किसी को अरेस्ट करने के लिए कानूनी कार्यवाई होती है, लेकिन कई बार बिना किसी नोटिस के भी पुलिस अरेस्ट कर सकती है। दरअसल, गिरफ्तारी को लेकर बहुत से ऐसे नियम होते हैं जिनके बारे में लोगों को पता नहीं होता। अगर पुलिस को किसी अपराध को लेकर शक होगा, तो भी कुछ मामलों में गिरफ्तारी हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि पुलिस बिना सोचे समझे किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि, जिसे गिरफ्तार किया जा रहा है उसके पास भी कुछ अधिकार होते हैं।
समझने वाली बात यह है कि अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो आप किन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील नीतीश बांका ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। नीतीश ना सिर्फ दिल्ली के जाने-माने वकील हैं, बल्कि एक लॉ इन्फ्लूएंसर भी हैं।
भले ही अरेस्ट का वारंट हो या नहीं, लेकिन हर इंसान को यह जानने का अधिकार है कि उसे किस कारण से अरेस्ट किया जा रहा है। कोई भी पुलिस वाला आपको बिना कारण बताए अरेस्ट नहीं कर सकता है। यह हमारे फंडामेंटल राइट्स में से एक हैं। सेक्शन 50(1) का आर्किटल 22(1) कहता है, "अरेस्ट किया गया कोई भी इंसान कस्टडी में नहीं रखा जा सकता है अगर उसे इस बारे में पता नहीं है कि उसे क्यों अरेस्ट किया गया है।"
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अगर किसी इंसान को अरेस्ट कर लिया गया है और उसके खिलाफ वारंट नहीं है, तो उसे यह जानने का अधिकार है कि क्या उसकी बेल हो सकती है? क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 के सेक्शन 50(2) के मुताबिक पुलिस ऑफिसर खुद इसकी जानकारी देता है। अगर आरोपी को बेल चाहिए, तो वह उसका इंतजाम कर सकता है। (जानिए पुलिस ऑफिसर को मिलती है कितनी सैलरी)
भले ही अरेस्ट वारंट के साथ हुई हो या फिर बिना वारंट के। अगर पुलिस ने किसी को अरेस्ट किया है, तो बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए उसे 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए डिटेन नहीं किया जा सकता है। अगर यह अवधि समाप्त हो रही है, तो पुलिस को आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना ही होगा। (मिलिए भारत की पहली महिला मजिस्ट्रेट से)
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पहली बात तो अरेस्ट के बाद पुलिस मारपीट नहीं कर सकती है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो आपके पास मेडिकल का अधिकार होगा। आप उसके खिलाफ मजिस्ट्रेट के सामने भी शिकायत कर सकते हैं। अगर पुलिस कस्टडी में तबियत भी खराब होती है, तो डॉक्टर को बुलाया जाएगा और इलाज करवाया जाएगा।
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अगर पुलिस आपको अरेस्ट कर लेती है, तो आपके पास पूरा अधिकार होगा कि आप अपनी पसंद का वकील चुन सकें। अगर आपके पास वकील की फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं, तो आपको सरकारी वकील भी दिया जा सकता है। इस तरह से आपके पास पूरा अधिकार होगा कि आप अपने केस की पैरवी कर सकें। अगर आप चाहें, तो खुद का केस भी लड़ सकते हैं।
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Image Credit: Freepik
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