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bhagwan ganesh ka sir

जानें धड़ से अलग हुए श्री गणेश के असली मस्तक का क्या हुआ

आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि महादेव द्वारा गणेश जी का धड़ से अलग हुआ सिर अब कहां है और उसका क्या हुआ। 
Editorial
Updated:- 2022-12-20, 15:17 IST

Lord Ganesh Head: भगवान श्री गणेश की जन्म कथा बड़ी ही रोचक है और इस कथा से सभी वाकिफ भी हैं। श्री गणेश का सिर महादेव द्वारा उनके धड़ से अलग हुआ था और फिर उनके असली शीश के बदले में उन्हें एक गज यानी कि हाथी के बच्चे का सिर लगाया गया था।

गौर करने वाली बात ये है कि गजानन को हाथी का शीश तो लगा दिया गया था लेकिन उनके असली शीश का क्या हुआ और वो इस समय कहा हैं। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधर पर आज हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

  • भगवान गणेश (जानें कौन हैं श्री गणेश के बेटे और पोते) के भारत समेत एनी देशों में भी कई मंदिर हैं जहां उनकी मूर्ति स्थापित है लेकिन वहीं, एक मंदिर ऐसा भी है जहां गणेश जी के उसी धड़ से अलग हुए शीश की पूजा की जाती है। यह मंदिर एक गुफा में पाताल की गहराई में है जहां जाना हर किसी के बस की बात नहीं।

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  • पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिवने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर उनके धड़ से अलग किया था तब वह सिर धरती के नीचे पाताल में स्थित एक गुफा में आकर गिरा था। बाद में इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी।

shri ganesh ka sir

  • आदि शंकराचार्य जी को जब यह गुफा मिली तब उन्होंने भगवान गणेश के शीश को स्थापित किया और यहां उनके सिर की पूजा का विधान शुरू किया। बता दें कि आज के समय में यह गुफा पाताल भुवनेश्वर के नाम से जानी जाती है।

patal bhuwaneshwar mandir

  • इस गुफा में स्थापित गणेश जी के शीश को आदि गणेश के नाम से संबोधित किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति आदि गणेश के दर्शन कर उनके शीश की पूजा करता है उसके अंतर्मन से अहंकार का नाश हो जाता है।

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  • बता दें कि पाताल भुवनेश्वर नाम से प्रसिद्ध यह स्थान उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। इस गुफा को लेकर एक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव(भगवान शिव का पाठ)यहां स्वयं गणेश जी के सिर की रक्षा करते हैं और उसका ध्यान रखते हैं।

तो यह थी श्री गणेश के धड़ से अलग हुए सिर की कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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