यूपीएससी परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन केवल कुछ ही उम्मीदवार इसमें सफल हो पाते हैं। लेकिन क्या आप यूपीएससी एग्जाम से संबंधित सारी डिटेल्स जानते हैं? आपको पता है कि इसकी शुरुआत कैसे हुई और कहां से संघ लोक सेवा आयोग की जानकारी मिलती है? अगर नहीं जानते हैं, तो चलिए Rau’s IAS Study Circle के सीईओ अभिषेक गुप्ता से इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं।
भारत में कैसे हुई थी यूपीएससी परीक्षा की शुरुआत?
भारत में इस परीक्षा की शुरुआत मुगल काल के बाद से ही हो गई थी। फिर, साल 1854 में मैकाले की रिपोर्ट लागू होने के बाद सिविल सेवा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए और इसके पैटर्न बदले गए। इस दौरान, सिर्फ वही कैंडिडेट यूपीएससी एग्जाम के लिए योग्य माने जाते थे, जो ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज से पढ़ाई किए रहते थे। हालांकि, साल 1855 के बाद, आईसीएस में भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह से योग्यता पर आधारित होने लगी।
साल 1937 में बना संघीय लोक सेवा आयोग
साल 1922 से भारतीय सिविल सेवा परीक्षा भारत में आयोजित की जाने लगी। इसके बाद, सिविल सेवा के विभिन्न पहलुओं की जांच करने और उचित उम्मीदवारों की भर्ती की जिम्मेदारी लेने के लिए, 1 अक्टूबर, 1926 को एक नियमित लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई। फिर, भारत सरकार अधिनियम, 1935 में लोक सेवा आयोगों से संबंधित कुछ धाराएं जोड़ी गईं। यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1937 को लागू किया गया, जिसके बाद से केंद्र में तत्कालीन लोक सेवा आयोग का नाम बदलकर संघीय लोक सेवा आयोग कर दिया गया।
लोक सेवा आयोग को कब मिला संवैधानिक दर्जा?
संविधान सभा ने सिविल सेवाओं में निष्पक्ष भर्ती सुनिश्चित करने के साथ-साथ सेवा हितों की सुरक्षा की आवश्यकता को महसूस किया। फिर, संघीय और प्रांतीय दोनों स्तरों पर लोक सेवा आयोगों को अधिक सुरक्षित और स्वायत्त दर्जा दिया जाने का प्रस्ताव रखा। स्वतंत्रता के बाद संघीय लोक सेवा आयोग, संघ लोक सेवा आयोग बन गया और इसकी प्रांतीय इकाइयां भी बनी। यानी प्रत्येक राज्य का लोक सेवा आयोग बन गया। आखिर में, 26 जनवरी 1950 से, जिस दिन संविधान लागू किया गया था, उसी दिन लोक सेवा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
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UPSC की जानकारी कहां से मिलती है?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की जानकारी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत बताई गई है। कार्य यूपीएससी का दायरा, क्षेत्राधिकार, अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल, उनके अधिकार और विशेषाधिकार और अन्य संबंधित मामले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 में शामिल है। वहीं यूपीएससी के कार्यों की जानकारी अनुच्छेद 320 में निर्धारित किया गया है।
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Image credit- Herzindagi, Jagran
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