आज के समय में लोग कई तरह की अलग-अलग तरह की जॉब करते हैं। हर जॉब के अपने कई चैलेंज होते हैं। ऐसी कई कंपनियां होती हैं, जिसमें लोग शिफ्ट में काम करते हैं। जहां कुछ लोग डे शिफ्ट में काम करते हैं तो कुछ लोगों की नाइट शिफ्ट होती है। अधिकतर लोग सोचते हैं कि नाइट शिफ्ट मंे काम करना अधिक आसान होता है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है।
जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उनकी ना केवल नींद प्रभावित होती है, बल्कि यह उनकी ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित करता है। ऐसे लोगों को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का रिस्क बहुत अधिक बढ़ जाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही हेल्थ रिस्क के बारे में बता रहे हैं-
नेचुरल स्लीप साइकल होता है डिस्टर्ब
जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उनके रातभर जागना पड़ता है। जिसका सीधा अर्थ यह है कि उनकी बॉडी का नेचुरल स्लीप साइकल डिस्टर्ब होता है। ऐसे व्यक्ति दोपहर में सोते हैं, लेकिन उन्हें वह अच्छी नींद नहीं मिल पाती है, जो रात में मिलती है। नींद आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। जब आप सोते हैं, तो इससे आपका तनाव कम होता है और बॉडी हील होती है।
दिल का दौरा पड़ने का बढ़ता है खतरा
आपको शायद पता ना हो, लेकिन जिन लोगों की नाइट शिफ्ट होती हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का रिस्क काफी बढ़ जाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में 2012 के एक अध्ययन के अनुसार, नाइट शिफ्ट में काम करने से व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की संभावना में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि नींद की आदतों में बदलाव रक्तचाप और सर्कुलेशन को प्रभावित करता है।
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बढ़ जाता है डिप्रेशन का खतरा
नाइट शिफ्ट में काम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। साल 2007 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि रात में काम करने वाले व्यक्तियों में सेरोटोनिन का स्तर काफी कम था। यह एक रसायन होता है, जो आपके मूड को बेहतर बनाने में मददगार है।
मेटाबॉलिज्म को करता है प्रभावित
आपके मेटाबॉलिज्म और हार्मोन का सीधा संबंध है। उदाहरण के लिए, लेप्टिन हार्माेन वजन, रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उनके शरीर में यह हार्मोन सही तरह से काम नहीं करता है, जिससे उन्हें समस्या होती है।
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डायबिटीज का भी बढ़ता है रिस्क
दिन में सोने और रात में काम करने से मोटापे के साथ-साथ मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है। दरअसल, जब व्यक्ति नाइट शिफ्ट में काम करता है तो इससे उसके शरीर का हार्मोन उत्पादन का संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को यह सभी समस्याएं हो सकती हैं।
हो सकती हैं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या भी हो सकती हैं। दरअसल, ऐसे लोग रात में जागने के लिए चाय-कॉफी आदि का अधिक सहारा लेते हैं। इसके अलावा, वह स्नैकिंग आदि भी करते हैं, जिससे उनका पाचन तंत्र प्रभावित होता है। ऐसे लोगों को अक्सर दस्त और अल्सर की शिकायत रहती है।
शरीर में विटामिन डी की होती है कमी
शरीर की कार्यप्रणाली को सही बनाने और हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होना आवश्यक है। यह कैल्शियम के अवशोषण में सहायता है। लेकिन जब विटामिन डी की कमी होती है तो इससे कई तरह के कैंसर, कमजोर हड्डियां व दिल की बीमारी आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन जब लोग रात में काम करते हैं, तो इससे उन्हें सूर्य की किरणों से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता है।
तो अब अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करती हैं तो काम के साथ-साथ अपनी सेहत का भी अतिरिक्त ध्यान रखें।
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Image Credit- freepik
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