरिटी गार्ड उपलब्ध हों।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को तय करना चाहिए कि महिला कर्मचारियों के पास इमरजेंसी की हालत में कांटेक्ट करने के लिए एक आसान प्रोसेस हो।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को ख्याल करना चाहिए कि महिला कर्मचारियों को सिक्योरिटी के लिए ट्रेनिंग दिया जाए।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को ध्यान रखना चाहिए कि रात की शिफ्ट के दौरान महिला कर्मचारियों के साथ अन्य कर्मचारी भी उपलब्ध हों।
अस्पताल या स्वास्थ्य संगठन को तय करना चाहिए कि महिला कर्मचारियों के लिए सिक्योरिटी वार्ड उपलब्ध हो।
इन सुरक्षा नियमों का पालन करके, अस्पताल और स्वास्थ्य संगठन महिला डॉक्टर और नर्स को सुरक्षित कर सकते हैं।
भारत में हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड, 2020 सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम कार्य स्थितियों को सुनिश्चित करता है, जिसमें नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिला डॉक्टर और नर्सें भी शामिल हैं। इस कोड के तहत, कई नियम और विनियम हैं, जो महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को तय करते हैं।
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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता (OSH कोड), 2020, (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code) देश के लेबर लॉ को कारगर बनाने के लिए बनाया गया एक कोड है। इसमें 13 अहम लेबर लॉ के 633 प्रावधान शामिल हैं। इस कोड का मकसद, समान मानक तय करना, कागजी कार्रवाई को कम करना, कारोबार को आसान बनाना, और कई रजिस्ट्रेशन जैसी प्रशासनिक बाधाओं को कम करना है।
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इस कोड के तहत, संगठनों को केंद्र या राज्य सरकार के जरिए चुने गए रजिस्ट्रेशन करने वाले अधिकारियों के समक्ष इलेक्ट्रॉनिक रूप से 60 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
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