प्रॉपर्टी के नाम पर लिया गया लोन, चाहे वह होम लोन हो या लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी, एक समय से जमा करने की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। अगर आप इस लोन को चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो इसकी वजह से कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। लोन डिफॉल्ट, प्रॉपर्टी की नीलामी, सिबिल स्कोर प्रभावित होगा, प्रॉपर्टी का अधिकार बैंक या वित्तीय संस्थान को चला जाएगा और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको बैंक या फाइनेंस इंडस्ट्री से संपर्क करना चाहिए और लोन की अदायगी के लिए विकल्पों पर चर्चा करनी चाहिए।
फोरक्लोजर क्या होता है
सबसे बड़ा खतरा यह है कि बैंक या फाइनेंस इंडस्ट्री आपकी संपत्ति को जब्त कर सकता है। यह कानूनी प्रक्रिया से होता है और इसे फोरक्लोजर कहते हैं। बैंकिंग भाषा में, लोन की अवधि समाप्त होने से पहले लोन का पूरा भुगतान करने को फोरक्लोजर कहा जाता है। इसे एकमुश्त भुगतान करके होम लोन अकाउंट को बंद करने की प्रक्रिया भी कहा जाता है। पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, बिजनेस लोन, टू-व्हीलर लोन या कार लोन सभी लोन में फोरक्लोजर का विकल्प होता है। हालांकि, यह सुविधा आपको लोन के बाद कुछ ईएमआई चुकाने के बाद ही मिलती है।
एनपीए (NPA) यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट कब डिक्लेअर होता है
अगर कोई बैंक लोन की किस्त या लोन 90 दिनों यानी तीन महीने तक नहीं चुकाया जाता, तो उसे एनपीए (NPA) यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट डिक्लेअर कर दिया जाता है। एनपीए का मतलब है फंसा हुआ कर्ज यानी बैंकों पर डूबा हुआ लोन। जब कोई बैंक से लोन लेता है और उसे चुका नहीं पाता, तो बैंकों द्वारा दी गई लोन की राशि फंस जाती है, जिसे बैंक एनपीए घोषित कर देते हैं। एनपीए बढ़ना किसी बैंक के लिए अच्छा नहीं माना जाता और इससे बैंकों को काफी नुकसान होता है। जितना ज़्यादा एनपीए बैंक पर रहता है, बैंकों की साख भी उतनी ही खराब होती है।
जब कोई व्यक्ति या कंपनी जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाते हैं
जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को 'विलफुल डिफॉल्टर' कहते हैं। जब बैंक एनपीए घोषित करता है, तो बैंक के पास उस लोन राशि से खरीदी गई संपत्ति या प्रॉपर्टी को जब्त करने का पूरा अधिकार होता है। इस संपत्ति को बकाया लोन के भुगतान के लिए नीलाम किया जा सकता है। अगर कोई लोन खाता एक साल या इससे कम अवधि तक एनपीए की कैटेगरी में रहता है, तो उसे 'सब स्टैंडर्ड एसेट्स' कहा जाता है। एक साल तक 'सब स्टैंडर्ड एसेट्स' की कैटेगरी में रहने पर उसे 'डाउटफुल एसेट्स' कहा जाता है।
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लोन न चुकाने से आपका क्रेडिट स्कोर बहुत बुरी तरह प्रभावित होगा। इससे भविष्य में आपको किसी तरह के लोन लेने में काफी मुश्किल होगी। बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। इसमें आपको कोर्ट में पेश होना पड़ सकता है और जुर्माना अदा करना पड़ सकता है।
लोन न चुका पाने की स्थिति में क्या करें
सबसे पहले बैंक से संपर्क करें और अपनी स्थिति के बारे में उन्हें बताएं। हो सकता है कि वे आपको लोन चुकाने के लिए कुछ और समय या दूसरे विकल्प दे सकते हैं। एक फाइनेंशियल सलाहकार आपकी फाइनेंशियल स्टेटस का आकलन कर सकता है और आपको एक समाधान खोजने में मदद कर सकता है। आप बैंक से लोन के लिए फिर से गठन करने का अनुरोध कर सकते हैं। इसमें लोन की अवधि बढ़ाना, ब्याज दर कम करना या ईएमआई को कम करना शामिल हो सकता है। अगर आप लोन चुकाने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, तो संपत्ति को बेचने पर विचार कर सकते हैं।
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एक बजट बनाएं और देखें कि आप मासिक किस्तों का भुगतान करने में सक्षम हैं या नहीं। किसी तरह की खर्च के लिए एक आपातकालीन निधि बनाएं। आय के स्रोत खोजने के लिए प्रयास करें ताकि आप लोन जल्दी चुका सकें।
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