जानिए सस्पेंड और बर्खास्त के बीच का अंतर, क्या दोबारा मिलती है नौकरी

हम सभी ने नौकरी के दौरान सस्पेंड और डिसमिस जैसे शब्द सुनते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दोनों में फर्क क्या है।

 
What is the meaning of dismissed and suspension

सरकारी नौकरी से लेकर प्राइवेट सेक्टर हर जगह कर्मचारियों को उनके काम से निलंबित और बर्खास्त करने का नियम होता है। लेकिन इसके लिए कई प्रकार के नियम बनाए गए है। भारत में सरकारी नौकरी के लिए लोग सालों-साल मेहनत करके इसे हासिल करते हैं। इस दौरान मिलने वाली सुविधाएं व्यक्ति के जीवन को काफी बेहतर बनाती है। इसके साथ ही अगर किसी की नौकरी लग जाए तो मानो उसकी लाइफ सेट हो गई, उसे ना ही नौकरी के लिए जगह-जगह भटकना पड़ता और न किसी से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस नौकरी में कुछ ऐसी चीजें हैं, जिसे सुनकर लोगों का हाल खराब हो जाता है। उसका नाम निलंबन और बर्खास्त शामिल है। इस आर्टिकल में आज हम आपको इन दोनों के बीच का फर्क बताने जा रहे हैं।

क्या है निलंबन और बर्खास्त में फर्क

नौकरी के दौरान हम सभी ने इन दो शब्दों के बारे में तो जरूर सुना होगा। ये दोनों शब्द सुनने में भले ही एक जैसे हो लेकिन इनके बीच एक बड़ा अंतर और प्रभाव काफी अलग है।

बर्खास्त का मतलब क्या है (What does dismissed meaning)

What meaning of dismissed

प्राइवेट सेक्टर में अगर किसी को किसी कारणवश कंपनी से निकाल दिया जाए तो वह अन्य कंपनी में जाकर नौकरी के लिए अप्लाई करता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर आपको आपकी सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए तो क्या होगा। बता दें कि अगर आप आपको एक बार बर्खास्त कर दिया गया है, तो आप कोई सरकारी नौकरी नहीं कर सकते हैं। अंग्रेजी भाषा में बर्खास्त को डिसमिस कहते हैं। अगर कोई कर्मचारी किसी ऐसे कार्य में सम्मिलित पाया जाता है, जो नियमों को तोड़कर, गलत काम करता है, तब उसे तुरंत डिसमिस कर दिया जाता है।

निलंबन का मतलब क्या है (What does suspension )

What is the difference between suspend and sack

निलंबन को अंग्रेजी भाषा में सस्पेंड कहा जाता है। अगर कोई कर्मचारी किसी ऐसे कार्य में संलग्न पाया जाता है, जो उसकी नौकरी की प्रतिष्ठा के खिलाफ हो, उस दौरान उसे निलंबित कर दिया जाता है। इसके लिए कर्मचारी के किए गए कार्य के लिए एक जांच कमेटी बैठाई जाती है, ताकि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करें। इस दौरान कर्मचारी का ऑफिस आने पर रोक लगा दी जाती है। ऑफिस न आने पर भी उसे आधी सैलरी मुहैया कराई जाती है। अगर कर्मचारी पर लगे आरोप साबित होते हैं, उसे बर्खास्त कर दिया जाता है। अगर आरोप गलत साबित होते हैं, उसे नौकरी पर आने की परमिशन दे दी जाती है।

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Image Credit- Freepik

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