भारत सरकार की ओर से मनु भाकर और डी गुकेश, हॉकी खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्लेयर प्रवीण कुमार को खेल रत्न पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है। वहीं, 32 खिलाड़ियों को अर्जुन अवार्ड और 4 कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाएगा। युवा मामले एवं खेल मंत्रालय की ओर से इन विजेताओं के नाम घोषित किए गए थे। आपको बता दें कि 17 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में इन खिलाड़ियों को नवा्जा जाएगा। आइए, इसी के साथ खेल रत्न, अर्जुन अवॉर्ड और द्रोणाचार्य अवॉर्ड के बीच के अंतर को समझ लेते हैं?
खेल रत्न, अर्जुन औरद्रोणाचार्य पुरस्कार के बीच क्या है अंतर?
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कब दिया जाता है?
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार को पहले राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था। यह अवार्ड खासकर चार वर्षों से अधिक समय तक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन देने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। इसमें प्लेयर्स को एक प्रशस्ति पत्र, एक मेडल और 25 लाख रुपये का नकद दिया जाता है। खेल मंत्रालय की ओर से गठित एक समिति चयन करती है कि पिछले चार सालों में किन खिलाड़ियों का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। इसके बाद खिलाड़ियों के नामों का ऐलान किया जाता है। इस साल भारत सरकार की ओर से मनु भाकर, डी गुकेश के अलावा हॉकी खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्लेयर प्रवीण कुमार को खेल रत्न पुरस्कार देने का फैसला लिया गया है।
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अर्जुन पुरस्कार कब और किसे दिया जाता है?
अर्जुन अवॉर्ड उन खिलाड़ियों को दिया जाता है, जो खेल के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस पुरस्कार के तहत खिलाड़ियों को एक प्रशस्ति पत्र, अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और 15 लाख रुपये नकद की राशि दी जाती है। इस पुरस्कार की शुरुआत साल 1961 में हुई थी। इसका नाम भारतीय महाकाव्य महाभारत के प्रमुख पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है। सरकार ने इस साल 32 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड देने का फैसला किया है।
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द्रोणाचार्य पुरस्कार किसे दिया जाता है?
भारत में किसी भी खेल में एक कोच की अहम भूमिका या योगदान के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जाता है। यह पुरस्कार ऐसे गुरु को मिलता है जो खिलाड़ी के मार्ग प्रदर्शन करने के साथ-साथ उन्हें स्टार बनाने के लिए तैयार करता है। द्रोणाचार्य पुरस्कार, भारत में खेलों में प्रशिक्षकों के लिए सबसे बड़ा और सम्मानजनक अवॉर्ड है, जिसकी स्थापना 1985 में की गई थी। यह खासकर उन लोगों को दिया जाता है, जो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए पदक विजेता तैयार करते हैं। विजेताओं को द्रोणाचार्य की एक कांस्य प्रतिमा, एक प्रमाण पत्र और 10 लाख नकद राशि दी जाती है। इस साल 4 कोच को यह पुरस्कार दिया जाएगा।
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