कभी न कभी आप टोल पॉइंट पर लंबी-लंबी गाड़ियों की कतार में ज़रूर फंसे होंगे। इस लंबी कतार के कारण न केवल समय का नुकसान होता है बल्कि ईंधन का भी नुकसान होता है। लेकिन जो लोग अपनी कार में फास्टैग लगाकर चलते हैं तो उनका समय भी बचता है ईंधन की भी बचत होती है। कार में फ़ास्टटैग हो तो आप झट से टोल पॉइंट को क्रॉस कर सकते हैं क्योंकि फास्टैग गाड़ियों के लिए अलग से कतार होती है। इसे लगाने से कुछ प्रतिशत तक पैसे की भी बचत हो सकती है।
ऐसे में अगर आप भी ये जानना चाहते हैं कि ये फास्टैग क्या है और इसे कार आदि गाड़ियों में लगाने से क्या लाभ है तो फिर आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस लेख में हम आपको फास्टैग के बारे में और इसके इस्तेमाल के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा बनाया गया फास्टैग (fastag) एक इलेक्ट्रॉनिक टोल सिस्टम है। फास्टैग एक स्टीकर की तरह होता है। फास्टैग को गाड़ी की आगे की विंडो स्क्रीन पर लगाया जाता है। यह रेडिओ फ्रिक्वेन्सी आइडेंटिफिकेशन की तरह काम करता है। इसका फायदा यह है कि जब आप टोल प्लाजा से गुजरते हैं तो आपको टोल पॉइंट पर रुकर टैक्स नहीं देना पड़ता है। गाड़ी पर लगा हुआ फास्टैग को स्कैनर स्कैन कर लेता और आसानी से भुगतान हो जाता है। फास्टैग को आप खुद से रिचार्ज भी कर सकते हैं।
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टोल प्लाजा पर अधिक जाम और लंबी-लंबी लाइन से निजात पाने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा फास्टैग सिस्टम शुरू किया गया है। इसके माध्यम से टोल टैक्स कलेक्ट करने में परेशानी नहीं होती है और पैसे सीधे नेशनल हाईवे अथॉरिटी के पास जाती है। फास्टैग से अवैध वसूली की समस्या से भी निजात के लिए इस प्रोग्राम को शुरू किया गया है।(गाड़ी खरीदने में महिलाओं का होता है अहम रोल?)
आपको बता दें कि फास्टैग एक नहीं बल्कि कई तरह के होते हैं। कहा जाता है कि छोटे व्यापारिक वाहनों के लिए नारंगी रंग का फास्टैग होता है। प्राइवेट कार के लिए बैंगनी रंग का फास्टैग होता है। इसके अलावा मशीनरी वाहनों के लिए काले रंग का फास्टैग इस्तेमाल होता है। वहीं कई गाड़ियों के लिए हरे रंग और पीले रंग के फास्टैग का इस्तेमाल होता है। गुलाबी रंग के फास्टैग का भी प्रयोग होता है।
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आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि फास्टैग को वर्ष 2014 में लागू किया गया था। शुरुआत में इसका इस्तेमाल मुंबई और अहमदाबाद के बीच टोल प्लाजा पर लागू किया गया था। धीरे-धीरे देश के लगभग सभी हिस्से में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा। आपको बता दें कि एक ही फास्टैग का प्रयोग अलग-अलग वाहनों में नहीं किया जा सकता है।(इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी खरीदते समय रखें ये ध्यान)
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