क्या आप जानती हैं कि केवल हाउस वाइफ के पास ही संपत्ति में अधिकार नहीं होता है, बल्कि किसी भी महिला को चाहे वह अपने किसी रिश्ते, खानदान या शादी के संबंध में हो, उनको भी संपत्ति में अधिकार मिलता है फिर चाहे वह कामकाजी हो या गैर-कामकाजी। आइए, आज हम जानेंगे एडवोकेट प्रीति सिंह से कैसे किसी महिला को अपने संपत्ति में अधिकार मिल सकता है। शादी से पहले या शादी के बाद महिला के लिए क्या है भारतीय कानून में अधिकार?
भारतीय कानून में महिलाओं के लिए क्या है संपत्ति से जुड़े कानूनी अधिकार
भारतीय कानून के तहत, कोई महिला अपनी पैतृक संपत्ति में हमवारिस (coparcener) बनी रहती है, हमवारिस, जो हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) में जन्म से अपनी पैतृक संपत्ति में कानूनी अधिकार मिलता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो एचयूएफ में पैदा होता है, जन्म से एक हमवारिस बन जाता है। इस तरह, ऐसी महिला उस संपत्ति पर दावा करने का कानूनी अधिकार रखती है। इस धारा के अनुसार, महिला को अपनी पैतृक संपत्ति में अपने भाइयों के समान अधिकार मिलता है।
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भारत में महिलाओं को संपत्ति के अधिकारों के संबंध में कई कानूनी प्रावधान हैं। इन प्रावधानों को समझना और उन्हें लागू करना महत्वपूर्ण होता है ताकि महिलाएं अपनी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
किसी हाउसवाइफ को भारत में संपत्ति के संबंध में मिलते हैं ये अधिकार:
क्या है पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार:
महिला अपनी पैतृक संपत्ति में सहदायिक बनी रहती है और इस प्रकार, उस पर दावा करने का कानूनी अधिकार रखती है। यह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 6 के तहत प्रदान किया गया है। इस धारा के अनुसार, महिला को अपनी पैतृक संपत्ति में अपने भाइयों के समान अधिकार प्राप्त हैं।
एक घर में रहने का अधिकार:
किसी महिला को उस संपत्ति में रहने का अधिकार है जिस घर में वह रहती है। यह घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 19 के तहत प्रदान किया गया है। इस धारा के अनुसार, महिला को एक साथ रहने वाले घर से बेदखल नहीं किया जा सकता है, भले ही वह विवाहित हो या अविवाहित हो।
Self acquired प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा:
ऐसी शादीशुदा महिला जो एक हाउसवाइफ है, वह अपने पति की self acquired प्रॉपर्टी में बराबर का हिस्सा पाने की हकदार है। इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि एक महिला अपने पति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसलिए, उसे उसके योगदान के लिए संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए।
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महिलाओं के अधिकारों का दावा करने के लिए इन तरीकों का पालन करना होगा:
- एडवोकेट प्रीति सिंह बताती हैं कि सबसे पहले अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों, महिलाओं को अपने संपत्ति के अधिकारों के बारे में जरूर जागरूक होना चाहिए। उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कानूनी सलाह या अन्य संसाधनों से संपर्क करना चाहिए।
- अपने अधिकारों का दस्तावेज संभाल कर रखें, महिलाओं को अपने अधिकारों का दस्तावेज सहेज कर रखना चाहिए। इसका मतलब है कि उन्हें अपने अधिकारों से संबंधित सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखना चाहिए, जैसे कि संपत्ति के दस्तावेज में मैरिज सर्टिफिकेट, बैंक डॉक्यूमेंट और अन्य लीगल डॉक्यूमेंट।
- अपने अधिकारों के लिए स्वयं खड़े हों, महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने से डरना नहीं चाहिए। अगर उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, तो उन्हें महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 19 के अदालत में मुकदमा दायर करने या अन्य कानूनी कार्रवाई करने से डरना नहीं चाहिए।
- महिलाओं को अपनी संपत्ति के अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए, जो उनकी रक्षा करता है। यह नियम महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और समानता के लिए कारगर कदम माना जाता है।
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