7 Types Of ITR Forms:भारत के हर नागरिक का दायित्व है कि वह अपनी कमाई के हिसाब से इनकम टैक्स रिर्टन (Income Tax Return) जरूर दाखिल करें। ITR, सरकार को आपकी इनकम और उस पर चुकाए गए टैक्स की डिटेल्स देने का तरीका है। टैक्सपेयर्स को हर साल 31 जुलाई या उससे पहले अपना ITR फॉर्म भरकर जमा करना होता है। वैसे तो भारत में कुल 7 तरह के ITR Forms भरे जाते हैं, जिसमें ITR-1 से लेकर ITR-7 तक के फॉर्म शामिल हैं। लेकिन, कई बार कन्फ्यूज़न होती है कि हमें कौन-सा फॉर्म भरना चाहिए।
आज हमइस आर्टिकल में आपको ITR फॉर्म के प्रकार और कौन-सा फॉर्म किस मामले के लिए लागू होता है इसके बारे में बताने वाले हैं।
क्या है ITR फॉर्म?
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में एक इंसान अपने सालभर की इनकम और भुगतान किए गए टैक्स के बारे में जानकारी भरता है। आमतौर पर फाइनेंशियल ईयर 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक का होता है। फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया था, लेकिन न्यू टैक्स स्लैब के अनुसार 3 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगेगा। वहीं, 3 लाख रुपये से ऊपर की इनकम पर टैक्स लगेगा और जिन लोगों की एनुअल इनकम 3 लाख से ऊपर है, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
कितने तरह के होते हैं ITR फॉर्म?
कई बार लोग आईटीआर फाइल करते समय गलत फॉर्म चुन लेते हैं और उसे फाइल कर देते हैं। जिसकी वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उनके फॉर्म को रिजेक्ट कर देता है। आपको बता दें कि ITR Forms 7 तरह के होते हैं, इसमें ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 शामिल हैं।
ITR-1 या SAHAJ
ITR-1 फॉर्म को वे लोग भर सकते हैं, जिनकी टोटल इनकम 50 लाख रुपये तक है। ITR-1 वे लोग भरते हैं, जो नौकरी, घर, पेंशन, ब्याज और 5000 रुपये तक की कृषि आय से पैसा कमाते हैं। ITR-1 को NRI नहीं भर सकते हैं। वहीं, वेतनभोगी टैक्सपेयर फॉर्म 16 का इस्तेमाल करके ITR फाइल कर सकते हैं।
ITR-2
यदि आपकी इनकम 50 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको ITR-2 फॉर्म भरना होता है। ITR-2 फॉर्म उन व्यक्तियों और HUF के लिए है, जिनकी इनकम वेतन या पेंशन, प्रॉपर्टी से, कैपिटकल गेन्स, इंटरेस्ट, डिविडेंट, लॉटरी और 5000 रुपये से अधिक कृषि आय होती है। अगर आप किसी बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम करते हैं, तो आपको ITR-3 या ITR-4 फॉर्म दाखिल करना होगा।
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ITR-3
ITR-3 फॉर्म का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार(HUF) करते हैं, जो बिजनेस या प्रोफेशन(जैसे-डॉक्टर,वकील,आर्किटेक्ट आदि) से पैसा कमाते हैं। यह फॉर्म बिजनेस या प्रोफेशन एक्टिवटीज़ से पैसा कमाने वाले टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। नीचे दिए गए सोर्स से इनकम करने वाले व्यक्तियों को ITR-3 दाखिल करना होता है।
- अनुमानित इनकम का ऑप्शन नहीं चुनने वाला बिजनेस या प्रोफेशन
- बिजनेस या प्रोफेशन करने वाला जिसे अकाउंट्स बुक को बनाए रखने या उनको ऑडिट करवाने की जरूरत होती है।
- यदि आपने फाइनेंशियल ईयर के दौरान किसी भी समय अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में इन्वेस्ट किया है।
- रिटर्न में हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी या पेंशन और दूसरे सोर्स से इनकम शामिल हो सकती है।
- विदेश में प्रॉपर्टी रखने वाले या भारत के बाहर पैसा कमाने वाले टैक्यपेयर्स के लिए ITR-3 फॉर्म अनिवार्य है।
- फर्म में पार्टनर के रूप में किसी इंसान की इनकम के लिए भी इस फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है।
ITR 4 or Sugam
आईटीआर-4 फॉर्म, जिसे सुगम(SUGAM) के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल ऐसे व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों(HUF) और फर्मों (LLP को छोड़कर) द्वारा किया जाता है, जो आयकर अधिनियम की धारा 44AD, 44ADA या 44AE के तहत अनुमानित कराधान योजना(Presumptive Taxation Scheme) का ऑप्शन चुनते हैं। ITR-4 फॉर्म स्मॉल टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स दाखिल करना आसान बनाता है। हालांकि, अगर आपका बिजनेस टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से अधिक है, तो टैक्सपेयर्स को ITR-3 फॉर्म दाखिल करना होगा।
ITR-5
आईटीआर-5 फॉर्म उन व्यक्तियों या HUF के अलावा पार्टनरशिप, LLP, एसोसिएशन और कॉर्पोरेटिव सोसाइटी जैसी विभिन्न संस्थाओं द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपनी इनकम और टैक्स लाइबिलिटी की रिपोर्ट देने के लिए किया जाता है। नीचे दी गई संस्थाएं ITR-5 फॉर्म दाखिल करने के लिए एलिजिबल हैं-
- पार्टनरशिप फर्म
- लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप(LLP)
- एसोसिएशन ऑफ पर्सन(AOP)
- बॉडी ऑफ इन्टीविजुअल्स(BOI)
- कॉर्पोरेटिव सोसाइटी
- आर्टिफिशियल जुरीशियल पर्सन(AJP)
- लोकल अथॉरिटीज़
- बिजनेस ट्रस्ट और इन्वेस्टमेंट फंड्स
ITR-6
कंपनी अधिनियम 2013 या उससे पहले रजिस्टर्ड कंपनियां, जो धारा 11(धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए रखी गई प्रॉपर्टी से इनकम कमाते हैं) के तहत छूट का दावा करने वाली कंपनियों के लिए, यह रिटर्न केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल किया जाना है।
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ITR-7
इस फॉर्म को धर्मार्थ या धार्मिक ट्रस्ट, राजनीतिक दल, वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान, अस्पताल, मेडिकल संस्थान, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, समाचार एजेंसियां, शैक्षणिक संस्थान और बिजनेस ट्रस्ट द्वारा दाखिल किया जाता है। ये आयकर अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों, जैसे- धारा 139(4A), 139(4B), 139(4C), या 139(4D) के अंतर्गत आते हैं।
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Image Credit - freepik
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