पति अपनी संपत्ति को पत्नी को बेच सकता है, लेकिन इसके लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। भारतीय कानून के मुताबिक, कोई भी मालिक कानूनी प्रक्रिया का पालन करके अपनी संपत्ति को किसी को भी बेच सकता है। हालांकि, कोई भी व्यक्ति किसी ऐसी संपत्ति को नहीं बेच सकता, जो उसके नाम पर नहीं है। अगर पति अपनी पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति खरीदता है, तो उस संपत्ति पर अधिकार उसकी पत्नी का ही होगा। ऐसे में, पति पत्नी की सहमति के बिना अपने पैसे से उसके नाम पर खरीदी हुई संपत्ति को नहीं बेच सकता।
पत्नी की संपत्ति को लेकर क्या कहता है भारतीय कानून
इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील पंकज शुक्ला कहते हैं कि पति के पैतृक संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता है, लेकिन पति के द्वारा अर्जित संपत्ति पर पत्नी बराबर की हकदार होती है। वहीं, पति चाहे तो वह अपने हिस्से की संपत्ति को कॉन्ट्रैक्ट बना कर पत्नी को बेच सकता है। इस कॉन्ट्रैक्ट के दौरान पति और पत्नी अलग अलग पक्षकार होंगे। क्योंकि, पति और पत्नी को कानून की नजर में एक माना जाता है। यही कारण है कि पत्नी को अलग होने पर गुजारा भत्ता मिलता है। इसके अलावा पत्नी की संपत्ति उनके पूर्वजों की होती है, जिसमे कई हिस्सेदार होते, तो सबसे पहले पति को वो संपति मिले तब जाकर पत्नी को मिलती है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक, पत्नी का अपने ससुराल या पति की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। पत्नी का हक सिर्फ उसके पति की अर्जित की गई संपत्ति पर हो सकता है। पति की मौत के बाद यानी विधवा का अपने ससुराल की संपत्ति पर अधिकार होता है। वह उतना हिस्सा पा सकती है, जितना उसके पति का बनता हो।
इसे भी पढ़ें: Homemaker and property rights: संपत्ति से जुड़े ये कानूनी अधिकार महिलाओं को जरूर जान लेनी चाहिए
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत पत्नी का अपने पति की संपत्ति पर सीमित अधिकार होता है। उसे अपने पति से मेहर (महर) पाने का अधिकार है, लेकिन उसके पास अपने पति की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं है। हालांकि, वह अपने पति से भरण-पोषण का दावा कर सकती है, और उसे विवाह के दौरान अपने पति के घर में रहने का अधिकार है।
पति की संपत्ति में पत्नी का कितना हिस्सा होता है?
भारतीय कानून के मुताबिक, पति के जीवित रहते उसकी खुद से अर्जित की गई संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता। पति की मृत्यु के बाद ही उसकी पत्नी का संपत्ति में हक होगा। 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक, पत्नी को पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर हिस्सा मिलता है। हालांकि, यह अधिकार केवल उन संपत्तियों पर लागू होता है, जो पैतृक हैं, न कि उन संपत्तियों पर जो पति द्वारा स्व-अर्जित की गई हैं। पति की मृत्यु के मामले में और वह एकमात्र पत्नी है, अगर कोई संतान नहीं है, तो उसे उसकी संपत्ति का एक-चौथाई हिस्सा मिलेगा और एक-आठवां, अगर विवाह में बच्चे हैं।
अगर पति ने कोई वसीयत लिखी होगी, तो उसके आधार पर संपत्ति का अधिकार तय होगा। अगर पति अपनी वसीयतनामे में अपनी पत्नी के लिए कोई संपत्ति नहीं छोड़ता है, तो महिला को मृत पति की स्वअर्जित संपत्ति से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
इसे भी पढ़ें: जानें पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का होता है कितना अधिकार
अगर संपत्ति कंबाइंड फॉर्म में आयोजित की जाती है, और पति और पत्नी द्वारा कंबाइंड फॉर्म में भुगतान किया जाता है, तो अगर पत्नी को पति द्वारा अलग कर दिया गया है या छोड़ दिया गया है, तो वह अपने नाम पर 50 फीसदी हिस्सेदारी के अलावा, पति के हिस्से से अपने हिस्से का दावा कर सकती है। तलाक अंतिम होने तक उसे संपत्ति में रहने का भी अधिकार है।
अगर आपको हमारी स्टोरी से जुड़े सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिये गए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना न भूलें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए हर जिंदगी से जुड़े रहें।
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें-
Image credit: Freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों