भारत में एक जनरल प्रैक्टिस है कि अगर आप भारतीय नागिरक हैं और आपकी ग्रॉस इनकम बेसिक टैक्स एग्जेंप्शन से अधिक है, तो आपको हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है। ITR एक इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल भारत में इनकम टैक्स विभाग को अपनी इनकम और Assets को बताने के लिए किया जाता है। इसमें टैक्सपेयर्स के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन्स के बारे में जानकारी दी जाती है। इस फॉर्म को भरकर टैक्सपेयर्स अपनी इनकम, संपत्ति, क्लेम किए गए रिफंड, भुगतान किए गए टैक्स के बारे में सेल्फ-डिक्लेरेशन देते हैं।
आमतौर पर, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है, यदि आप समय से पहले आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग पर विचार करते हैं, तो जल्दी ITR दाखिल करने के कई लाभ भी होते हैं। आप उन परेशानियों से बच सकते हैं, जो आपको टाइम लिमिट के करीब या टाइम लिमिट के बाद अपना ITR फाइल करने पर हो सकती हैं। जब आप इनकम टैक्स रिटर्न जल्दी दाखिल करते हैं, तो आप अपने टैक्स रिफंड को जल्दी पाने के हकदार बन जाते हैं।
जब आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं और उसे सत्यापित नहीं करते हैं, तो इसे अमान्य कर दिया जाता है। आपको ITR दाखिल करने के बाद 30 दिनों के भीतर ITR को वेरिफाई करना जरूरी होता है। अगर आप समय से पहले इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको सभी डिटेल्स की समीक्षा करने और अगर कोई गलती है, तो उसे सुधारने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
आप जितनी जल्दी ITR दाखिल करते हैं, उतना ही इनकम टैक्स विभाग रिटर्न को प्रोसेस करता है और आपको आपका रिफंड जल्दी मिल सकता है। रिफंड का तरीका पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर होता है।
31 जुलाई के बाद ITR दाखिल करने पर पेनल्टी देनी पड़ती है। हालांकि, जब आप समय से पहले इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देते हैं, तो आप रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करते हैं, तब तक आपके रिटर्न को सही करने के लिए कोई पेनल्टी नहीं लगती है।
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जल्दी ITR फाइल करने पर आपको सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। आंकड़ों की जांच करने और गलतियां कम करने के लिए आपके पास समय होता है।
आपकी सैलरी, FD या किसी दूसरे सोर्स से टैक्स लिया जा सकता है, भले ही आपकी इनकम टैक्स के अधीन न हो। उदाहरण के लिए आपकी एनुअल इनकम 2.5 लाख रुपये है, लेकिन आपको बैंक में FD से 1 लाख रुपये मिलते हैं, तो बैंक इस अमाउंट से 10 फीसदी की कटौती करता है। काटे गए इस TDS का क्लेम टैक्सपेयर ITR दाखिल करते समय कर सकता है।
कुछ देश वीज़ा के लिए आवेदन करने वालों से टैक्स रिटर्न फाइल करने के प्रमाण की मांग करते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप Schengen Visa के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो आपको पिछले 3 सालों के टैक्स रिटर्न जमा करने होंगे।
जब आप होम लोन या कार लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो आपको पैन कार्ड, आधार कार्ड, लाइसेंस जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करने पड़ते हैं। इसके अलावा, बैंक टैक्सपेयर की क्रेडिट योग्यता के आकलन के लिए ITR या इनकम प्रूफ मांग सकता है।
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जब आप कोई नई कंपनी शुरू करने या कंपनी के विस्तार के लिए फंडिंग की प्लानिंग करते हैं, तो आपका इन्वेस्टर बिजनेस की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और प्रोफिटिबिलिटी के आकलन के लिए आपके ITR डिटेल्स की मांग कर सकता है।
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