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सावधान! सर्दियों में अपने दिल को संभाल कर रखें, हार्ट अटैक का बढ़ता है खतरा

चिकित्सकों का कहना हैं कि सर्दी के महीनों में दिल के दौरे पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं, इसलिए सर्दी के मौसम में विशेष सावधानी की जरूरत होती है।
IANS
Updated:- 2018-12-17, 12:03 IST

ठंड के प्रकोप के साथ ही कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जी हां सर्दियों के आते ही खांसी-जुकाम और बुखार के अलावा अस्‍थमा, हाई ब्‍लड प्रेशर, ब्रेन स्‍ट्रोक के मरीजों की तादाद भी बढ़ने लगती है। खासतौर पर दिल के मरीजों की संख्‍या तो इस मौसम में बढ़ जाती है। इसलिए सर्दी के मौसम में विशेष सावधानी की जरूरत होती है।

चिकित्सकों का कहना हैं कि सर्दी के महीनों में दिल के दौरे पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं, खासतौर पर सुबह के समय क्योंकि उस समय ब्‍लड वेसल्‍स सिम्पेथेटिक ओवर एक्टिविटी के कारण संकुचित होती हैं और अगर वातावरण में धुआं हो तो जोखिम दोगुना हो सकता है। चिकित्सकों के अनुसार, सर्दियों में हवा की धीमी गति और नमी के लेवल में वृद्धि हो जाती है। इस कारण से धुएं की स्थिति बिगड़ने लगती है, क्योंकि प्रदूषक तत्व हवा में नीचे बने रहते हैं और इधर-उधर फैल नहीं पाते।

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क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल ने कहा, “सर्दियों के शुरुआती दिनों के दौरान अधिक धुंध और स्मॉग आम है। सर्दियों में बारिश के दौरान बहुत ज्‍यादा नमी के होने पर तापमान में गिरावट आती है। जबकि, ड्राई या जाती हुई सर्दियों में फॉग या स्मॉग गायब कम हो जाता है और ठंडी हवाएं भी बंद हो जाती हैं।”

एक रिसर्च के अनुसार, वायु की खराब गुणवत्ता या धुआं सबसे खराब प्रकार के हार्ट अटैक का एक महत्वपूर्ण कारण है, जिससे समय से पहले मौत हो सकती है। दिल की समस्या वाले लोगों के लिए इन दिनों अधिक जोखिम रहता है।

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स्मॉग से बढ़ता है खतरा

डॉक्‍टर अग्रवाल ने बताया, “स्मॉग से होने वाले नुकसानों में आंखों में लालिमा, खांसी या गले में जलन, सांस लेने में कठिनाई प्रमुख है। स्मॉग से तीव्र अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं, साथ ही यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, एरिदमिया को भी बढ़ा सकता है। बच्चे, बुढे, डायबिटीज, हार्ट और फेफड़ों की बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से स्मॉग के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसलिए खुद को बचाने के लिए इन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।”

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बचाव के तरीके

डॉक्‍टर अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा, “अस्थमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस वाले मरीजों को स्मॉग वाले दिनों में दवा की खुराक में वृद्धि कर लेनी चाहिए, स्मॉग की स्थिति में जॉगिंग, रनिंग जैसी एक्टिविटी से बचें, स्मॉग के दौरान पैदल चलने से बचें, जितना संभव हो बाहर जाने से बचें, स्मॉग के घंटों के दौरान धीरे-धीरे ड्राइव करें, दिल के रोगियों को स्मॉग के दौरान सुबह के टहलना बंद कर देना चाहिए, फ्लू और निमोनिया के टीके लगवा लें।”

 

 

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