भारत "राज्यों का संघ" है। वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा गठित वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर 5 साल के अंतराल पर केंद्र सरकार के करों में हिस्सा मिलता है।
वित्त आयोग की सिफारिशों के अलावा, केंद्र सरकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत किसी भी राज्य को अधिक वित्तीय सहायता देने का हकदार है। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीयो राज्यों में पहले से ही कुछ राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त है, जबकि कुछ राज्य इसकी मांग भी कर रहे हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि जब किसी प्रदेश को स्पेशल राज्य का दर्जा मिल जाता है तो उसके मायने क्या होते हैं। साथ ही, आपको ये भी बताएंगे कि क्या स्पेशल राज्य का दर्जा मिलने पर वहां के नागरिकों को फायदा मिलता है या नुकसान होता है।
विशेष राज्य का दर्जा का मतलब क्या होता है?
साल 1969 में पांचवें वित्त आयोग ने गाडगिल फार्मूले के आधार पर तीन राज्यों (जम्मू और कश्मीर, असम और नागालैंड) को विशेष राज्यों का दर्जा मिला था। इसे सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक पिछड़ापन को देखते हुए विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था। जानकारी के लिए बता दें कि राज्यों को विशेष दर्जा देने के की मानदंड होते हैं। इनमें, संसाधनों की कमी, प्रति व्यक्ति आय कम, पहाड़ी इलाका, आर्थिक पिछड़ापन और कम जनसंख्या घनत्व आदि शामिल हैं।
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राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा मिलने वाले लाभ और सुविधाएं
- विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त राज्यों को उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, कॉर्पोरेट कर, आयकर और अन्य करों में छूट दी जाती है।
- केन्द्रीय बजट के नियोजित व्यय का 30% हिस्सा 'विशेष श्रेणी' वाले राज्यों को दिया जाता है।
- विशेष श्रेणी के राज्यों को ऋण अदला-बदली और ऋण राहत योजनाओं का लाभ दिया जाता है।
- विशेष श्रेणी वाले राज्यों को केंद्रीय निधि पाने में प्राथमिकता दी जाती है, ताकि राज्यों में विकास परियोजनाएं आकर्षित हों।
- विशेष श्रेणी वाले राज्यों को यह सुविधा है कि यदि किसी वित्तीय वर्ष में उनके पास कोई राशि बची रहती है, तो वह अगले वित्तीय वर्ष के लिए आगे बढ़ा दी जाती है।
किन राज्यों को स्पेशल स्टेटस दिया गया है?
वर्तमान में भारत में 11 राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया है। इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं।
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