भारत में किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालने की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि उसे नौकरी से निकालने का कारण बताया गया है या नहीं। अगर किसी कर्मचारी को किसी कारण से नौकरी से निकाला जा रहा है, तो उसे आम तौर पर नौकरी से निकाले जाने से पहले अपने प्रदर्शन या व्यवहार में सुधार करने का मौका दिया जाएगा। हालांकि, अगर किसी कर्मचारी को बिना किसी कारण के नौकरी से निकाला जा रहा है, तो उसे नौकरी से निकाले जाने से पहले आम तौर पर एक निश्चित अवधि का नोटिस और विच्छेद वेतन दिया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता से जानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को कंपनी नौकरी से बिना बताए बर्खास्त करती हैं, तो क्या उसे लेकर भारत में क्या नियम-कानून बनाए गए हैं।
भारत में क्या है सेवरेंस पे (What is severance pay)
भारत में विच्छेद वेतन का तात्पर्य कर्मचारी द्वारा किसी कर्मचारी को दिया जाने वाला वित्तीय मुआवजा या लाभ पैकेज है, जिसे नौकरी से निकाल दिया गया हो। यह कर्मचारियों को तब भी दिया जा सकता है जब उसे दूसरी नौकरी नहीं मिल जाती है या उनके अनुबंध संबंधी समझौते की अवधि समाप्त होने वाली होती है।
कर्मचारी को नौकरी से निकालने को लेकर बने नियम (Termination rules for employees in India)
कर्मचारियों की नौकरी से निकालने को लेकर कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं ताकि कोई कंपनी कर्मचारी को परेशान या प्रताड़ित न कर सके। अगर आपको कोई कंपनी बिना बताए या बिना वजह, बिना नोटिस पीरियड के आपको नौकरी से निकालती है, तो कर्मचारी को खुद के लिए को देश के कानूनों और विनियमों का पालन करना चाहिए। कर्मचारी बर्खास्तगी से संबंधित कई भारतीय कानून हैं, जिनमें औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 और औद्योगिक रोजगार अधिनियम, 1946 शामिल हैं।
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- औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत छंटनी और व्यवसायों को बंद करने सहित रोजगार की समाप्ति के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। कानून के अनुसार कर्मचारियों और संबंधित सरकारी अधिकारियों दोनों को नौकरी से निकालने से पहले नौकरी से निकाले के कारण और नोटिस पीरियड के बारे में बताना होता है, जिन कर्मचारियों को उचित सूचना या मुआवजे के बिना नौकरी से निकाल दिया जाता है, वे श्रम न्यायालय में दावा दायर करने के हकदार हैं।
- अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के अनुसार भारत में अनुबंध श्रमिकों (contract workers) की नियुक्ति को रेगुलरिटी करता है। कानून के अनुसार कर्मचारी को अनुबंध श्रमिकों को नियुक्त करने से पहले संबंधित अधिकारियों से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत कांट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारियों को कुछ प्रक्रियाओं का भी पालन करना चाहिए, जैसे कि उन्हें पर्याप्त नोटिस और मुआवजा प्रदान करना।
- औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 नियम 100 से अधिक कर्मचारियों वाले व्यवसायों पर लागू होता है। कानून के अनुसार कर्मचारी को 'स्थायी आदेश' बनाने की आवश्यकता होती है, जिसमें रोजगार की शर्तों के साथ-साथ बर्खास्तगी की प्रक्रिया का विवरण होता है। स्थायी आदेशों में निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नौकरी से निकाले गए कर्मचारी श्रम न्यायालय में दावा दायर करने के हकदार हैं।
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