नया साल शुरू हो गया है और इसके साथ ही सत्र 2025-26 के बजट में इनकम टैक्स को लेकर क्या बदलाव होंगे और क्या नहीं, पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इनकम टैक्स भरने की जब भी बात आती है, तो साथ ही फॉर्म 16 का जिक्र भी होने लगता है। फॉर्म 16 एक तरह का प्रमाण पत्र है, जिसका सीधा-सीधा कनेक्शन नौकरीपेशा लोगों से होता है।
फॉर्म 16 से ही नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी, इनकम और टैक्स की जानकारी होती है। इसी से पता लगता है कि सैलरी से कितना टैक्स कटा है और किस सेक्शन से टैक्स सेविंग्स हुई हैं। व्यक्ति जिस कंपनी में काम कर रहा है, वही कंपनी फॉर्म 16 को असेसमेंट ईयर 15 जून या उससे पहले जारी करती हैं। जिसके बाद सैलरी पाने वाले लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर पाते हैं।
फॉर्म 16 का इस्तेमाल केवल टैक्स भरने के लिए नहीं किया जाता है। यह एक तरह से इनकम प्रूफ की तरह भी काम करता है, जिसका इस्तेमाल बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन लेने के दौरान भी किया जाता है। फॉर्म 16 के बारे में तो इनकम टैक्स भरने वाले जानते ही होंगे, लेकिन क्या आप फॉर्म 16 के पार्ट A और B में अंतर जानते हैं। अगर नहीं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। यहां इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इस्तेमाल होने वाले फॉर्म 16 के पार्ट A और B के बारे में हम कुछ डिटेल्स लेकर आए हैं।
फॉर्म 16 के पार्ट A और B में क्या अंतर होता है?
फॉर्म 16 पॉर्ट A
फॉर्म 16 के पार्ट A में सर्टिफिकेट, डेट, संस्थान का TAN, संस्थान और कर्मचारी का PAN, पता, एसेसमेंट ईयर, रोजगार की अवधि और किस क्वाटर में कितना टीडीएस जमा हुआ है, इसकी डिटेल्स होती हैं।
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फॉर्म 16 पार्ट B
फॉर्म 16 के पार्ट B में ग्रॉस सैलरी और उसके ब्रेकअप की डिटेल्स होती हैं। जैसे- सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस आदि होते हैं। पार्ट B में इनवेस्टमेंट (इंश्योरेंस, प्रोविडेंट फंड, इंटरेस्ट आदि) का कॉलम भी होता है, लेकिन इसमें अमाउंट तब ही दिखाई देगा, जब इसकी डिटेल्स आपने एम्पलॉयर को दी होगी।
फॉर्म 16 के पार्ट बी में टैक्स छूट और सेक्शन 89 के तहत मिलने वाली राहत की जानकारी भी मिलती है।
फॉर्म 16 की मदद से ही इनकम टैक्स आसानी से भरा जा सकता है। इस फॉर्म को कंपनियां अपने एम्पलॉयर को देती हैं। वहीं, अगर आपकी सैलरी के अलावा भी कोई आय है तो इसके लिए फॉर्म 16A होता है। आइए, यहां समझ लेते हैं कि फॉर्म 16 से फॉर्म 16 A कैसे अलग होता है।
क्या होता है फॉर्म 16A?
यह भी एक तरह का टीडीएस सर्टिफिकेट होता है, लेकिन इसमें सैलरी के अलावा होने वाली इनकम की डिटेल्स होती हैं। फॉर्म 16A से पता लगता है कि नॉन सैलरी इनकम पर कितना टीडीएस कटा है। जैसे- सैलरी के अलावा भी किसी व्यक्ति की अन्य सोर्स से इनकम हो सकती है, जिसमें फिक्सड डिपॉजिट पर रिटर्न, म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड बोन्ड और अन्य कैपिटल गेन्स शामिल हैं। अब इनमें से कई इनकम सोर्स पर सरकार की तरफ से टैक्स लगाया जाता है।
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कैसे डाउनलोड कर सकते हैं फॉर्म 16?
फॉर्म 16 की आप खुद भी डाउनलोड कर सकते हैं, इसके लिए सबसे पहले www.tdscpc.gov.in/en/home.html पर विजिट करें।
TRACES में लॉगिन करें और टैक्सपेयर ऑप्शन क्लिक करें।
यहां यूजर आईडी, पासवर्ड और पैन डिटेल्स से लॉगिन करें।
डैशबोर्ड से डाउनलोड पर जाएं और वहां फॉर्म 16 पर क्लिक करें। अब फॉर्म डाउनलोड के बाद फाइनेंशियल ईयर चुनें और पैन डिटेल्स डालें। अब आपका फॉर्म 16 खुल जाएगा।
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Image Credit: Freepik
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